सरहद पर तनातनी के बीच चीन बाज नहीं आ रहा है.
Trending Photos
नई दिल्ली: सरहद पर तनातनी के बीच चीन बाज नहीं आ रहा है. वह पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी के बाद अब उत्तरी लद्दाख के डेपसांग में फौजों की संख्या बढ़ा रहा है. इस तरह उसने नया मोर्चा खोल दिया है. नतीजतन दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) में तैनात भारतीय सैनिकों की संख्या बढ़ाई गई. इस क्षेत्र में 2013 में दोनों पक्षों के बीच लंबा तनाव देखा जा चुका है.
भारत ने भी चीन की चुनौती से निपटने के लिए कमर कस ली है और भारत ने अपने सबसे अच्छे टी-90 टैंकों को लद्दाख में तैनात कर दिया है. भारत-चीन के बीच लद्दाख में शुरू हुए सीमा विवाद को अब दो महीने होने वाले हैं. खबरों के मुताबिक चीन ने अपनी सीमा में टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों, तोपों और सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है. जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत ने भी अपने सबसे भरोसेमंद हथियार को लद्दाख के मोर्चे पर पहुंचा दिया है.
टी-90 टैंकों की तैनाती
लद्दाख के खुले मैदान टैंकों के लिए बहुत अच्छा मौका देते हैं. यहां पूर्वी लद्दाख के स्पांगुर गैप से होकर सीधे चीन के अंदर जा सकते हैं. इसके अलावा डेमचौक इलाक़े में जिसे इंडल वैली कहते हैं, के पांच महत्वपूर्ण पासों की सुरक्षा का ज़िम्मा भी ये टैंक संभाल सकते हैं. दोनों ही इलाकों में खुले हुए मैदान हैं जहां टैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है. यहां जमीन रेतीली है इसलिए टैंकों के जरिए तेजी से आगे बढ़ना आसान है. स्पांगुर गैप या डेमचौक दोनों ही जगहों से चीन का महत्वपूर्ण जी 219 हाईवे 50 किमी से ज्यादा दूर नहीं है. अगर लड़ाई भड़की तो चीन के लिए इस हाईवे की सुरक्षा करना सबसे ज़रूरी होगा. उस समय ये हाईवे भारतीय टैंकों के लिए आसान निशाना होंगे.
ये भी देखें-
लद्दाख में भारत ने 2016 में टैंकों की पहली ब्रिगेड तैनात की थी. इसमें टी-72 टैंक तैनात किए गए थे. लेकिन चीन की तरफ से टी 95 टैंकों की तैनाती की खबरों के बाद भारतीय सेना ने टी 90 टैंकों को मैदान में उतार दिया है. 1962 की लड़ाई में भी भारतीय सेना ने लद्दाख के मोर्चे पर हल्के एएसएक्स टैंकों को भेजा था. इन टैंकों ने चुशूल, पेंगांग झील इलाक़े में चीनी सेना का डटकर मुक़ाबला किया था और उसे रोका था. पुराने अनुभव के आधार पर भारतीय सेना जानती है कि पूर्वी लद्दाख के ठंडे रेगिस्तान में अच्छे टैंक लड़ाई का रुख बदल सकते हैं.