देश को गाली देने का बिजनेस मॉडल, वीर दास को Zee News का जवाब
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देश को गाली देने का बिजनेस मॉडल, वीर दास को Zee News का जवाब

भारत और भारत के लोग बड़े दिल वाले हैं. हम लोगों के हजारों गुनाह यू हीं माफ कर देते हैं लेकिन जब कोई देश के सम्मान को चोट पहुंचाता है तो फिर उसे जवाब देना जरूरी हो जाता है. क्योंकि अपने देश को गाली देना इन लोगों का नया बिजनेस मॉडल बन गया है.

देश को गाली देने का बिजनेस मॉडल, वीर दास को Zee News का जवाब

नई दिल्ली: हमारे देश के एक कॉमेडियन वीर दास ने अमेरिका में जाकर भारत के बारे में जो अभद्र बातें कही हैं उससे भारत के करोड़ों लोग आहत हुए हैं, और कुछ मुट्ठी भर लोग खुश भी हुए हैं. वीर दास ने स्टैंड अप कॉमेडी के अपने एक शो में भारत को बलात्कारियों और चरित्रहीन लोगों का देश बताया, और ये भी कहा कि भारत में अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है और लोग असहनशील हैं. वीर दास के वीडियो को यूट्यूब पर 11 लाख (खबर लिखे जाने तक) लोग देख चुके हैं. ऐसे लोगों को जवाब देना बहुत जरूरी है, अगर भारत के लोगों ने आज इस तरह के नकली वीरों को जवाब नहीं दिया तो इनकी हिम्मत बढ़ती जाएगी और ये लोग एक बार फिर से वही स्थिति पैदा करेंगे जिसकी वजह से हम सैंकड़ों वर्षों तक मुगलों और अंग्रेजों के गुलाम रहे. 

  1. भीख से खुश लेकिन देश की समृद्धि से उदास 
  2. देश को गालियां देकर ही मिलती हैं तालियां?
  3. स्वामी विवेकानंद के देश का उपहास क्यों?

देश का मजाक उड़ाने वाली कैसी कॉमेडी?

वीर दास ने जो कुछ किया उसके बाद सवाल यही है कि क्या अपने देश को गालियां देकर ही तालियां हासिल की जा सकती हैं? क्या अपने देश का मजाक उड़ाकर ही कॉमेडी की जा सकती है? क्या अपने देश की आलोचना करके ही लोकप्रियता पाई जा सकती है? आज से 128 साल पहले जब सिर्फ 30 वर्ष की उम्र में स्वामी विवेकानंद अमेरिका गए थे और उन्होंने शिकागो में विश्व धर्म संसद में अपना भाषण दिया था तब उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत में जैसे ही कहा, 'अमेरिका के मेरे भाइयों और बहनों' वैसे ही उस हॉल में मौजूद 7 हजार लोग अपनी जगह पर खड़े होकर 2 मिनट तक तालियां बजाते रहे. अपने भाषण में स्वामी विवेकानंद ने कहा था- मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहनशीलता का पाठ पढ़ाया है. उन्होंने ये भी कहा कि मुझे गर्व है कि मैं उस देश से आता हूं जिसने सभी धर्मों और सभी देशों के सताए हुए लोगों को अपने यहां शरण दी.

देश के सम्मान को ठेस पहुंचाई

जब स्वामी विवेकानंद ने अपना भाषण खत्म किया तब भी वहां मौजूद हजारों लोग बहुत देर तक तालियां बजाते रहे, इस भाषण के साथ ही स्वामी विवेकानंद दुनिया में भारत के सबसे बड़े ब्रांड एम्बेसडर बन गए थे, अमेरिका और पूरी दुनिया के लोग उनसे इतने प्रभावित हुए कि उन्हें उसी कार्यक्रम में 5 बार और भाषण देने के लिए बुलाया गया. लेकिन उसी अमेरिका में जाकर 42 साल का एक भारतीय, जो भारतीय फिल्मों में काम करता है, भारत में पैसे कमाता है, भारत में लोकप्रियता हासिल करता है, कहता है कि मैं उस देश से आता हूं जहां दिन में महिलाओं की पूजा होती है और रात में उनके साथ गैंगरेप होता है. यानी भारत बलात्कारियों और चरित्रहीन लोगों का देश है. जो कहता है कि मैं ऐसे देश से आता हूं जहां लोग घरों में बैठकर तो जोर से हंसते हैं लेकिन कॉमेडी क्लब में लोगों को किसी जोक पर हंसने की इजाजत नहीं है. यानी भारत असहनशील लोगों का देश है. हमें वीर दास की बातों पर तो नहीं लेकिन उनकी सोच पर हंसी जरूर आनी चाहिए क्योंकि देश के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले जोक पर तो वही हंस सकता है जिसमें जरा सी भी गैरत ना हो.

