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Photos: कच्छ रण उत्सव.. संस्कृति और पर्यटन का अनूठा संगम, कैसे बदल दी रेगिस्तान की रंगत

Kutch Rann Utsav: रण उत्सव न केवल एक पर्यटन स्थल है बल्कि यह कच्छ की आत्मा का उत्सव भी है. यह उत्सव स्थानीय कलाकारों, शिल्पकारों और सेवा प्रदाताओं के लिए आजीविका का एक बड़ा स्रोत बन गया है. कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा, यह कहावत रण उत्सव पर पूरी तरह सटीक बैठती है.

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कच्छ का रण, सफेद नमक के रेगिस्तान, जीवंत संस्कृति और अद्भुत सूर्यास्तों के लिए प्रसिद्ध है. 2005 में तत्कालीन गुजरात मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया वार्षिक रण उत्सव इस क्षेत्र का कायापलट कर चुका है. कला, परंपरा और प्रकृति के इस उत्सव ने न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति दी है बल्कि इसे वैश्विक सांस्कृतिक मंच में बदल दिया है. अमित गुप्ता टेंट सिटी के मैनेजर ने बताया रण उत्सव के दौरान कच्छ की हर जगह पर इसकी अनोखी महक महसूस होती है. कला, संस्कृति और यहां तक कि भोजन में भी कच्छ की आत्मा झलकती है. (All Photos: ANI)

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टेंट सिटी इस उत्सव का मुख्य आकर्षण है. जो लाखों पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है. पिछले साल 7.42 लाख पर्यटकों ने उत्सव का आनंद लिया, जिससे कच्छ के हस्तशिल्प और खाद्य स्टॉल्स को करोड़ों की आय हुई. इस साल, पर्यटकों के लिए 3-स्टार सुविधाओं वाले 400 टेंट लगाए गए हैं. गुजरात पर्यटन के प्रबंध निदेशक सैडिंगपुई चाखचुआक ने बताया, "रण उत्सव अब सरकारी सहायता पर निर्भर नहीं है, बल्कि राजस्व-सुरPLUS आयोजन बन गया है. 

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इस उत्सव ने न केवल पर्यटन को बढ़ावा दिया है, बल्कि स्थानीय समुदायों को भी लाभान्वित किया है. कच्छ के कारीगरों को अपने उत्पादों के लिए एक वैश्विक मंच मिला है. हैंडलूम और हस्तशिल्प की दुकानों के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करते हैं. स्थानीय कलाकार हंसराज भाट कहते हैं, "रण उत्सव ने हमें अपनी कला दिखाने का मौका दिया है. पहले हमें काम के लिए बाहर जाना पड़ता था, लेकिन अब यही उत्सव हमारी आजीविका का मुख्य स्रोत बन गया है.

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पर्यटकों की संख्या में लगातार वृद्धि ने इस क्षेत्र को एक प्रमुख पर्यटन स्थल में बदल दिया है. लंदन से आई पर्यटक चांदनी ने कहा, "यहां आकर सफेद रण की सुंदरता ने हमें मंत्रमुग्ध कर दिया. कच्छ का हर पहलू अद्वितीय है."

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 वहीं, एक अन्य पर्यटक कुनाल चंद्राना ने कहा, "2001 के भूकंप के बाद कच्छ ने जो विकास किया है, वह प्रशंसनीय है. अब यहां के लोग आत्मनिर्भर हो गए हैं.

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