देश में कोरोना (Coronavirus) महामारी ने कहर मचा रखा है. हेल्थ एक्सपर्ट देश में तबाही मचाने वाले कोरोना की दूसरी लहर का कारण ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं.
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नई दिल्ली: पूरा देश एक ओर जहां कोरोना (Coronavirus) के बढ़ते केस से जूझ रहा है. वहीं मीडिया में इन दिनों कोरोना के एक और नए खतरनाक वेरिएंट ‘N440K’ की चर्चा चल रही है.
यह वेरिएंट मुख्यत: दक्षिणी राज्यों में फैल रहा है. खासकर आंध्र प्रदेश में इस वेरिएंट के कई मामले सामने आ रहे हैं. माना जा रहा है कि SARS-CoV-2 के इसी नए वेरिएंट (Corona New Variant) की वजह से विशाखापत्तनम, कर्नाटक, तेलंगाना और दूसरे दक्षिण के इलाकों में अफरा-तफरी फैलती जा रही है. कुछ रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में इस वेरिएंट के कुछ केस सामने आए हैं.
समाचार रिपोर्टों के अनुसार, N440K एक शक्तिशाली वेरिएंट है, जो तेजी से फैलता है. इसमें कोरोना (Coronavirus) से जुड़ी गंभीर जटिलताएं होती हैं. कथित तौर पर, कोरोना के मूल वेरिएंट की तुलना में यह वैरिएंट 15 गुना ज्यादा तेजी से फैलने वाला है.
रिपोर्ट के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति कोरोना के मूल वेरिएंट से संक्रमित होता है तो वह एक सप्ताह के भीतर डिस्पेनिया या हाइपोक्सिया के चरण तक पहुंचता है. वहीं अगर कोई व्यक्ति N440K वैरिएंट से संक्रमित हो जाता है तो वह केवल तीन-चार दिनों के भीतर ही गंभीर स्थिति में पहुंच जाएगा.
कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आंध्र प्रदेश में पाया गया कोविड स्ट्रेन बहुत थोड़े से समय में 4 लोगों को संक्रमित कर सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह वाकई इतना घातक वेरिएंट है?
हैदराबाद के सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) ने इन सब कयासबाजियों को नकार दिया है. CCMB ने कहा कि कोरोना के आंध्र स्ट्रेन के बारे में अभी तक ऐसा कोई भी सबूत सामने नहीं आया है कि वह कितना घातक या संक्रामक है.
द प्रिंट से बात करते हुए, CCMB के निदेशक राकेश मिश्रा (Rakesh Mishra) ने कहा कि N440K स्ट्रेन आंध्र प्रदेश में 5 प्रतिशत से भी कम है. जल्द ही यह वेरिएंट या तो गायब हो जाएगा या कोई दूसरा वेरिएंट इसका स्थान ले लेगा.
निदेशक राकेश मिश्रा ने कहा कि कोई अनोखा AP स्ट्रेन या विशाखापत्तनम स्ट्रेन नहीं है. N440K वैरिएंट कुछ समय के लिए आसपास रहा. उस समय यह अन्य दक्षिणी राज्यों (कर्नाटक, केरल) में प्रचलित था. आंध्र की बात करें तो N440K वेरिएंट अब 5 फीसदी से भी कम है और जल्द ही इसे किसी डबल म्यूटेंट या किसी अन्य वेरिएंट द्वारा रिप्लेस किए जाने की संभावना है.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, निदेशक राकेश मिश्रा ने कहा कि आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और तेलंगाना में लिए गए नमूनों में से 20-30 प्रतिशत में N440K वेरिएंट पाया गया था. आने वाले हफ्तों में यह वेरिएंट अपने आप गायब हो जाएगा.
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उन्होंने कहा कि कोरोना के नए वेरिएंट B.1.617 को डबल म्यूटेंट या भारतीय वेरिएंट भी कहा जा रहा है. अगर लोगों ने कोरोना प्रोटोकॉल का पालन न करते हुए मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाए रखने और सफाई रखने में लापरवाही की तो यह वेरिएंट घातक भी हो सकता है.
इस बीच, CCMB के विशाल सेठ ने अपने ट्विटर हैंडल पर स्पष्ट किया कि स्टडी में B.1.17 यूके या B.1.617 भारतीय संस्करण के वायरस की तुलना नहीं की गई है. उन्होंने लिखा, 'हमने इस अध्ययन में यूके वेरिएंट या डबल म्यूटेंट के साथ N440K के संक्रामक व्यवहार की तुलना नहीं की. इसके बजाय हमने कोरोना के मूल वेरिएंट के साथ इसकी तुलना की. जो अब आबादी के बीच लगभग खो गया है.'
इसी बीच देश के हेल्थ एक्सपर्ट डबल म्यूटेंट पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. वे यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि देश में कोरोना (Coronavirus) की दूसरी लहर के लिए क्या यही वेरिएंट बड़ा कारण रहा.
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