देश में बढ़ती आबादी पर नियंत्रण के लिए परिवार नियोजन (Population Control) कानून का सुझाव केंद्र सरकार का पसंद नहीं आया है. मोदी सरकार का कहना है कि इससे लोगों की स्वतंत्रता में खलल पड़ेगा और देश में कई प्रकार के विकार पैदा हो जाएंगे.
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नई दिल्ली: मोदी सरकार ने देश में जबरन परिवार नियोजन (Population Control) लागू करने के विचार का विरोध किया है. सरकार का कहना है कि निश्चित संख्या में बच्चों को जन्म देने की किसी भी तरह की बाध्यता हानिकारक होगी. इससे देश में कई तरह के जनसांख्यिकीय विकार पैदा हो जाएंगे.
देश में परिवार कल्याण कार्यक्रम स्वैच्छिक है- केंद्र सरकार
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करके कहा कि देश में परिवार कल्याण (Population Control) कार्यक्रम स्वैच्छिक है. यहां पर सभी दंपति अपने परिवार के आकार का फैसला करने के लिए स्वतंत्र हैं. वे अपनी इच्छानुसार परिवार नियोजन के तरीके भी अपना सकते हैं. इसमें किसी तरह की अनिवार्यता लागू करने से लोगों के इस अधिकार का हनन होगा.
'लोक स्वास्थ्य राज्य सरकार का विषय है'
मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा कि ‘लोक स्वास्थ्य’ राज्य के अधिकार का विषय है. राज्य सरकारों को स्वास्थ्य क्षेत्र में उचित और टिकाऊ तरीके से सुधार करने चाहिए. मंत्रालय ने कहा कि राज्य सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के लिए प्रभावी ढंग से विशेष हस्तक्षेप कर सकती हैं.
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बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका
बता दें कि देश में जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) की मांग को लेकर बीजेपी नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की हुई है. उन्होंने यह अपील दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर की है. जिसमें देश में बढ़ती आबादी पर नियंत्रण के लिए दो बच्चों के नियम समेत कुछ कदमों को उठाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी गई थी.
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चीन से अधिक हो चुकी है भारत की आबादी
दिल्ली हाई कोर्ट ने 3 सितंबर को याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि कानून बनाना संसद और राज्य विधायिकाओं का काम है, अदालत का नहीं. इस याचिका में कहा गया है कि भारत की आबादी चीन से भी अधिक हो गई है और यहां पर बड़ी संख्या में विदेशी भी घुस गए हैं. बढ़ती आबादी की वजह से 20 फीसदी भारतीयों के पास आधार कार्ड नहीं है. (इनपुट भाषा)