दिल्ली (Delhi) के एक प्राइवेट अस्पताल में 10 घंटे तक चली सर्जरी के दौरान लंग ट्रांसप्लांट (Lung Transplant) हुआ. फेफड़ों को लाने के लिए मेडिकल टीम दिल्ली से जयपुर के अस्पताल पहुंची थी.
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) के खतरे को भूल कर बाजारों में भीड़ लगा रहे और रेस्टोरेंट में लौट चुके लोगों को ये खबर डरा सकती है. खास तौर पर ऐसे लोग जो ये सोचते हैं कि नौजवान उम्र में अगर कोरोना हो भी गया तो जल्द ही ठीक हो जाएगा. उन्हें भी ये खबर ध्यान से पढ़नी चाहिए. दरअसल दिल्ली (Delhi) के 31 वर्ष के युवक को कोरोना संक्रमित होने के बाद लंग ट्रांसप्लांट करवाना पड़ा. कोरोना की वजह से इस युवक के फेफड़े इतने खराब हो गए थे कि ट्रांसप्लांट करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था.
राजधानी का एक प्राइवेट अस्पताल उत्तर भारत का पहला सेंटर बना, जहां पोस्ट कोविड यानी कोरोना मरीज (Post covid) के फेफड़ों (lungs) का सफल ट्रांसप्लांट हुआ. मैक्स साकेत (Max Saket) के डॉक्टर राहुल चंदोला की अगुवाई में 15 डॉक्टरों की टीम ने ट्रांसप्लांट सर्जरी को अंजाम दिया.
यूपी के युवक की सर्जरी
अंग प्राप्तकर्ता यूपी के हरदोई का रहने वाला है. जो फेफड़ों की गंभीर बीमारी से पीड़ित था. 31 साल का पीड़ित युवक कुछ महीने पहले कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) का शिकार हुआ था. दिल्ली (Delhi) के एक प्राइवेट अस्पताल में 10 घंटे तक चली सर्जरी के दौरान लंग ट्रांसप्लांट (Lung Transplant) हुआ. फेफड़ों को लाने के लिए मेडिकल टीम दिल्ली से जयपुर के अस्पताल पहुंची थी. इस काम में डॉक्टरों को 2 घंटे का समय लगा. डोनर जयपुर की 48 वर्षीय महिला थीं जिनकी सड़क हादसे में मृत्यु हो गई थी.
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दस घंटे चला ऑपरेशन
15 डॉक्टरों की टीम को फेफड़ों का ट्रांसप्लांट (Lung Transplant) करने में लगभग 10 घंटे का समय लगा. 'सभी सॉलिड ऑर्गन ट्रांसप्लांट में, फेफड़े सबसे नाजुक ऑर्गन होते हैं. फेफड़े अन्य सॉलिड ऑर्गन के विपरीत पर्यावरण के संपर्क में भी होते हैं जिससे उन्हें आसानी से संक्रमित हो जाने का खतरा होता है.
आसान नहीं है लंग ट्रांसप्लांट
ट्रांसप्लांट टीम में शामिल डॉक्टर चंदेला ने बताया कि लंग ट्रांसप्लांट की प्रकिया आसान नहीं है. ये मुश्किल प्रक्रिया तो है ही वहीं ट्रांसप्लांट ऑपरेशन से रिकवर होने में महीनों लग जाते हैं. इस सर्जरी के दौरान लिम्फोइड टिश्यू में समृद्ध होने के साथ-साथ फेफड़ों में अस्वीकृति का भी अधिक खतरा होता है.
इससे पहले सितंबर के महीने में हैदराबाद में एक 32 वर्षीय युवक का कोरोना होने की वजह से फेफड़ों का ट्रांसप्लांट किया गया था.
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