हालांकि जो ऑफर कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स के पास जमा हुआ है. उस पर कानूनी राय ली जा रही है. उसी के आधार पर ही कमेटी अपना फैसला लेगी.
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नई दिल्ली : अगले तीन हफ्तों में तय होगा कि 10000 करोड़ रुपये कर्ज़ तले दबी मोनेट इस्पात पर किस कंपनी का कब्जा होगा. कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स की अगली बैठक तीन हफ्ते के भीतर होगी. इसमें JSW-AION Capital के कंसोर्सिएम के मोनेट इस्पात को खरीदने के ऑफर पर फैसला लिया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक सोमवार को हुई कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स की बैठक में इस ऑफर पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. हालांकि जो ऑफर कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स के पास जमा हुआ है. उस पर कानूनी राय ली जा रही है. उसी के आधार पर ही कमेटी अपना फैसला लेगी.
अपने कर्ज को नहीं चुकाने वाली 12 कंपनियों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने दिवालिया घोषित कर दिया है और अब इन कंपनियों को नीलामी के जरिए बेचने की प्रक्रिया चल रही है. इस प्रक्रिया को कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स देख रहे हैं. ये कमेटी ही नीलामी प्रक्रिया की मॉनीटरिंग कर रही है. सूत्रों के मुताबिक इस कमेटी की सोमवार को हुई बैठक में पहले मोनेट इस्पात को बेचे जाने पर अंतिम फैसले की उम्मीद थी. लेकिन अंतिम फैसला लेने से पहले कमेटी किसी तरह का जोखिम मोल नहीं लेना चाहती, लिहाजा मामले पर कानूनी राय ली जा रही है.
इस प्रक्रिया से जुड़े हुए एक व्यक्ति ने बताया कि कानूनी राय के बाद अगली बैठक में मोनेट इस्पात पर अंतिम फैसला ले लिया जाएगा और कानूनी राय के लिए अधिकतम दो से तीन हफ्तों का समय दिया गया है. दरअसल मोनेट इस्पात पर विभिन्न बैंकों और संस्थागत निवेशकों का करीब 10237 करोड़ रुपये का कर्ज़ है. जिसको मोनेट चुका नहीं पा रही है, इसी वजह से इस कंपनी को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नीलाम करने के लिए कहा था. जानकारी के मुताबिक JSW-AION Capital ने मोनेट के लिए 2450 करोड़ रुपये की बोली लगाई है. इसके अलावा कंसोर्सिएम 1050 करोड़ रुपये का निवेश मोनेट इस्पात में करेगा और बाकी बचे हुए कर्ज़ के लिए 200 करोड़ रुपये और चुकाएगा.