Corona: लोगों की जान बचाने के लिए सरकार का फैसला, 50 हजार मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन होगी इंपोर्ट
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Corona: लोगों की जान बचाने के लिए सरकार का फैसला, 50 हजार मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन होगी इंपोर्ट

देश में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही ऑक्सीजन सिलेंडरों की भी किल्लत होने लगी है. इसे देखते हुए सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है.

मेडिकल ऑक्सीजन के सिलेंडर ले जाते मरीज के परिजन (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: देश में मेडिकल ऑक्सीजन (Medical Oxygen) की कमी से निबटने के लिए सरकार अब इसका इंपोर्ट करेगी. फिलहाल 50 हजार मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन के इंपोर्ट का फैसला किया गया है. सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार के Empowered Group-2 (EG2) ने कोरोना से जूझ रहे 12 राज्यों में ऑक्सीजन (Medical Oxygen) की जरूरतों का आकलन शुरू कर दिया है. PM-CARES Fund की मदद से देश में 100 नए अस्पताल बनाए जा रहे हैं. जिनमें ऑक्सीजन प्लांट भी लगे होंगे. इनके अलावा 50 हजार मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन बाहर के देशों से इंपोर्ट की जाएगी. 

  1. कोरोना से जूझ रहे हैं ये 12 राज्य
  2. मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति बना बड़ा मुद्दा
  3. PSA प्लांट लगाने पर जोर

दिल्ली में गुरुवार को हुई EG2 की बैठक में देश में अनिवार्य मेडिकल उपकरणों और ऑक्सीजन की उपलब्धता पर चर्चा की गई. बैठक में चर्चा के बाद 3 बड़े फैसले लिए गए. जिनमें पहला यह था कि कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देश के 12 राज्यों में मेडिकल ऑक्सीजन (Medical Oxygen) की उपलब्धता जांची जाए. गंभीर कोरोना मरीजों का जीवन बचाने में मेडिकल ऑक्सीजन बहुत जरूरी होती है. 

जिन राज्यों में कोरोना के केस सबसे ज्यादा बढ़ रहे हैं. उनमें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान शामिल हैं. महाराष्ट्र में मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड राज्य में कुल ऑक्सीजन निर्माण क्षमता से भी ज्यादा हो चुकी है. वहीं मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन निर्माण के लिए कोई प्रॉडक्शन सेंटर नहीं है. वहीं गुजरात, कर्नाटक और राजस्थान जैसे राज्यों में ऑक्सीजन का उत्पादन होता है लेकिन वहां भी इसकी डिमांड बहुत बढ़ गई है. 

मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति बना बड़ा मुद्दा

अगले कुछ हफ्तों में मेडिकल ऑक्सीजन (Medical Oxygen) की आपूर्ति पर स्पष्टता और आश्वासन देने के लिए DPIIT, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (MOHFW), केंद्रीय इस्पात मंत्रालय, संबंधित राज्य और पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन (PESO) ने मिलकर एक संयुक्त एक्सरसाइज किया. इस एक्सरसाइज में ऑक्सीजन निर्माण इकाइयों के उत्पादक भी शामिल हुए. इस एक्सरसाइज में राज्यों की डिमांड और मेडिकल ऑक्सीजन की कुल उत्पादन क्षमता का मिलान किया गया. इसके साथ राज्यों को मेडिकल ऑक्सीजन के बेहतर उपयोग का तरीका बताने के लिए रूपरेखा भी बनाई गई. 

जानकारी के मुताबिक कोरोना से सबसे प्रभावित 12 राज्यों ने 4880 MT, 5619 MT और 6593 MT मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड भेजी थी. जिसके आधार पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मेडिकल ऑक्सीजन के इंपोर्ट के आदेश जारी किए हैं. 

PSA प्लांट लगाने पर जोर

बैठक में जिस दूसरे बिंदु पर चर्चा की गई, वह Pressure Swing Adsorption (PSA) वाली 100 अस्पतालों की पहचान करना था. PSA तकनीक रखने वाले अस्पताल खुद की ऑक्सीजन बनाने में सफल रहते हैं, जिससे मेडिकल ऑक्सीजन की नेशनल ग्रिड पर बोझ कम होता है. PM-Cares फंड ने ऐसे 162 PSA प्लांट बनाने के लिए फंड जारी किया था. इसके साथ ही 100 ऐसे अस्पतालों की पहचान की जा रही है, जो अपने यहां ये प्लांट लगा सकें, जिससे देश में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी न रहे. 

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मेडिकल ऑक्सीजन आयात होगी

बैठक में तीसरा बड़ा फैसला 50 हजार मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन के आयात का लिया गया. EG2 ने इस संबंध में जल्द ही टेंडर जारी करने का फैसला लिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी उसे अपने काम में तेजी लाने का निर्देश दिया है. 

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