CBI on Manish Sisodia: निरस्त हो चुकी दिल्ली की नई शराब नीति अरविंद केजरीवाल सरकार के लिए गले की हड्डी बन गई है. आखिर उस नीति में ऐसी क्या बातें कर ली गई थीं, जो सीबीआई ने शुक्रवार को मंत्री मनीष सिसोदिया के घर छापा मार दिया. इस बारे में आपको जानना चाहिए.
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Delhi Liquor Policy: आम आदमी पार्टी का हर नेता इस बात को लेकर Confident रहा है कि नई शराब नीति (Delhi Liquor Policy) में कोई गड़बड़ी नहीं है और CBI को कुछ नहीं मिलेगा. लेकिन ये तो वक्त बताएगा. फिलहाल तो नई शराब नीति, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के गले की फांस बन गई है? अब इसका बैकग्राउंड भी आपको बताते हैं.
LG ने मुख्य सचिव से मांगी थी रिपोर्ट
दरअसल दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी से नई शराब नीति पर रिपोर्ट मांगी थी. दिल्ली के मुख्य सचिव ने ये रिपोर्ट उपराज्यपाल को सौंपी थी. इस रिपोर्ट में नई शराब नीति बनाने में नियमों के उल्लंघन और टेंडर प्रक्रिया में खामियों का जिक्र किया गया था. इसके अलावा कुछ वित्तीय अनियमितताओं का भी दावा किया गया था. इस रिपोर्ट में दिल्ली सरकार पर जो 4 बड़े आरोप लगाए गए थे, उनके बारे में आपको बताते हैं.
मनीष सिसोदिया पर अवैध फायदे पहुंचाने के आरोप
पहला आरोप ये है कि आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के निर्देश पर एक्साइज विभाग ने एयरपोर्ट जोन के एल-1 बिडर को 30 करोड़ रुपये का सिक्योरिटी डिपॉजिट रिफंड कर दिया, जबकि वो बिडर एयरपोर्ट अथॉरिटीज से जरूरी NOC तक नहीं ले पाया था. ये साफ तौर से Delhi Excise Rules 2010 के Rule Number 48(11)(b) का उल्लंघन था. जो कहता है कि बिडर अगर सभी औपचारिकताएं पूरी नहीं कर पाए तो सिक्योरिटी डिपॉजिट की रकम जब्त की जाएगी.
दूसरा आरोप ये है कि एक्साइज विभाग ने 8 नवंबर 2021 को एक आदेश जारी करके विदेशी शराब और बियर पर लगने वाली 50 रुपये की Import Pass Fees को हटा दिया. इससे लाइसेंसधारकों को गैरकानूनी तरीके से फायदा पहुंचाया गया और सरकार को रेवेन्यू का नुकसान झेलना पड़ा.
कोरोना के नाम पर माफ कर दी 144 करोड़ की लाइसेंस फीस
तीसरा आरोप ये है कि दिल्ली सरकार ने शराब बेचने वालों को फायदा पहुंचाने के लिए कोरोना महामारी के नाम पर 144 करोड़ 36 लाख रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी, जबकि टेंडर दस्तावेजों में ऐसे किसी आधार पर शराब विक्रेताओं को लाइसेंस फीस में छूट या मुआवजा देने का कहीं कोई प्रावधान नहीं था.
चौथा बड़ा आरोप ये है कि दिल्ली सरकार ने उन लाइसेंसधारकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जो सोशल मीडिया, बैनर्स और होर्डिंगों के जरिए खुल कर शराब की बिक्री का प्रचार प्रसार कर रहे थे. शराब का इस तरह का प्रचार, Delhi Excise Rules 2010 के Rule Number 26 और 27 का उल्लंघन है.
सीबीआई की लिस्ट में मनीष नंबर वन आरोपी
अब हम सीबीआई की उस FIR को डिकोड करेंगे. जिसमें दिल्ली की नई शराब नीति को लेकर गंभीर आरोप हैं और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) का नाम आरोपियों की लिस्ट में सबसे ऊपर है. इसके अलावा इस FIR में आबकारी विभाग के पूर्व कमिश्नर आरवी गोपी कृष्णा समेत 15 आरोपियों के खिलाफ नामजद मामला दर्ज किया है.