किसकी सोच पर शर्म आनी चाहिए?

वीर दास और विवेकानंद की तुलना नहीं की जा सकती. ना ही कोई विवेकानंद की बराबरी कर सकता है. लेकिन याद रखना चाहिए कि 128 साल पहले जब भारत को सांप और सपेरों का देश माना जाता था, तब विवेकानंद ने भारत को दुनिया के मंच पर जगह दिलाई और विदेशियों को भारत का सम्मान करना सिखाया. जब हम चंद्रमा पर पहुंच चुके हैं, दुनिया को कोरोना से बचाने वाली वैक्सीन दे रहे हैं, इतना अनाज उगा रहे हैं कि भारत अपने साथ-साथ कई देशों का पेट भर सकता है, तब भारत से गया एक मसखरा कहता है कि उसे भारत की सोच पर शर्म आती है. भारत की सोच नहीं बल्कि ऐसे कॉमेडियन की सोच पर शर्म आनी चाहिए.

ऐसे लोग आज भी विदेशियों के दास

वीर दास ने ये सब इसलिए कहा ताकि उनके लिए तालियां बजती रहें लेकिन स्वामी विवेकानंद ने भारत के बारे में जो कहा उनमें तालियों का लालच नहीं, देश के लिए सम्मान की भावना छिपी थी. भारत को नीचा दिखाकर अपनी सोच को ऊंचा साबित करने वालों की वजह से ही भारत पहले मुगलों का गुलाम रहा और फिर अंग्रेजों का गुलाम बन गया. आज भारत आजाद है इसलिए कुछ लोग विदेशों में स्टेज पर चढ़कर खुद को वीर साबित करते हैं लेकिन असल में वो आज भी विदेशियों के दास हैं.

कांग्रेस ने किया वीर दास का समर्थन

भारत और भारत के लोग बड़े दिल वाले हैं. हम लोगों के हजारों गुनाह यू हीं माफ कर देते हैं लेकिन जब कोई देश के सम्मान को चोट पहुंचाता है तो फिर उसे जवाब देना जरूरी हो जाता है. क्योंकि अपने देश को गाली देना इन लोगों का नया बिजनेस मॉडल बन गया है. इसमें पैसे भी हैं, फॉलोअर्स भी हैं, व्यू भी हैं और सस्ती लोकप्रियता भी. भारत में कांग्रेस जैसी पार्टियां भी इन लोगों के समर्थन में आकर खड़ी हो जाती हैं. कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल ने एक ट्वीट करके वीर दास का समर्थन किया है, उन्होंने लिखा है कि इसमें कोई शक नहीं है दो तरह के भारत हैं. लेकिन हम नहीं चाहते कि कोई भारतीय दुनिया के सामने जाकर ये बात बताए कि हम पाखंडी और असहनशील लोग हैं. कांग्रेस के एक और नेता शशि थरूर ने भी वीर दास के समर्थन में ट्विटर पर लिखा है कि एक स्टैंड अप कॉमेडियन जानता है कि स्टैंड अप का असली मतलब क्या है, वीर दास ने 6 मिनट के वीडियो में लाखों भारतीयों के मन की बात कही है. हालांकि कांग्रेस के ही एक और नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने वीर दास की आलोचना की है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि कुछ बुरे लोगों की वजह से पूरे देश को बदनाम नहीं किया जा सकता. उन्होंने ये भी कहा कि अंग्रेजों के शासन के समय जो लोग भारत को लुटेरों और सपेरों का देश बताते थे वो आज भी मौजूद हैं. उनका इशारा वीर दास की तरफ ही था.

देश को गाली देने का फैशन कब तक? 

