कोर्ट से बीमा कंपनी को फटकार, कहा- स्मोकिंग से कैंसर होने के सबूत नहीं; दो मुआवजा
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कोर्ट से बीमा कंपनी को फटकार, कहा- स्मोकिंग से कैंसर होने के सबूत नहीं; दो मुआवजा

No Evidence Of Cancer Cause By Smoking: कोर्ट ने कहा कि बीमा कंपनी के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे साबित हो सके कि शख्स स्मोक करने का आदी था.

प्रतीकात्मक फोटो | फोटो साभार: PTI

अहमदाबाद: गुजरात (Gujarat) के अहमदाबाद (Ahmedabad) में कोर्ट ने एक बीमा कंपनी को फटकार लगाई है. कोर्ट ने बीमा कंपनी को फेफड़ों के कैंसर के इलाज में खर्च हुए पैसों को शख्स को चुकाने का आदेश दिया है. बता दें कि इससे पहले बीमा कंपनी ने ये कहते हुए मुआवजा देने से इनकार कर दिया था कि शख्स को स्मोक करने की आदत थी और इसी वजह से उसे फेफड़ों का कैंसर (Evidence Of Lung Cancer) हुआ था.

  1. बीमा कंपनी को पीड़ित को देना होगा मुआवजा
  2. पीड़ित ने प्राइवेट अस्पताल में कराया था इलाज
  3. पीड़ित को हो गया था फेफड़ों का कैंसर

बीमा कंपनी ने मुआवजा देने से किया इनकार

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं मिला है कि शख्स को स्मोक करने की आदत थी और इसी कारण उसे फेफड़ों का कैंसर हो गया. हालांकि इलाज के दस्तावेजों पर एडिक्शन स्मोकिंग लिखा है लेकिन इससे साबित नहीं होता है कि शख्स स्मोक करने का आदी था. बीमा कंपनी मुआवजा नहीं देने के लिए इस बात को आधार नहीं बना सकती है.

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बीमा कंपनी नहीं बना सकती बहाना- कोर्ट

अहमदाबाद कोर्ट ने बीमा कंपनी से ये भी पूछा है कि क्या जो लोग स्मोक नहीं करते हैं उन्हें फेफड़ों का कैंसर नहीं होता है? बीमा कंपनी ऐसा बहाना नहीं बना सकती है. बीमा कंपनी को मुआवजा देना ही होगा.

बीमा कंपनी ने बीमा धारक आलोक कुमार बनर्जी के एक प्राइवेट अस्पताल में 'फेफड़े के एडेनोकार्सिनोमा' या फेफड़ों के कैंसर के इलाज पर किए गए 93 हजार 297 रुपये खर्च के दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि वो स्मोक करने का आदी था, जैसा कि उनके इलाज के दस्तावेजों में उल्लेख किया गया था.

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बता दें कि आलोक कुमार बनर्जी की पत्नी स्मिता ने कंज्यूमर एजुकेशन एंड रिसर्ज सेंटर (Consumer Education & Research Center) के साथ मिलकर अहमदाबाद उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में इसे चुनौती दी थी.

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