‘‘एक पद एक पेंशन’’ (ओआरओपी) की मांग कर रहे सेवानिवृत्त सैनिकों ने आज केंद्र की ‘‘अक्षमता’’ पर निराशा जताई और 1965 युद्ध की स्वर्णजयंती पर 28 अगस्त को होने वाले सभी सरकारी समारोहों के बहिष्कार का फैसला किया है। दो महीने की भूख हड़ताल के बाद उनका आंदोलन अब आमरण अनशन के चरण में प्रवेश कर गया है। आमरण अनशन शुरू करने वाले दो सैनिकों में शामिल 63 वर्षीय कर्नल (सेवानिवृत्त) पुष्पेंद्र सिंह ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री अपने भाषण में कम से कम एक तारीख की घोषणा कर सकते हैं। लेकिन, अब हम हतोत्साहित हो गए हैं और यह एक बड़ी नाकामयाबी है, क्योंकि उन्होंने कुछ भी नहीं कहा।
Trending Photos
नयी दिल्ली: ‘‘एक पद एक पेंशन’’ (ओआरओपी) की मांग कर रहे सेवानिवृत्त सैनिकों ने सोमवार को केंद्र की ‘‘अक्षमता’’ पर निराशा जताई और 1965 युद्ध की स्वर्णजयंती पर 28 अगस्त को होने वाले सभी सरकारी समारोहों के बहिष्कार का फैसला किया है। दो महीने की भूख हड़ताल के बाद उनका आंदोलन अब आमरण अनशन के चरण में प्रवेश कर गया है। आमरण अनशन शुरू करने वाले दो सैनिकों में शामिल 63 वर्षीय कर्नल (सेवानिवृत्त) पुष्पेंद्र सिंह ने कहा, ‘हमें उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री अपने भाषण में कम से कम एक तारीख की घोषणा कर सकते हैं। लेकिन, अब हम हतोत्साहित हो गए हैं और यह एक बड़ी नाकामयाबी है, क्योंकि उन्होंने कुछ भी नहीं कहा।
हम सोमवार से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ रहे हैं और जब तक ओआओपी को मंजूरी नहीं मिल जाती तब तक यह जारी रहेगा।’ नारों और गीतों के बीच कर्नल (सेवानिवृत्त) ईश्वर वर्मा ने कहा, ‘‘यह आंदोलन केवल सैनिकों को नहीं बल्कि देश को प्रतिबंधित करता है। नेता केवल वोट चाहते हैं बाकी समय वे अंधे हो जाते हैं। इस आंदोलन को बिहार ले जाना चाहिए और लोगों को बताना चाहिए कि यह सरकार क्या कर रही है।’’