UP चुनाव से पहले मायावती का बड़ा दांव, BSP करेगी ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन
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UP चुनाव से पहले मायावती का बड़ा दांव, BSP करेगी ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन

सतीश चंद्र मिश्रा अयोध्या में मंदिर दर्शन के साथ इस अभियान की शुरुआत करेंगे. पहले चरण में 23 जुलाई से 29 जुलाई तक लगातार छह जिलों में ब्राह्मण सम्मेलन होंगे. इसके बाद धीरे-धीरे पूरे प्रदेश में इस तरह के आयोजन किए जाएंगे.

फाइल फोटो

लखनऊ: यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले जातिगत आधारित राजनीति एक बार फिर शुरू होती हुई दिखाई दे रही है. बहुजन समाज पार्टी ने यूपी में ब्राह्मण सम्मेलन करने का फैसला किया है. इसकी शुरुआत बीएसपी महासचिव सतीश चंद्र मिश्र (Satish Mishra) 23 जुलाई को अयोध्या से करेंगे. प्रदेश के सभी जिलों में बीएसपी का ये ब्राह्मण सम्मेलन (Brahmin Sammelan) आयोजित होगा.

  1. 2022 के चुनाव से पहले बीएसपी की बड़ी तैयारी
  2. BSP का ब्राह्मण सम्मेलन 23 जुलाई से शुरू होगा 
  3. सतीश चंद्र मिश्रा के नेतृत्व में होगा जिलेवार आयोजन

2022 के लिए सोशल इंजीनियरिंग

बीएसपी महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने ज़ी न्यूज़ (Zee News) से खास बातचीत में कहा कि ‘बीएसपी हमेशा ब्राह्मणों को सम्मान देती आई है. हमारा नारा रहा है- सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’. सतीश मिश्र ने कहा कि अयोध्या में बजरंग बली के दर्शन कर ब्राह्मण सम्मेलन की शुरूआत करेंगे. अयोध्या के बाद जहां जहां ब्राह्मण सम्मेलन होगा उसकी तारीख अभी तय की जा रही है.

इलेक्शन मोड में BSP

बीएसपी के इस बड़े अभियान की शुरुआत अगले हफ्ते से होगी. बीएसपी का ब्राह्मण सम्मेलन 2007 के चुनावी अभियान के तर्ज पर होगा. शुक्रवार को लखनऊ में पूरे प्रदेश से 200 से ज्यादा ब्राह्मण नेता और कार्यकर्ता बीएसपी दफ्तर पहुंचे थे जहां आगे की रणनीति पर चर्चा हुई. माना जा रहा है कि बीएसपी साल 2022 की चुनावी तैयारी के लिए 2007 के फॉर्मूले पर वापस लौट रही है. 

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'यूपी में निर्णायक हैं ब्राह्मण समाज के मतदाता'

उत्तर प्रदेश में करीब 12% ब्राह्मण मतदाता हैं. ऐसा कहा जाता है कि यूपी में ब्राह्मण समाज जिस पार्टी को समर्थन करता है उसकी सरकार बन जाती है. साल 2007 के विधानसभा चुनाव में ब्राह्मणों का रूझान बीएसपी की तरफ था तो यूपी में मायावती की सरकार बन गई. वहीं 2012 के विधानसभा चुनावों में ब्राह्मणों का समर्थन समाजवादी पार्टी (SP) को मिला तो अखिलेश यादव सीएम बन गए. वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव से यूपी के ब्राह्मण मतदाता पूरी तरह बीजेपी के साथ हैं. 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के साथ गए तो यूपी में 325 सीटों के साथ बीजेपी का सरकार बन गई.

सतीश चंंद्र मिश्र ने संभाली कमान

सम्मेलन के लिए पार्टी के प्रमुख ब्राह्मण नेताओं ने रोडमैप तैयार कर लिया है. गौरतलब है कि अपनी सोशल इंजीनियरिंग के दम पर बीएसपी प्रमुख मायावती (Mayawati) यूपी की सत्ता पर राज कर चुकी हैं. यूपी में ब्राह्मण वोट बैंक इस बार निर्णायक भूमिका में होगा, अब देखना होगा कि 2022 के चुनाव में ब्राह्मण मतदाताओं का आशीर्वाद किस पार्टी को मिलेगा.

यूपी में ब्राह्मणों को रिझाने की होड़

वैसे 2022 के चुनाव से पहले यूपी में चर्चा है कि ब्राह्मण मतदाता बीजेपी से कुछ नाराज है. ऐसी चर्चाओं के बाद ही यूपी में बीजेपी ने जितिन प्रसाद को शामिल किया और अजय मिश्र टेनी को केन्द्रीय मंत्रीमंडल में जगह दी. वहीं बीजेपी ने यूपी युवा मोर्चा का अध्यक्ष भी प्रांशुदत्त द्विवेदी को बनाया. इसके अलावा यूपी सरकार में भी बृजेश पाठक, डॉ दिनेश शर्मा, श्रीकांत शर्मा जैसे बड़े ब्राह्मण चेहरे शामिल हैं.

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सपा लगवाएगी भगवान परशुराम की मूर्ति

अगर बात समाजवादी पार्टी की करें तो वो भी ब्राह्मण मतदाताओं को रिझाने की भरपूर कोशिश कर रही है. सपा नेता संतोष पाण्डेय भगवान परशुराम की 108 फीट की मूर्ति बनवा रहे हैं. जो चुनाव से पहले लखनऊ में लगाई जाएगी. सपा ने अपने ब्राह्मण नेताओं के दौरे यूपी में बढ़ा दिए हैं. पार्टी पूर्व विधायक संतोष पाण्डेय, विधायक मनोज पाण्डेय, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माताप्रसाद पाण्डेय, पूर्व विधायक बाबा दूबे और पवन पाण्डेय जैसे नेताओं को सपा आगे कर रही है. वहीं इसी कड़ी में सपा के प्रवक्ताओं की सूची में भी करीब आधा दर्जन ब्राह्मण चेहरे हैं. वहीं कांग्रेस पार्टी भी ब्राह्मण वोटों के लिए प्रमोद तिवारी और राजेश मिश्रा जैसे नेताओं को आगे कर रही है.

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