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मुंबई: इस बजट 2021 (Budget 2021) से कॉर्पोरेट जगत में खुशी की लहर है, शेयर बाजार भी झूम उठे हैं लेकिन केंद्रीय बजट-2021 के जारी होने के बाद मध्यम वर्गीय करादाता श्रेणी के लोगों को झटका लगा है. दरअसल, नौकरीपेशा आदमी आशा भरी नजरों से Budget-2021 की ओर देख रहा था. पिछले दिनों आर्थिक सर्वे जारी होने के बाद इस बात की उम्मीद बढ़ी थी कि मौजूदा टैक्स स्लैब में वित्त मंत्री कुछ छूट दे सकती हैं. हालांकि इस बजट में घर खरीदारों और सीनियर सिटिजन्स पर खास ध्यान दिया गया है.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह बजट वेतनभोगी मध्यम वर्ग के लिए कोरा कागज साबित हुआ है. बजट में न तो कोई अतिरिक्त टैक्स छूट (Income Tax Rebate) की घोषणा की गई और न ही टैक्स स्लैब (Tax Slab) में कोई सुधार किया गया. हालांकि बजट में वरिष्ठ नागरिकों (Senior citizen) के लिए एक राहत की घोषणा हुई, जो कि 75 साल से ज्यादा उम्र के होंगे. इनके लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने से छूट मिली.
वित्त मंत्री ने कहा कि किसी बैंक के डूबने पर जमाकर्ता को समय से और आसानी से पैसा वापस मिल जाए इसके लिए संसोधित व्यवस्था बनाई जाएगी. बता दें कि इससे पहले बैंक डूबने पर जमाकर्ता सिर्फ 1 लाख रुपये तक वापस पा सकता था लेकिन अब इस प्रावधान को बदल दिया गया है. बैंक जमा पर बीमा को 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दिया गया है. इसका मतलब ये है कि कोई बैंक अगर डूब जाता है तो उसके जमाकर्ता को अधिकतम 5 लाख रुपये मिलेंगे.
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सरकार ने सस्ते मकानों की खरीद के लिए आवास ऋण के ब्याज भुगतान पर 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त कर कटौती को एक साल और बढ़ाकर 31 मार्च, 2022 तक करने का ऐलान किया है. इस कदम से सुस्त पड़े रियल एस्टेट क्षेत्र में मांग बढ़ाने में मदद मिल सकती है. सरकार ने 2019 के बजट में दो लाख रुपये से ऊपर डेढ़ लाख रुपये की अतिरिक्त कटौती की घोषणा की थी. पहली बार और 45 लाख रुपये तक का मकान खरीदने वालों के लिए यह लाभ दिया गया.
दरअसल सैलरीड क्लास की आय कम होती है, लेकिन टैक्स को लेकर सबसे अधिक बोझ हो जाता है. हालात यह हैं कि आम आदमी ही सबसे अधिक टैक्स का भुगतान करता है. मौजूदा समय में 2.5 लाख से पांच लाख रुपये की आय पर पांच फीसदी टैक्स देना होता है. वहीं पांच से 10 लाख रुपये पर सीधे 20 फीसदी टैक्स दर लागू है. इससे करदाताओं पर सीधा असर पड़ता है. पांच से 10 लाख रुपये के लिए स्लैब को 20 फीसदी से घटाकर के 10 फीसदी करने की मांग भी वित्त मंत्री से करदाता कर रहे थे. लेकिन सबको निराशा ही हाथ लगी.
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कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम न्यू नॉर्मल बन गया है. ऐसे में तमाम नौकरीपेशा लोगों का खर्च बढ़ गया है. जानकार बताते हैं कि कर्मचारियों के अतिरिक्त खर्चों को बहुत सी कंपनियों ने रीइम्बर्स किया है, लेकिन ऐसे रीइम्बर्समेंट पर टैक्स लगता है. इसलिए यह उम्मीद की जा रही थी कि ऐसे रीबेट यानी डिडक्शन की व्यवस्था की जाएगी ताकि ऐसे खर्चों पर टैक्स की बचत हो सके. इस पर भी कुछ नहीं हुआ.
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सरकार ने मोबाइल फोन के पुर्जों तथा चार्जर पर आयात शुल्क बढ़ाने का फैसला किया है. स्थानीय मूल्यवर्धन को बढ़ाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है. इससे मोबाइल फोन महंगे हो सकते हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 का आम बजट पेश करते हुए सीमा शुल्कों में 400 रियायतों की समीक्षा की घोषणा की. इनमें मोबाइल उपकरण खंड भी शामिल है. सीतारमण ने कहा, ‘देश में ही मूल्यवर्धन (विनिर्माण) को बढ़ाने के लिए हम मोबाइल चार्जर के कुछ हिस्सों और मोबाइल फोन के कुछ सहायक पुर्जों पर छूट को वापस ले रहे हैं. इसके अलावा मोबाइल के कुछ पुर्जों पर आयात शुल्क शून्य की जगह 2.5 प्रतिशत हो जाएगा.’
हालांकि, शेयर बाजारों ने वृद्धि को बढ़ावा देने पर केंद्रित बजट का जबरदस्त स्वागत किया. बजट से उपजे उत्साह के दम पर वित्तीय कंपनियों की अगुवाई में सोमवार को सेंसेक्स 2,315 अंक चढ़ गया. कारोबार के दौरान सेंसेक्स एक समय 48,764.40 अंक के दिन के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था. अंत में यह 2,314.84 अंक यानी पांच प्रतिशत की बढ़त के साथ 48,600.61 अंक पर बंद हुआ. इसी तरह एनएसई का निफ्टी भी 646.60 अंक यानी 4.74 प्रतिशत बढ़कर 14,281.20 अंक पर बंद हुआ.