बीजेपी और शिवसेना के बीच बुर्के पर हो सकती है रार, पढ़ें खबर
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बीजेपी और शिवसेना के बीच बुर्के पर हो सकती है रार, पढ़ें खबर

इसके साथ कामजारी महिलाएं जब घर से बाहर निकलती हैं तो उन्हें भी बुर्के का ही सहारा होता हैं. इन्ही सब को देखते हुए इन महिलाओं को ईद के मौके पर मिठाईयों के साथ बुर्के दिए गए.

बीजेपी और शिवसेना के बीच बुर्के पर हो सकती है रार, पढ़ें खबर

मुंबई: एक महीने से ज्यादा समय नहीं हुआ जब शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा था कि भीषण बम विस्फोट के बाद श्रीलंका में बुर्का और नकाब सहित चेहरा ढंकनेवाली हर चीज पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यह निर्णय लिया गया है, ऐसा राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेना ने घोषित किया है. हम इस निर्णय का स्वागत कर रहे हैं और प्रधानमंत्री मोदी को भी श्रीलंका के राष्ट्रपति के कदमों पर कदम रखते हुए हिंदुस्थान में भी ‘बुर्का’ और उसी तरह ‘नकाब’ बंदी करें, ऐसी मांग राष्ट्रहित के लिए कर रहे हैं. शिवसेना की इस मांग पर काफी हंगामा हुआ था.

हालांकि, इस बार बुर्के को लेकर जो विवाद छिड़ा है उसका कारण शिवसेना नहीं बल्कि बीजेपी है. बीजेपी नेताओं की तरफ से ईद के मौके पर मिठाईयों के साथ ही बुर्के भी बांटे गए. बीजेपी नेता हैदर आजम ने इसको लेकर अपनी सफाई में कहा, उन्होंने इस मामले में काफी महिलाओं से बात की और उनका कहना था कई बार ऐसी परिस्थियां हो जाती हैं कि उन्हे छुपने के लिए बुर्के का सहारा लेना पड़ता हैं. 

इसके साथ कामजारी महिलाएं जब घर से बाहर निकलती हैं तो उन्हें भी बुर्के का ही सहारा होता हैं. इन्ही सब को देखते हुए इन महिलाओं को ईद के मौके पर मिठाईयों के साथ बुर्के दिए गए. इसी कार्यक्रम मे शामिल हुए मुंबई बीजेपी के अध्यक्ष आशीष शेलार का कहना था कि बुर्के से सुरक्षा को खतरा नहीं होता है और ना ही बुर्का पिछड़ेपन की निशानी है बल्कि बुर्का महिलाओं को मजबूत बनाता है. वैसे बुर्के को लेकर दुनिया भर मे विवाद हैं. दुनिया के आस्ट्रेलिया, फ्रांस, न्यूजीलैड, जैसे कई देशों ने बुर्के पर रोक लगा रखी है.   

फिलहाल शिवसेना के मुखपत्र में बीजेपी की नीतियों को लेकर सवाल उठने खड़े हो गए हैं. सामना ने दो दिन पहले ही देश में नौकरी की समस्या को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार पर सवाल खड़े किए थे और सरकार को इस पर जल्द से जल्द कार्रवाई करने की बात कही थी. इसके साथ ही सामना ने बुधवार के आर्टिकल में महाराष्ट्र मे पड़े सूखे और जिलों में पानी सप्लाई ना हो पाने को लेकर सवाल किए हैं. सामना में लिखा है कि सरकार अभी तक 9 हजार गांव में पानी नहीं पहुंच पाया है और लोग सरकारी सहायता से वंचित हैं. जाहिर है कि आने वाले दिनों में जैसे-जैसे चुनाव नजदिक आते जाएंगे सामना का सरकार पर राजनीतिक हमला तेज हो जाएगा.  

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