समस्या ये है कि हमारे देश के लिबरल्स और बुद्धिजीवियों के लिए अपने देश को गाली देना एक नया फैशन बन गया है, ऐसा करके ये लोग खुद को उदारवादी और प्रगतिशील साबित करना चाहते हैं और ये बताना चाहते हैं कि हम इतने महान हैं कि हम अपने देश की आलोचना कर भी सकते हैं और क्रिएटिव फ्रीडम के नाम पर आलोचना सुन भी सकते हैं. आप इस पैटर्न पर गौर करेंगे तो समझ आएगा कि भारत में रहकर, भारत में पैसा कमाकर, भारत की रोटी खाकर भी अपने देश के खिलाफ बोलने वालों ने एक पूरा ईको-सिस्टम खड़ा कर लिया है. वीर दास जैसे कॉमेडियन भी इसी ईको-सिस्टम का हिस्सा हैं, जो अपनी फिल्मों में तो फूहड़ता पेश करते हैं, महिलाओं के खिलाफ अभद्र डायलॉग बोलते हैं, अश्लील बातें करते हैं, फिर दुनिया के सामने मंच पर खड़े होकर भारत में महिलाओं की स्थिति पर कविताएं पढ़ते हैं. इनकी ये फूहड़ और अश्लील फिल्में इसी देश में बड़े आराम से रिलीज हो जाती हैं, फिर भी ये विदेशों में जाकर कहते हैं कि भारत इतना असहनशील है कि वहां आप मंच पर किसी को कोई जोक भी नहीं सुना सकते.

क्रिएटिव फ्रीडम के नाम पर दुष्प्रचार 

अश्लीलता, हिंसा और देश के खिलाफ दुष्प्रचार से भरा कंटेंट, क्रिएटिव फ्रीडम और अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर OTT प्लेटफॉर्म्स के रास्ते आपके घरों तक पहुंचता है आपके बच्चों तक पहुंचता है. लेकिन फिर भी इन लोगों को भारत असहनशील दिखाई देता है. हिंदुओं का और हिंदुओं के धर्म का मजाक भी इसी अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर उड़ाया जाता है लेकिन किसी और धर्म के नाम पर ऐसा कोई नहीं करता, देवी देवताओं पर बड़ी आसानी से अभद्र जोक कह दिए जाते हैं लेकिन कल्पना कीजिए कि अगर कोई कॉमेडियन किसी दिन पैगंबर मोहम्मद साहब के बारे में कुछ कह दे तो क्या होगा? अगर कोई इस्लाम या किसी दूसरे धर्म के खिलाफ कुछ कह भी दे तो लोग कहते हैं कि तुम्हें ऐसा कहने की जरूरत ही क्या थी, तुम्हें पता तो है कि ये लोग ये सब बर्दाश्त नहीं करते. 

इस्लाम को असहनशील बताने की हिम्मत नहीं

पेरिस के अखबार शार्ली हेब्दो के साथ क्या हुआ था, आपको याद ही होगा. तब भी लोगों ने कहा था कि इस अखबार को पैगंबर मोहम्मद साहब का कार्टून छापने की जरूरत ही क्या थी, इस अखबार ने तो खुद मौत को बुलावा दिया लेकिन तब इनमें से मुट्ठी भर लोग भी इस्लाम को असहनशील बताने की हिम्मत नहीं कर पाए थे. भारत को असहनशील बताने में इन्हें जरा सी भी देर नहीं लगती. 128 साल पहले जब स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो में भाषण दिया था तब उन्होंने कहा था कि- मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं जिसने पारसी धर्म के लोगों को शरण दी और लगातार अब भी उनकी मदद कर रहा है. मुझे गर्व है कि हमने अपने दिल में इजरायल की वो पवित्र यादें संजो रखी हैं जिनमें उनके धर्मस्थलों को रोमन हमलावरों ने तहस-नहस कर दिया था और फिर उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली. आज भी भारत दुनिया भर के लोगों को अपने यहां शरण देता है. चाहे वो बांग्लादेश से आए लोग हों, पाकिस्तान से आए लोग हों या अफगानिस्तान से आए लोग हों. अब आप खुद सोचिए इजरायल समेत दुनिया भर के सताए गए लोगों को अपने यहां शरण देने वाला भारत असहनशील कैसे हो सकता है. 

