CJI Chandrachud News: सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जजों को 'मजबूत कॉमन सेंस' का इस्तेमाल करना चाहिए. सीजेआई चंद्रचूड़ के मुताबिक, ट्रायल जज जमानत न देकर सुरक्षित खेलते हैं.
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Chief Justice D Y Chandrachud: प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने रविवार को जजों से कहा कि वे 'कॉमन सेंस' का इस्तेमाल करें. सीजेआई ने कहा, 'आज समस्या यह है कि हम ट्रायल जजों द्वारा दी गई किसी भी राहत को संदेह की दृष्टि से देखते हैं. इसका अर्थ यह है कि ट्रायल जज गंभीर अपराधों के महत्वपूर्ण मामलों में जमानत देने से बचते हुए तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.' उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण आपराधिक मामलों में, संदेह की गुंजाइश रहने की स्थिति में निचली अदालत के जज जमानत देकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं.
'निचली अदालतों से ही मिल जानी चाहिए जमानत'
सीजेआई ने हर प्रत्येक मामले की बारीकियों पर गौर करने के लिए सामान्य समझ और विवेक का इस्तेमाल करने की जरूरत पर जोर दिया. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, 'जिन लोगों को निचली अदालतों से जमानत मिलनी चाहिए, उन्हें वहां जमानत नहीं मिल रही है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें हमेशा हाई कोर्ट्स का रुख करना पड़ता है.' उन्होंने कहा, 'जिन लोगों को हाई कोर्ट्स से जमानत मिलनी चाहिए, जरूरी नहीं कि उन्हें जमानत मिल जाए और इस कारण उन्हें सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ता है. यह देरी उन लोगों की समस्या को और बढ़ा देती है जो मनमाने तरीके से गिरफ्तारियों का सामना कर रहे हैं.'
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सीजेआई चंद्रचूड़ 'तुलनात्मक समानता और भेदभाव-रोधी बर्कले केंद्र के 11वें वार्षिक सम्मेलन' के दौरान अपने भाषण के अंत में एक सवाल का जवाब दे रहे थे. यह सवाल, मनमाने ढंग से की गई गिरफ्तारियों के बारे में पूछा गया था. प्रश्न पूछने वाले व्यक्ति ने कहा, 'हम ऐसे समाज में रह रहे हैं जहां पहले कृत्य किया जाता है और फिर बाद में माफी मांगी जाती है. यह बात विशेष रूप से उन लोक प्राधिकारियों के लिए सच हो गई है जो राजनीतिक रूप से प्रेरित होकर कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों, पत्रकारों और यहां तक कि विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों समेत नेताओं को हिरासत में ले रहे हैं.'
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'हर मामले की बारीकियां देखें जज'
सवाल पूछने वाले ने कहा कि ये सभी कृत्य इस पूर्ण विश्वास के साथ किए जाते हैं कि न्याय बहुत धीमी गति से मिलता है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने इसके जवाब में कहा कि उच्चतम न्यायालय लगातार यह बताने की कोशिश कर रहा है कि इसका एक कारण देश में संस्थाओं के प्रति अंतर्निहित अविश्वास भी है. चीफ जस्टिस ने कहा कि न्यायाधीशों को प्रत्येक मामले की बारीकियों और सूक्ष्मताओं को देखना होगा. उन्होंने कहा कि ज्यादातर मामले सुप्रीम कोर्ट में आने ही नहीं चाहिए. प्रधान न्यायाधीश ने कहा 'हम जमानत को प्राथमिकता इसलिए दे रहे हैं ताकि पूरे देश में यह संदेश जाए कि निर्णय लेने की प्रक्रिया के सबसे प्रारंभिक स्तर पर मौजूद लोगों (न्यायिक अधिकारियों) को यह विचार किये बिना अपना कर्तव्य निभाना चाहिए कि उन्हें कोई जोखिम नहीं है.' (एजेंसी इनपुट्स)