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मुजफ्फरपुर: बिहार की एक अदालत में जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) के खिलाफ एक परिवाद पत्र (कंप्लेंट केस) दायर किया गया है. इस कंप्लेंट में उन पर देश की एकता और अखंडता को खतरे में डालने का आरोप लगाया गया है.
मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रकिशोर पराशर ने यह केस दायर किया है. अपने वकील कमलेश के जरिए दायर करवाए गए इस कंप्लेंट केस (Complaint Case) में महबूबा मुफ्ती के बयानों को देश के लिए खतरनाक बताया गया है.
कंप्लेंट केस में कहा गया है कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र की व्यवस्था दुरूस्त करने के सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. उस बैठक से पहले और बाद में महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की बहाली, विशेष राज्य का दर्जा पुन: बहाल करने और पाकिस्तान से बात करने की मांग कर डाली.
कंप्लेंट केस में आरोप लगाया गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री का यह बयान एक सोची समझी साजिश के तहत दिया गया. जिसका उद्देश्य जम्मू कश्मीर में शांति बहाली और लोकतांत्रिक व्यवस्था को प्रभावित करना था. इसके साथ ही लोगों में भ्रम फैलाते हुए देश की एकता और अखंडता को खतरे में डालने की कोशिश भी की गई.
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याचिकाकर्ता चंद्रकिशोर पराशर ने कहा कि समाचार पत्रों और चैनलों में महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) की टिप्पणियों से वे आहत हुए हैं और उन्हें मानसिक अशांति पहुंची है. अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि 7 जुलाई मुकर्रर की है.
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