Omicron पर सामने आए तीन बड़े खुलासों ने इस वेरिएंट के खतरे को और भी बढ़ा दिया है. इसके बाद से सरकारों में इस वेरिएंट से लोगों को बचाने की चुनौती और बढ़ गई है.
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नई दिल्ली: Omicron पर सामने आए तीन बड़े खुलासों ने इस वेरिएंट के खतरे को और भी बढ़ा दिया है. इसके बाद से सरकारों में इस वेरिएंट से लोगों को बचाने की चुनौती और बढ़ गई है.
कर्नाटक सरकार राज्य में ऐसे 10 संदिग्ध लोगों को ढूंढ रही है, जो पिछले दिनों दक्षिण अफ्रीका से आए थे. ऐसी आशंका है कि ये लोग नए वेरिएंट से संक्रमित हो सकते हैं. कर्नाटक सरकार ने बताया है कि इन सभी लोगों ने एयरपोर्ट पर अपना जो पता बताया था, वो फर्जी निकला है. यानी जहां इन लोगों ने रुकने की बात कही थी, वहां ये लोग नहीं मिले हैं. अब इन सभी लोगों के Mobile Phone Switched off आ रहे हैं.
आन्ध्र प्रदेश सरकार भी High Risk वाले देशों से आए 30 लोगों को ढूंढ रही है. आरोप है कि इन लोगों ने भी एयरपोर्ट पर अपने गलत पते की जानकारी दी और इसके बाद अपना मोबाइल फोन नंबर भी कर लिए. मान लीजिए अगर ये 40, 50 लोग अलग अलग शहरों में भी फैले होंगे तो ये वेरिएंट आने वाले दिनों में कितना खतरनाक रूप ले सकता है. ये बीमारी ईमानदारी से स्वीकार करने की है. इस बीमारी में झूठ बोलना कई लोगों की जान लेने के बराबर है और इन लोगों ने ऐसा ही किया है.
केन्द्र सरकार ने बताया है कि High Risk वाले देशों से पिछले कुछ दिनों में 16 हज़ार यात्री लौटे हैं. जिनमें से केवल 18 लोग कोरोना (Coronavirus) से संक्रमित मिले हैं. इसके अलावा शुक्रवार को जयपुर में भी दक्षिण अफ्रीका से लौटे एक परिवार में कोरोना के 9 मामले मिले. इस परिवार के 4 लोग, पिछले दिनों दक्षिण अफ्रीका से आए थे. जब इनका RT-PCR टेस्ट हुआ तो ये सभी पॉजिटिव मिले. ये लोग Omicron से संक्रमित हैं या नहीं, इसकी जांच के लिए इनके Samples की Genome Sequencing की जा रही है.
World Health Organization ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों को चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि उन्हें अपने Health Care सिस्टम को मज़बूत करना होगा. इसके साथ ही जल्द से जल्द लोगों को वैक्सीन लगवानी होगी ताकि कोविड-19 के बढ़ते हुए मामलों से निपटा जा सके.
Omicron के ख़तरे के बीच भारत में वैक्सीन के Booster डोज़ की मांग तेज़ हो गई है. केरल, महाराष्ट्र और कर्नाटक ने केन्द्र सरकार से वैक्सीन के Booster डोज़ को मंज़ूरी देने के लिए कहा है. इसके अलावा Genome Sequencing की निगरानी करने वाली 28 Labs के एक संगठन ने भी केंद्र सरकार से 40 वर्ष और इससे अधिक उम्र के लोगों के लिए Booster Dose पर विचार करने की सिफारिश की है.
Booster Dose का मतलब है,वैक्सीन की तीसरी डोज. यानी दो डोज़ लगाने का फैसला तो पहले से निर्धारित है. अब तीसरी डोज़ लगाने की मांग की जा रही है. अभी अमेरिका, इज़रायल, ब्रिटेन, कनाडा और जर्मनी समेत कई यूरोपीय देशों में 18 वर्ष से ऊपर के लोगों को Booster डोज़ लगाई जा रही है. भारत में भी जल्द इस पर विचार हो सकता है.
