यहां एक सरकारी प्राइमरी स्कूल के बच्चे मिड डे मील खाने से पहले अपनी थाली और प्लेट पास के गंदे तालाब के पानी से धोने के लिए मजबूर हैं.
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कैशांबी: देश के प्रधानमंत्री आम आदमी के साथ सरकारी कर्मचारियों को स्वच्छता का कितना भी पाठ पढ़ाएं, लेकिन सरकारी स्कूलों के टीचर स्वच्छता मिशन को पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे. मामला उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले का है. यहां एक सरकारी प्राइमरी स्कूल के बच्चे मिड डे मील खाने से पहले अपनी थाली और प्लेट पास के गंदे तालाब के पानी से धोने के लिए मजबूर हैं.
6 महीने से खराब है स्कूल का हैंडपंप
इसकी वजह ये है कि स्कूल का हैंडपंप 6 महीने से खराब पड़ा है. और किसी को इसे बनवाने की सुध नहीं है. इस घटना से सरकारी स्कूलों में स्वच्छता का मजाक ही नहीं बना रहा बल्कि मासूम बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ भी हो रहा है. इससे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि गंदे पानी में अपनी प्लेटें धोने के लिए ये बच्चे स्कूल से करीब 1 किलोमिटर दूर पैदल चलकर जाते हैं.
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खेतों के पानी से भी धो लेते हैं प्लेट
एक छात्रा ने बताया कि स्कूल का हैंडपंप खराब है उसमें से पानी नहीं आता इसलिए हमें पास के गड्ढे में जमा पानी से अपना बर्तन धोना पड़ता है. उसने कहा कि खाना आने से पहले हम सब अपना बर्तन धो आते हैं. छात्रा ने कहा कि कभी-कभी हम खेतों में छोड़े जा रहे पानी से भी अपना बर्तन धो लेते हैं.
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हेडमास्टर ने कहा- शिक्षा विभाग सुनता ही नहीं
इस बारे में पूछने पर स्कूल के हेडमास्टर चंद्र प्रकाश ने कहा कि वह क्या करें हैंडपंप पिछले 6 महीने से खराब पड़ा है. उन्होंने कहा कि हमने इस बारे में शिक्षा विभाग के अधिकारियों को चिट्ठी लिखी लेकिन कोई सुनता ही नहीं. वहीं, जिला के डीएम जांच कराने की बात छोड़ सरकारी योजनाओं का बखान करते नजर आए.