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नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने ने केंद्र को झटका देते हुए कोरेक्स कफ सीरप, विक्स एक्शन 500 और कई एंटीबॉयोटिक औषधियों समेत 344 एफडीसी दवाओं को प्रतिबंधित करने के उसके फैसले को आज यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह कदम ‘बेतरतीब तरीके’ से उठाया गया था।
न्यायमूर्ति राजीव सहाय इंडलॉ ने फिक्स्ड डोज कंबीनेशन (एफडीसी) दवाओं को प्रतिबंधित करने संबंधी केंद्र की 10 मार्च की अधिसूचना के खिलाफ फाइजर, ग्लेनमार्क, प्रोक्टर एंड गैंबल, सिप्ला जैसी दिग्गज कंपनियों समेत विभिन्न समूहों द्वारा दायर 454 याचिकाओं पर कहा कि केंद्र ने औषधि और प्रसाधन अधिनियम के प्रावधानों के तहत यह निर्णय नहीं किया। न्यायालय ने कई बड़ी कंपनियों की दवाओं को लेकर केंद्र के उस फैसले पर 14 मार्च को ही रोक लगा दी थी।
उच्च न्यायालय ने आज कहा कि दस मार्च को जारी की गयी अधिसूचना तक की कार्यवाही से यह पता नहीं चलता कि यह निर्णय लेना तब बहुत आवश्यक था। उसने साथ ही कहा कि औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम की धारा 26 ए में निहित शक्ति का इस्तेमाल तब तक जनहित में नहीं किया जा सकता, जब तक कि ये उपभोक्ताओं के लिए किसी तरह का खतरा उत्पन्न ना करे। मामले की सुनवाई के दौरान दवा कंपनियों ने कहा कि सरकार ने धारा 26 ए में निहित शक्तियों को पूरी तरह लागू नहीं किया, जिसके तहत प्रतिबंध का यह आदेश दिया गया था।