Police Rights: दोषियों के निशान-फोटो-रेटिना स्‍कैन को लेकर बने नए नियम, पुलिस को दिए गए ये अधिकार
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Police Rights: दोषियों के निशान-फोटो-रेटिना स्‍कैन को लेकर बने नए नियम, पुलिस को दिए गए ये अधिकार

Criminal Procedure Identification Act: इस कानून के तहत पुलिस वाले आपराधिक मामलों में जांच के लिए दोषियों और बंदियों के फिजिकल और बायोलॉजिकल नमूने तो लेंगे ही. साथ ही ये कानून मजिस्ट्रेट को किसी अपराध की जांच में मदद के लिए किसी शख्स के माप या तस्वीरें लेने का आदेश देने का भी अधिकार देता है.

Police Rights: दोषियों के निशान-फोटो-रेटिना स्‍कैन को लेकर बने नए नियम, पुलिस को दिए गए ये अधिकार

Home Ministry Notification: अब पुलिसवाले दोषियों और आरोपियों के शारीरिक और जैविक नमूने हासिल कर सकेंगे. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम 2022 के तहत नियमों को नोटिफाई किया है, जो पुलिसवालों को दोषियों व आरोपियों के फिजिकल और बायोलॉजिकल सैंपल हासिल करने का अधिकार देता है.

इस कानून के तहत पुलिस वाले आपराधिक मामलों में जांच के लिए दोषियों और बंदियों के फिजिकल और बायोलॉजिकल नमूने तो लेंगे ही. साथ ही ये कानून मजिस्ट्रेट को किसी अपराध की जांच में मदद के लिए किसी शख्स के माप या तस्वीरें लेने का आदेश देने का भी अधिकार देता है.

नियमों में कहा गया, एक अधिकृत शख्स यानी कोई पुलिस अधिकारी, केंद्र या राज्य सरकार का जेल अधिकारी - उंगलियों के निशान, हथेली के निशान, पैरों के निशान, फोटो, आइरिस, रेटिना स्कैन, फिजिकल, बायोलॉजिकल नमूने और उनका विश्लेषण, व्यवहार संबंधी विशेषताएं, दस्तखत, लिखावट या दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 53 या धारा 53 ए में संदर्भित किसी अन्य जांच से संबंधित 'माप' ले सकता है.

ऑथराइज्ड यूजर या माप लेने में कुशल कोई भी शख्स, सर्टिफाइड डॉक्टर या इस तरह से ऑथराइज्ड कोई अन्य शख्स किसी आपराधिक मामले में गिरफ्तार शख्स का माप ले सकता है. लेकिन इसके लिए कम से कम एसपी रैंक के अफसर से लिखित में मंजूरी लेना जरूरी है. इस अधिनियम ने कैदियों की पहचान अधिनियम, 1920 की जगह ली है. NCRB दोषियों का माप लेने के लिए एसओपी जारी करेगी, जिसमें इस्तेमाल होने वाले उपकरण, फॉर्मेट, माप डिजिटल होगा या फिजिकल, राज्य और केंद्र शासित प्रशासन माप को कैसे स्टोर और हैंडल करेगा, माप के लिए इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सिस्टम की जानकारी होगी.

इसमें यह भी कहा गया कि राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेश जो अपना इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सिस्टम इस्तेमाल कर रहे हैं, वे ऐसा एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस मुहैया कराएंगे, ताकि माप के रिकॉर्ड्स NCRB के साथ भी साझा किए जा सकें. आगे कहा गया कि अगर कोई शख्स, जिसका माप कानून के तहत लिया जाना है, वह मना करता है तो ऑथराइज्ड शख्स कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर, 1973 (1972 का 2) के तहत माप ले सकता है.

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