इस FIR के मुताबिक नई शराब नीति (Delhi Liquor Policy) बनाने और लागू करने में हुई गड़बड़ियों में कई निजी कंपनियों के मालिक और बड़े अधिकारी भी शामिल थे. FIR में इवेंट मैनेजमेंट कंपनी Only Much Louder कंपनी के पूर्व सीईओ विजय नायर, Pernod Ricard कंपनी के पूर्व कर्मचारी मनोज राय, Brindco Spirits के मालिक अमनदीप ढाल और Indo Spirits के मालिक समीर महेंद्रू के नाम हैं.
क्या करीबियों के जरिए भ्रष्टाचार कर रहे थे सिसोदिया?
FIR में Buddy Retail Pvt Ltd के डायरेक्टर अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे का भी नाम है, जिन्हें मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) का करीबी बताया गया है. आरोप है कि ये लोग शराब माफियाओं से पैसे लेकर आबकारी विभाग के अधिकारियों तक पहुंचा रहे थे.
FIR के मुताबिक जांच में पता चला कि Indo Spirits के मालिक समीर महेंद्रू ने मनीष सिसोदिया के करीबी दिनेश अरोड़ा की कंपनी Radha Industries के UCO Bank के खाते में 1 करोड़ रुपये जमा किए. यानी दिनेश अरोड़ा के जरिए ये पैसे सरकारी अधिकारियों तक पहुंचाए गए. इसके अलावा अर्जुन पांडे ने भी समीर महेंद्रू से 2 से 4 करोड़ रुपये लिए, जो विजय नायर की तरफ से दिये गये थे, विजय नायर एक प्राइवेट न्यूज चैनल के मालिक हैं. FIR में अर्जुन पांडे को भी मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) का करीबी बताया गया है.
इसके अलावा जांच में पता चला कि Mahadev Liquors के अधिकारी सन्नी मारवाह पर भी सरकारी अधिकारियों को लगातार फायदे पहुंचाने के आरोप हैं. सन्नी मारवाह, शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा की कंपनियों में भी डायरेक्टर है. हालांकि पोंटी चढ्ढा की मौत के बाद ये कंपनियां अब पोंटी चढ्ढा का परिवार संभालता है.
बीजेपी के आरोपों के बाद सीबीआई ने मार दिया छापा
बीजेपी ने इसको लेकर आम आदमी पार्टी पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं. बीजेपी के आरोप और CBI की छापेमारी. दोनों के पीछे एक सबसे बड़ा आरोप ये है कि नई शराब नीति (Delhi Liquor Policy) से बड़े शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के मकसद से नियम बनाए गए. जिसके लिए दिल्लीवालों को सस्ती शराब बेची गई ताकि ज्यादा से ज्यादा शराब बिके. तो क्या वाकई ऐसा है? इसका फैसला आप खुद कीजियेगा, हम तो बस आपको नई शराब नीति और पुरानी शराब नीति में कुछ अंतर बता देते हैं.
नई नीति के तहत 100 फीसदी दुकानों को निजी हाथों में दे दिया गया. जबकि पुरानी शराब नीति में 60 फीसदी दुकानें सरकारी थीं और 40 फीसदी ही निजी हाथों में थीं. नई शराब नीति में होटलों के बार, क्लब और रेस्टॉरेंट को छत, गैलरी जैसी खुली जगह पर भी शराब पीने की छूट दी गई. पुरानी नीति के तहत खुले में शराब पीने पर रोक थी.
ऐसे समझें नई-पुरानी शराब नीति का अंतर
नई नीति (Delhi Liquor Policy) में सिर्फ तीन दिन ही Dry Day था. पुरानी नीति में साल में 21 दिन ड्राई डे था. नई नीति के तहत शराब बिक्री केंद्र को MRP पर छूट देने की अनुमति थी. जबकि पुरानी नीति में ऐसा नहीं था.
नई नीति में पिंक बूथ खोलने की अनुमति दी गई थी ताकि महिलाएं शराब का सेवन कर सकें, पुरानी नीति में ऐसा नहीं था. नई नीति के तहत दिल्ली में शराब पीने की कानूनी उम्र सीमा 25 वर्ष से घटकर 21 वर्ष कर दी गई. इसे शराब को बढ़ावा देने के नजरिये से भी देखा जा रहा है.