Omicron का दायरा दुनिया के 29 देशों से 33 देशों में फैल चुका है, जहां 393 लोग अब तक इस वायरस से संक्रमित हुए हैं. हालांकि राहत की बात ये है कि इस नए वेरिएंट का पहला मामला 24 नवंबर को मिला था. तब से लेकर अब तक दुनिया में किसी भी मरीज की इससे मौत की खबर नहीं आई है. ये एक अच्छा संकेत है. हो सकता है कि ये बात सही निकले कि ये वेरिएंट ज्यादा संक्रामक तो हो लेकिन ख़तरनाक नहीं. हालांकि इस पर अब भी कुछ ठोस अध्ययन का इंतज़ार करना होगा.
केन्द्र सरकार ने शुक्रवार को राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को पत्र लिख कर कुछ सलाह भी दी है. जैसे कि जो यात्री High Risk वाले देशों से लौट रहे हैं, उनसे जुड़ी सभी जानकारी Air Suvidha Portal में रिकॉर्ड की जाए और यात्रियों की निगरानी के लिए कड़े कदम उठाए जाएं. अभी कई राज्यों में ऐसा देखा गया है कि वहां दूसरे देशों से आए यात्री एयरपोर्ट से निकलने के बाद गायब हो गए हैं. उदाहरण के लिए कर्नाटक के 10 संदिग्ध यात्री, जिनके बारे में हम आपको बता चुके हैं. ये लोग झूठ बोल कर एयरपोर्ट से फरार हो गए हैं.
केन्द्र सरकार ने सभी ज़िलों में कोरोना (Coronavirus) की टेस्टिंग बढ़ाने और संक्रमित मरीज़ों के Samples की Genome Sequencing कराने के लिए भी कहा है. अब तक हुए शोध में यही पता चला है कि कोरोना का RT-PCR टेस्ट संक्रमण के बारे में तो पता लगा सकता है. लेकिन इससे ये पता नहीं चलता कि कोई व्यक्ति कोरोना के पुराने वेरिएंट से संक्रमित है या नए वेरिएंट से. यानी घूम फिर कर Genome Sequencing ज़रूरी हो जाती है.
हालांकि इस तकनीक में भी कुछ चुनौतियां हैं. ये प्रक्रिया धीमी, जटिल और महंगी है. जबकि वायरस किसी भी व्यक्ति को ज़्यादा समय नहीं देता. मान लीजिए कि किसी संक्रमित मरीज़ के Samples की Genome Sequencing चार दिन में होती है. तो तब तक उस मरीज़ को Omicron वेरिएंट के लिए संदिग्ध ही माना जाएगा. हो सकता है कि अगर वो इससे संक्रमित हुआ तो ये दूसरे लोगों में भी फैल जाए.
इसलिए आप कह सकते हैं कि नए वेरिएंट ने इस कमी को भी उजागर किया है. आपने देखा होगा कि कोरोना का हर वेरिएंट किसी ना किसी कमी का फायदा उठा कर ही अपने विस्तार को बढ़ाता है. जैसे शुरुआती वेरिएंट ने भारत में मेडिकल उपकरणों की कमी की पोल खोली थी. डेल्टा वेरिएंट ने ऑक्सीजन की कमी के संकट को उजागर किया था और अब ये वेरिएंट बहुत धीमी गति से पकड़ में आ रहा है. जबकि इसके फैलने की गति Delta से 5 से 7 गुना अधिक हो सकती है.
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हालांकि केन्द्र सरकार ने ये भी कहा है कि भारत में इस बीमारी की गंभीरता कम रह सकती है. इसकी पीछे तर्क ये है कि Delta वेरिएंट और Vaccination के बाद भारत में बड़े पैमाने पर लोगों में Immunity पैदा हुई है. यानी ज्यादातर लोग या तो पहले ही इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं या उन्होंने वैक्सीन लगवा कर अपने शरीर में रक्षा कवच तैयार कर लिया है. इसलिए नया डेटा और शोध आने तक ये माना जा सकता है कि ये वेरिएंट भारत में ज्यादा गम्भीर नहीं होगा.
इसलिए सरकार ने लोगों से वैक्सीन लगवाने की अपील की है. इसके अलावा स्वास्थ्य एजेंसियों ने भी कहा है कि अभी ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे पता चल सके कि मौजूदा Vaccines Omicron पर काम नहीं कर रही हैं. भारत में अब तक वैक्सीन की 125 करोड़ 75 लाख डोज़ लग चुकी हैं. इनमें 80 करोड़ Single Dose है और 46 करोड़ दोनों डोज हैं.
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