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नई दिल्ली: खोसला का घोंसला फिल्म जरूर देखी होगी जिसमें किसी के प्लॉट पर किसी और का कब्जा होता है. ठीक उसी तरह का मामला DDA में आया है जिसकी जांच सीबाआई कर रही है. CBI ने दिल्ली के मदनपुर खादर इलाके में DDA के प्लॉट का फर्जी ऑवंटन करने के मामले में DDA के तीन कर्मचारियों समेत 9 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर दिल्ली, लखनऊ और शामली में 14 ठिकानों पर छापेमारी की.
दरअसल सीबीआई को शिकायत मिली थी कि DDA के कर्माचारी सुंधाशु रंजन, अजीत कुमार भारद्वाज और दर्वण सिंह ने इकबाल हुसैन, सुशील कुमार मीणा, राजवंत सिंह, जमालुद्दीन, और शकुंतला देवी और कुछ लोगों के साथ मिल कर दिल्ली के सरिता विहार के पास मदनपुर खादर इलाके में DDA के प्लॉट को अपने नाम करवा लिया है. इसके लिये बकायदा इन्होंने सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर किया.
जांच में पता चला कि दलालों ने सपन कुमार नाम के आदमी को बकायदा पैसे देकर इस काम के लिये तैयार किया, जोकि डेटा एंट्री ऑपरेटर का काम करता था. उसी ने DDA में डेटा एंट्री ऑपरेटर का काम करने वाली भूमिका सलूजा को धोखे में रख कर सरकारी दस्तावजों में हेर फेर किया और इन सरकारी प्लॉट को आरोपियों के नाम करवा दिया. बकायदा सरकारी रजिस्टर में इसके लिए हेरफेर की गई. सही एंट्री को फाड़ कर उसकी जगह गलत एंट्री की गई और फिर आपस में पेजों को चिपका कर एंट्री की गई ताकी किसी को आसानी से शक ना हो.
इस घोटाले का मास्टरमाइंड DDA में असिस्टेंट डायरेक्टर के पद पर काम करने वाला सुधांशु रंजन था, इस बात के सबूत उसके फोन कॉल में मिली रिकार्डिंग से मिले. 6 मई 2020 को DDA में डेटा एंट्री ऑपरेटर का काम करने वाली विशाखा मुंजाल को सुधांशु रंजन ने अपने राज खोले थे और बताया था कि कैसे वो पार्टियों से डील करता है और रिश्वत की रकम तैयार करता है. इसके बाद DDA में ही काम करने वाले अजीत कुमार, सीनियर सेक्रेटेरिएट असिस्टेंट और सिक्योरिटी गार्ड दर्वण सिंह आगे की बात तय कर उसकी तरफ से रिश्वत लेते थे. इस काम के लिये पिछले समय के दस्तावेज जो कि 2007 से 2010 के बीच के हों, मांगे जाते थे ताकि दस्तावेजों को उसी आधार पर पिछली तारीखों में तैयार कर प्लॉट अलॉट दिखा सकें.
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अगस्त 2020 में हुआ था खुलासा
हैरानी की बात ये है कि इस पुरे नेटवर्क का खुलासा तब हुआ जब अगस्त 2020 में CBI ने DDA में काम करने वाले तीनों कर्मचारियों सुधांशु रंजन, अजीत कुमार और दर्वण सिंह को 1 लाख रुपये रिश्वत लेते हुये रंगे हाथों गिरफ्तार किया था. उस समय भी तीनों प्लॉट को खरीदने वाले के नाम पर सरकारी दस्तावेजों में चढ़ाने के नाम की रिश्वत मांग रहे थे. इसीके बाद CBI ने अपनी जांच आगे बढ़ाई तो इस पुरे नेटवर्क और DDA में हुये घोटाले का पता चला. फिलहाल सीबीआई सभी आरोपियों के खिलाफ छापेमारी कर सबूत जूटा रही है जिससे सबके खिलाफ कड़ी कारवाई की जा सके.
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