Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 को ले जाने वाला रॉकेट कितने हिस्से में और कहां-कहां गिरा?
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Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 को ले जाने वाला रॉकेट कितने हिस्से में और कहां-कहां गिरा?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बताया कि मंगलवार को चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान के कक्षा उन्नयन की तीसरी प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया गया. राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी मुख्यालय ने कहा कि मिशन की अगली प्रक्रिया को 20 जुलाई को दो से तीन बजे के बीच अंजाम दिए जाने की योजना है.

Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 को ले जाने वाला रॉकेट कितने हिस्से में और कहां-कहां गिरा?

चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बाद उसे लेकर जाने वाला रॉकेट (लॉन्च व्हीकल मॉड्यूल-3) चंद्रयान-3 को उसकी तय कक्षा में पहुंचाने के बाद चंद्रयान से अलग हो गया. इसके बाद रॉकेट कई हिस्सों में चंद्रयान से अलग होकर नीचे गिरे. चंद्रमा के लिये चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई को सफलता पूर्वक लॉन्च किया गया था.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बताया कि मंगलवार को चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान के कक्षा उन्नयन की तीसरी प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया गया. राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी मुख्यालय ने कहा कि मिशन की अगली प्रक्रिया को 20 जुलाई को दो से तीन बजे के बीच अंजाम दिए जाने की योजना है.

एजेंसी ने कहा, “तीसरी कक्षा उन्नयन प्रक्रिया आईएसटीआरएसी (इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमान नेटवर्क)/इसरो, बेंगलुरु से सफलतापूर्वक पूरी की गई.” सवाल है कि चंद्रयान-3 को उसकी 179.192 किलोमीटर ऊंची ऑर्बिट में छोड़ने के बाद LVM-3 रॉकेट 4 हिस्सों में बंटकर अलग-अलग जगहों पर गिरा. 

पहला हिस्सा

रॉकेट का पहला हिस्सा लॉन्चिंग के 2:07 मिनट बाद 62.17 किलोमीटर की ऊंचाई की दूरी तय करने के बाद अलग हो गए. इस हिस्से का नाम S200 रखा गया था. इस हिस्से के बंगाल की खाड़ी में कहीं गिरने की संभावना जताई गई है. जानकारी के मुताबिक, नौसेना या भारतीय तटरक्षक बल इसकी तलाश कर लेगी.

दूसरा हिस्सा

दूसरे हिस्से के रूप में रॉकेट का सबसे ऊपरी हिस्सा चंद्रयान-3 से अलग हुआ. यह 114 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद अलग हो गया. ये जिस क्षेत्र में अलग हुआ वहां जीरो ग्रैविटी होती है. ऐसे में ये धीरे-धीरे धरती की तरफ आती है और धरती की सतह तक आते-आते इसका आधे से ज्यादा हिस्सा जल चुका होता है.

तीसरा हिस्सा

चंद्रयान से अलग होने वाले रॉकेट के तीसरे हिस्से को L110 कहते हैं. ये रॉकेट का इंजन होता है. ये 175 किलोमीटर की ऊंचाई के बाद अलग हुआ. ये भी जीरो ग्रैविटी में तैर रहा है और कुछ दिनों बाद पृथ्वी की ग्रैविटी में एंट्री करेगा.

चौथा हिस्सा

चंद्रयान-3 को 176.57 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचाने वाला क्रायोजेनिक इंजन सबसे आखिर में चंद्रयान-3 अलग होता है. इसके बाद चंद्रयान-3 चांद के सफर पर आगे निकल जाता है.

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