Corona की चौथी लहर ​के बीच दिल्ली के अस्पतालों में बेड की भारी कमी, सामने आया ये सच
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Corona की चौथी लहर ​के बीच दिल्ली के अस्पतालों में बेड की भारी कमी, सामने आया ये सच

Coronavirus: लगातार बढ़ते मामलों के दिल्ली के अस्पतालों में बेड की कमी से ऐसा लग रहा है कि राजधानी कोरोना की चौथी लहर से लड़ने में नाकाम हो रही है.

Corona की चौथी लहर ​के बीच दिल्ली के अस्पतालों में बेड की भारी कमी, सामने आया ये सच

नई दिल्ली: देश में कोरोना के मामले लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं. ब्राजील को पीछे छोड़ अब भारत संक्रमण के मामले में विश्व में दूसरे स्थान पर है. कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से दिल्ली के अस्पतालों की स्थिति भी बिगड़ती नजर आ रही है.

सरकार के लिए खतरे की घंटी

देश की राजधानी दिल्ली कोरोना की चौथी लहर से जूझ रही है और मरीजों को बचाने का अस्पताल ही एकमात्र साधन है. ऐसे में जब अस्पताल में बेड के लिए आम आदमी को दरबदर भटकना पड़ रहा है तो निश्चित तौर पर ही सरकार के लिए खतरे की घंटी है.

सामने आया ये सच 

केजरीवाल सरकार के दिल्ली कोरोना ऐप के जरिए ZEE NEWS ने कुछ अस्पतालों में फोन करके कोविड बेड्स की स्थिति जाननी चाही और इसके नतीजे चौंकाने वाले थे.

लोकनायक अस्पताल के बाद दिल्ली के सबसे बड़े कोविड डेडिकेटेड हॉस्पिटल यानी राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में कोविड का एक भी बेड उपलब्ध नहीं है. लगातार दो बार फोन करने के बाद तीसरी बार हॉस्पिटल से दिल्ली कोरोना ऐप से जानकारी लेने की सलाह हॉस्पिटल के स्टाफ ने दी.

इस ऐप के मुताबिक, दिल्ली में कोरोना के 1177 बेड्स में से केवल 79 बेड वेकेंट हैं. यही नहीं जब ज़ी मीडिया टीम ने उन अस्पतालों में कॉल किया जिनमें इस ऐप के जरिए बेड की उपलब्धता दिखाई जा रही थी, तो उन अस्पतालों से भी हमारी टीम को कोई जवाब नहीं मिला.

प्राइवेट अस्पतालों की हालत ज्यादा खराब

दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में हालात भी कुछ अच्छे नहीं हैं. मगर प्राइवेट अस्पतालों की हालत और भी बुरी है. दिल्ली के बत्रा अस्पताल में कॉल करने पर पता लगा कि वहां भी कोविड का एक भी बेड खाली नहीं है.

हॉस्पिटल मरीजों से कॉल पर अपनी डिटेल्स देकर वेट करने को कहते है. जाहिर है ऐसे में लगातार बढ़ रहे संक्रमित मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल ढूंढने में बेहद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

वहीं हाल ही में हुई बैठक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह भी कहा कि अगर दिल्ली में अस्पतालों की स्थिति बिगड़ती है यानी अगर बेड की संख्या कम होती है तो दिल्ली में लॉकडाउन लगाने के अलावा सरकार के पास कोई और उपाय नहीं बचेगा.

अब बड़ा सवाल यह है कि सच कौन बोल रहा है और झूठ कौन? बहुत से अस्पताल ऐसे भी हैं जिनमें दिल्ली सरकार की ऐप बेड की उपलब्धता दिखाती है. मगर जब अस्पताल में कॉल करें तो अस्पताल का जवाब होता है कि बेड खाली नहीं है.

तेजी से बढ़ रही एक्टिव मामलों की संख्या

कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों के साथ दिल्ली में एक्टिव मामलों की संख्या भी तेजी से बढ़ती जा रही है. एक्टिव मामलों का आंकड़ा अब 43510 तक पहुंच गया है. अगर यही रफ्तार रही तो राजधानी में जल्द ही 50 हजार कोरोना के एक्टिव केस होंगे. वहीं, अब तक कुल संक्रमितों का आंकड़ा 7,50,156 तक पहुंच गया है, जिसमें से ठीक होने वालों की संख्या 6,95,210 है. कोरोना अब तक 11,436 लोगों की जान ले चुका है.

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