जब इजरायल ने दिया था जवाब

इतिहास में जब-जब इजरायल के लोगों को सताया गया तब-तब भारत ने इजरायल की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया और ये सिलसिला सेकेंड वर्ल्ड वार की समाप्ति तक चलता रहा लेकिन आज इजरायल के लोग, अपने देश का मजाक उड़ाने वालों को कड़ा जवाब देना जानते हैं. पिछले महीने की 26 तारीख को अमेरिका के मशहूर अखबार The New York Times में इजरायल के बारे में एक आर्टिकल प्रकाशित हुआ, जिसमें इजरायल को क्रोधी, नाखुश, थके हुए और उदास लोगों का देश बताया गया था. इजरायल के लोगों को ये बात इतनी बुरी लगी कि उन्होंने सोशल मीडिया पर एक बड़े अनोखे तरीके से विरोध शुरू कर दिया. लोगों ने #Sad-Sad Israel के साथ अपनी खुशियों और मुस्कुराहट से भरी तस्वीरें पोस्ट करनी शुरू कर दीं. लोगों ने The New York Times पर तंज कसा और इन तस्वीरों के साथ लिखा कि देखो इजरायल कितना उदास, नाखुश और बंटा हुआ देश है.

सीखनी चाहिए ये बात

The New York Times के आर्टिकल में ये भी लिखा था कि इजरायल का जन्म जिन सपनों के साथ हुआ था, उनमें से इजरायल कोई भी सपना पूरा नहीं कर पाया, ना तो इजरायल सही मायनों में एक लोकतांत्रिक देश बन पाया और ना ही बहु संस्कृति वाला एक सहनशील देश बन पाया. 70 वर्षों के बाद इजरायल एक थका हुआ, बूढ़ा और आपस में बंटा हुआ देश बन चुका है, जिसने फिलिस्तीन पर कब्जा किया हुआ है. ये भी लिखा गया कि इजरायल एक ऐसा बच्चा है जिसके जन्म से कोई भी खुश नहीं है. जो बातें इजरायल के बारे में कही गईं, लगभग वही सारी बातें भारत के बारे में भी कही जाती हैं लेकिन इजरायल के लोग चुप नहीं बैठे और उन्होंने अमेरिका के अखबार के एजेंडे को उसी की भाषा में जवाब दे दिया. इसलिए आज भारत के लोगों को इजरायल से सीखना चाहिए, कि वहां के लोग अपने देश की आलोचना करने वालों को कैसे जवाब देते हैं.

देश में बैठ दुश्मनों से कैसे लड़ेंगे?

इजरायल का ही एक और उदाहरण है, इसी साल अमेरिका के मशहूर आइसक्रीम ब्रांड Ben And Jerry ने फैसला लिया था कि वो इजरायल के साथ कारोबार नहीं करेगा और वर्ष 2023 के बाद वहां अपनी आइसक्रीम भी नहीं बेचेगा क्योंकि इजरायल ने फिलीस्तीन पर कब्जा किया हुआ है. इसके बाद पूरी दुनिया में मौजूद इजरायल के लोगों ने इस आइसक्रीम ब्रांड का ही विरोध शुरू कर दिया और इजरायल की सरकार ने भी इसे एक डिप्लोमेटिक लड़ाई में बदल दिया. लेकिन क्या आप इसकी कल्पना भारत में कर सकते हैं? कल अगर यही कंपनी ये कह दे कि वो ये मानती है कि भारत ने कश्मीर पर जबरदस्ती कब्जा किया हुआ है और ये कश्मीर में अपनी आइसक्रीम नहीं बेचेगी तो क्या भारत के लोग और भारत के नेता एक साथ खड़े होकर इसका विरोध करेंगे. हमें लगता नहीं है कि ऐसा होगा बल्कि कुछ लोग तो शायद ये आइसक्रीम खाने के लिए बेताब हो उठेंगे और शायद इस कंपनी को ही सही बताने लगेंगे. बस यही फर्क भारत को एक देश के तौर पर कमजोर करता है और इसी वजह से भारत के ही कुछ लोग देश को खोखला करते हैं. कोई भी देश सीमा पार बैठे दुश्मनों से तो लड़ सकता है लेकिन अपनी ही सीमा में बैठे दुश्मनों से लड़ना बहुत मुश्किल होता है.

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