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नई दिल्ली: अपने शासनकाल में चीन (China) को लेकर सरेंडर की नीति पर कायम रही कांग्रेस (Congress) को अब बीजिंग की आक्रामकता से चिंता हो रही है. पार्टी के वरिष्ठ नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने गुरुवार को कहा कि चीन की आक्रामक कूटनीति (वुल्फ वरियर डिप्लोमेसी) भारत के अनुभवों के हिसाब से अब आगे निकलकर हावी होने की स्थिति में पहुंच गई है. ऐसे में भारत को उचित रक्षा तैयारियां करते हुए ड्रैगन के साथ कुशल कूटनीति के जरिए शांति सुनिश्चित करनी चाहिए.
'इंडिया ग्लोबल’ फोरम सत्र के दौरान कांग्रेस सरकार में विदेश राज्य मंत्री रहे शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के नेतृत्व में चीन अच्छे अवसरों की प्रतीक्षा करने वाले उस रुख में बदलाव कर रहा है जो आधुनिक चीन के शिल्पी कहे जाने वाले नेता डेंग श्याओपिंग के तहत अपनाया गया था. क्योंकि वह चाहते थे कि चीन प्रगति करे और मजबूत एवं समृद्ध बने, लेकिन विनम्र रहे पर अब ऐसा नहीं है.
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पिछले साल गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीनी सैनिकों की आक्रामकता का उल्लेख करते हुए थरूर ने कहा कि यह कोई छोटा मामला नहीं था. क्योंकि इस घटना से पहले करीब आधी सदी तक भारत-चीन सीमा पर शांति थी. लोकसभा सदस्य ने आगे कहा कि चीन अचानक से हमारे क्षेत्र में घुस गया, हमारे सैनिकों ने विनम्रतापूर्व उसे जाने के लिए कहा और उसने हिंसक रूप अख्तियार कर लिया. इससे पता चलता है कि भारतीय अनुभवों में चीन की आक्रामक कूटनीति बयानबाजी से आगे निकल गई है और यह शक्ति प्रदर्शन से आगे बढ़कर हावी होने तक पहुंच गई है. इसे हम हल्के में लेने का जोखिम मोल नहीं ले सकते.
कांग्रेस नेता थरूर ने कहा कि भारत को अपनी रक्षा की उचित तैयारियां करने के साथ चीन के साथ कुशल कूटनीति के जरिए शांति सुनिश्चित करनी चाहिए. बता दें कि ‘वुल्फ वरियर डिप्लोमेसी’ शब्दावली का उपयोग चीन के राजनयिकों के टकराव वाले बयानों के संदर्भ में किया जाता है. गौरतलब है कि पिछले साल हुई गलवान हिंसा के बाद से दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण हैं. हालांकि, रिश्ते सामान्य करने के लिए कई दौर की बातचीत भी हुई है, लेकिन चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है.