Trending Photos
पॉडकास्ट-
नई दिल्ली: असम राइफल्स के जवानों पर हुए हमले में शहीद कर्नल त्रिपाठी, उनकी पत्नी और उनके 8 साल के बच्चे के पार्थिव शरीर को सोमवार को छत्तीसगढ़ में उनके घर पहुंचाया गया. कर्नल त्रिपाठी सिर्फ 41 साल के थे और शनिवार को जब वो एक कार्यक्रम में हिस्सा लेकर 46 असम राइफल्स की अपनी यूनिट और परिवार के साथ अपने हेडक्वार्टर की ओर वापस लौट रहे थे तब कुछ आतंकवादियों ने घात लगाकर उन पर हमला कर दिया. इस हमले में कर्नल त्रिपाठी समेत 5 जवान शहीद हो गए और उनकी पत्नी और 8 साल के बच्चे की भी मृत्यु हो गई.
कर्नल त्रिपाठी के बेटे का नाम अबीर था. कुछ समय पहले अबीर ने एक कार्यक्रम में शहीद भगत सिंह का किरदार निभाया था. तब इस 8 साल के बच्चे ने कहा था जिंदगी तो अपने दम पर जी जाती है, कंधों पर तो जनाजे उठते हैं. लेकिन तब शायद इस छोटे से बच्चे को ये एहसास भी नहीं रहा होगा कि एक दिन ये अपने पिता के साथ ही शहीद हो जाएगा.
घात लगाकर हमला करने वाले आतंकवादी मणिपुर और म्यांमार के बॉर्डर के रास्ते मणिपुर के चूरा-चांदपुर जिले में दाखिल हुए थे और जिस जगह पर ये हमला हुआ वो म्यांमार सीमा से कुछ ही किलोमीटर दूर है. मणिपुर और म्यांमार के बीच 398 किलोमीटर लंबा बॉर्डर है, जिसका ज्यादातर हिस्सा असुरक्षित है यानी यहां किसी तरह की दीवार नहीं है.
शनिवार को ये हमला तब हुआ जब कर्नल त्रिपाठी 46 असम राइफल्स की Quick Reaction Team और अपने परिवार के साथ बेहियांग बॉर्डर पोस्ट से खुगा में मौजूद अपनी बटालियन के हेडक्वार्टर में लौट रहे थे. जब उनका काफिला इसी इलाके में मौजूद एस सेहकेन नामक गांव के पास से एक सिंगल लेन सड़क से गुजर रहा था तब आतंकवादियों ने पहले इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस यानी IED की मदद से धमाका किया और फिर कर्नल त्रिपाठी और उनकी टीम पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. कर्नल त्रिपाठी और उनकी टीम इस इलाका में ना सिर्फ आतंकवादियों के लिए मौत का दूसरा नाम बनी हुई थी बल्कि वो और उनकी टीम इस रास्ते से होने वाली ड्रग्स तस्करी को भी बहुत हद तक रोकने में कामयाब रहे थे, और माना जा रहा है कि इसी वजह से आतंकवादियों के निशाने पर कर्नल त्रिपाठी थे.
इस हमले की जिम्मेदारी People's Libration Army of Manipur और Manipur Naga People's Front ने ली है. Zee News के हाथ लगी जानकारी के मुताबिक आतंकवादियों का नेतृत्व Self Styled Lieutenant साना-टोंबा कर रहा था जो मणिपुर के टेन्था खोनोऊ बाजार का रहने वाला है. ये हमला 12 आतंकवादियों के एक समूह ने किया था जिसमें 3 आतंकवादी Manipur Naga Peopel's Front के थे. सूत्रों के मुताबिक आतंकवादियों की ये टीम हमला करने के बाद भारत-म्यांमार बॉर्डर को पार करके वापस लौट गई.
म्यांमार में इस समय सेना का शासन है और माना जाता है कि वहां चीन का दखल भी हर दिन बढ़ रहा है. हमने जब इस पूरे हमले की तहकीकात की तो हमें समझ आया कि उत्तर पूर्व में चीन भारत की सेना के खिलाफ वैसे ही काम कर रहा है जैसे पश्चिम में पाकिस्तान करता है, जैसे पाकिस्तान भारत को अस्थिर करने के लिए आतंकवादियों की मदद लेता है, वैसे ही चीन लंबे अर्से से उत्तर पूर्वी राज्यों में आतंकवादियों को फंडिंग, ट्रेनिंग और हथियार मुहैया करा रहा है.
ऐसे अंजामों को चीन की शरण मिल रही है, इसका एक पुख्ता सबूत आज तब मिला, जब दक्षिण अरुणाचल प्रदेश में भारत-म्यांमार सीमा के पास असम राइफल्स ने NSCN K.YA के 3 आतंकवादियों को मार गिराया. ये आतंकवादी 2 नागरिकों का अपहरण करके उन्हें म्यांमार ले जाने का प्रयास कर रहे थे. इन आतंकवादियों के पास से 3 हथियार मिले जिनमें से 1 चीन में बनी क्लाशनिकोव राइफल थी. ये ऑपरेशन अरुणाचल प्रदेश के खोगला और काइमोई के बीच हुआ जो भारत-म्यांमार बॉर्डर से सिर्फ 10 किलोमीटर दूर है.
इसी तरह शनिवार को मणिपुर में जिन आतंकवादी संगठनों ने हमला किया था उनके तार भी चीन से जुड़े हो सकते हैं. क्योंकि चीन उत्तर पूर्व में आतंकवादियों की हर संभव मदद करता है. इतना ही नहीं मणिपुर की People's Libration Army के People's Libration Army Of China के साथ भी संबध हैं. मणिपुर की People's Libration Army के पास 600 से 700 आतंकवादी हैं जो भारत-म्यांमार सीमा के पास ऑपरेट करते हैं और जब भी भारत इनके खिलाफ कार्रवाई करता है तो ये म्यांमार वापस भाग जाते हैं. म्यांमार और चीन की सीमा के पास चीन का एक प्रांत है जिसका नाम है यूनान. यूनान के रुइली इलाके में ही आतंकवादी संगठन United Liberation Front of Assam यानी उल्फा के कमांडर परेश बरुआ को शरण मिली हुई है और जानकारी के मुताबिक चीन परेश बरुआ के नेटवर्क का इस्तेमाल करके उत्तर पूर्वी राज्यों में अपने हथियार पहुंचाता है. इसके अलावा People's Libration Army of Manipur के म्यांमार के यंगून, मेंडले और सेगैंग में हेडक्वार्टर भी है. इसके अलावा ये संगठन चीन से सटे म्यांमार के Wa (वा) इलाके से भी ऑपरेट करता है और यहां भी इसे आसानी से चीन की मदद मिल जाती है.
इसके अलावा चीन, म्यांमार के सैनिक शासन के साथ अपने संबंध मजबूत कर रहा है जिससे उत्तर पूर्व के आतंकवादी संगठनों का काम और आसान हो गया है. बता दें कि भारत और म्यांमार की सीमा 1643 किलोमीटर लंबी है जो अरुणाचल प्रदेश (520), नागालैंड (215), मणिपुर (398) और मिजोरम (510) से होकर गुजरती है. चीन की नजर इन्हीं इलाकों पर है और वो इन रास्तों से भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देना चाहता है.
LIVE TV