नई नीति के तहत दिल्ली में शराब की 650 दुकानें खुली. यानी एक जोन में 25 से 26 दुकानें. एक जोन के तहत 8-9 वार्ड शामिल किए गए हैं. ऐसे में हरेक वार्ड में 3 शराब की दुकानें. इससे हर इलाके में शराब आसानी से उपलब्ध होने लगी.
नई शराब नीति से दिल्ली सरकार का बढ़ गया राजस्व
अब इसका फायदा दिल्लीवालों को कितना मिला, ये तो बाद की बात है. लेकिन इससे दिल्ली सरकार और बड़े शराब कारोबारियों को तत्काल फायदा पहुंचा. इसके भी आंकड़े हमारे पास हैं. दिल्ली सरकार ने नई नीति (Delhi Liquor Policy) के जरिये हुई लाइसेंस की नीलामी से 8900 करोड़ रुपए कमाए हैं. ये नीलामी के लिए रखे गये बेस प्राइस से लगभग 26.7 प्रतिशत ज्यादा है.
इसके अलावा मनीष सिसोदिया ने दावा किया था कि नई पॉलिसी से सरकार को 3500 करोड़ रुपए का Extra Revenue मिलेगा, जिससे दिल्ली सरकार की कमाई बढ़कर 10 हजार करोड़ हो जाएगी. अब आप खुद तय कर लीजिये कि केजरीवाल सरकार की नई शराब नीति किसके लिए फायदेमंद थी और किसके लिए नुकसानदायक?
अरविंद केजरीवाल ने सिसोदिया को श्रेष्ठ शिक्षा मंत्री बताया
आम आदमी पार्टी और केजरीवाल सरकार से सवाल नई शराब नीति में हुई गड़बड़ियों पर पूछे जा रहे हैं. जिनके जवाब देने में केजरीवाल एंड कंपनी का मुंह सूख रहा है. इसलिए वो जो मुंह में आ रहा है, वो बोल रहे हैं. जो दिमाग में आ रहा है, वो कहानी बना रहे हैं. शराब नीति को लेकर मनीष सिसोदिया की मंशा पर उठ रहे सवालों के बीच अरविंद केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया को सर्वश्रेष्ठ शिक्षा मंत्री घोषित किया है.
इसके लिए न्यूयॉर्क टाइम्स के इंटरनेशनल प्रिंट एडिशन में 18 अगस्त को छपे एक लेख का जमकर प्रचार कर रहे हैं. इस रिपोर्ट में दिल्ली के सरकारी स्कूलों की जमकर तारीफ की गई है और इसका श्रेय मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को दिया गया है. रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया की तस्वीर भी लगी है. रिपोर्ट में केजरीवाल सरकार की तारीफों के पुल बांधते हुए कहा गया है कि केजरीवाल सरकार ने स्कूलों की ये तस्वीर बदलने में बड़ा बजट खर्च किया है. केजरीवाल ने शराब नीति पर उठ रहे सवालों के बचाव में न्यूयॉर्क टाइम्स की इस रिपोर्ट को अपना रक्षा कवच बनाया है.
बीजेपी ने AAP पर पेड न्यूज छपवाने का आरोप लगाया
केजरीवाल ने अपने बयान की शुरुआत में कहा कि न्यूयॉर्क टाइम्स में खबर छपवाना और छपना बड़ी बात होती है. ये बात बीजेपी ने पकड़ ली और आरोप लगाया कि इंटरनेशनल मीडिया में दिल्ली के स्कूलों को लेकर जो छापा गया है, वो पैसे देकर छपवाया गया है. इसके बाद बीजेपी नेताओं ने केजरीवाल सरकार को इसी मुद्दे पर घेरना शुरु कर दिया.
बीजेपी ने न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ दुबई के अखबार खलीज टाइम्स की कॉपी भी दिखाई. जिसमें न्यूयॉर्क टाइम्स वाला आर्टिकल छपा था . वो भी सेम टू सेम. दोनों में तस्वीरें भी एक जैसी थीं और खबर लिखने वाला रिपोर्टर भी एक ही था और कंटेंट भी एक जैसा ही था. इस आधार पर बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर इंटरनेशनल मीडिया में पेड न्यूज़ छपवाने का आरोप लगा दिया.
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