लोकसभा और सभी राज्यों में विधानसभा चुनाव एक साथ कराने को लेकर बीजेपी उपाध्यक्ष व राज्यसभा सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे मुंबई में दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन कराने जा रहे हैं
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विशाल पाण्डेय, नई दिल्ली: देश में पीएम मोदी की अपील के बाद एक राष्ट्र एक चुनाव की मांग तेज हो चुकी है. ताजा जानकारी के मुताबिक लोकसभा और सभी राज्यों में विधानसभा चुनाव एक साथ कराने को लेकर बीजेपी उपाध्यक्ष व राज्यसभा सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे मुंबई में दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन कराने जा रहे हैं. 20, 21 जनवरी को मुंबई में एक राष्ट्र एक चुनाव पर व्यापक चर्चा होगी, इस सेमिनार में सभी राजनीतिक दलों को बुलाया गया है. इस आयोजन में संघ के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे. इसके अलावा कानून विशेषज्ञ, संविधान के जानकार, राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर व समाज के सभी स्टेकहोल्डर को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया है. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी इस सेमिनार में हिस्सा ले सकते हैं.
पूरे राष्ट्र में एक चुनाव
बीजेपी उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे ने Zee News से बातचीत में कहा कि आज देश को जरूरत है कि पूरे राष्ट्र में एक चुनाव हो, जिससे खर्च कम हो और विकास की रफ्तार पर चुनावी ब्रेक ना लगे. देश में आए दिन कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं, जिसकी वजह से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
कांग्रेस से नहीं आया कोई जवाब
सहस्त्रबुद्धे ने आगे कहा कि इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने के लिए ही इस दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है. कांग्रेस की तरफ से अभी सेमिनार में हिस्सा लेने को लेकर कोई जवाब नहीं आया है. हालांकि जेडीयू, बीजेडी समेत कुछ दलों ने सेमिनार में शामिल होने को लेकर सहमति जताई है.
आसान काम नहीं
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने Zee News से कहा कि यह बहुत बड़ा मुद्दा है और एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर केन्द्र सरकार को सभी दलों के साथ बातचीत करनी चाहिए और आम सहमति बनानी चाहिए. ये इतना आसान काम नहीं है. हालांकि इस मुद्दे पर राशिद अल्वी ने कांग्रेस पार्टी का स्टैंड स्पष्ट नहीं किया.
जेडीयू एक राष्ट्र एक चुनाव की पक्षधर
वहीं इस मुद्दे पर जेडीयू महासचिव केसी त्यागी ने जी न्यूज से कहा कि यह मांग बहुत पुरानी है, सबसे पहले आडवाणी जी ने इस मुद्दे को उठाया था. इसे लागू करने के लिए संविधान संशोधन की जरूरत पड़ेगी. जेडीयू एक राष्ट्र एक चुनाव की पक्षधर है.
अब देखना ये होगा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस, सपा, बसपा समेत अन्य क्षेत्रीय दलों का एक राष्ट्र, एक चुनाव पर क्या रुख होता है? क्या सभी राजनीतिक दल देशहित में इस मुद्दे पर आम सहमति बना पाएंगे?