हरियाणा: वन क्षेत्रों को बचाने के लिए हाईकोर्ट सख्त, दिया ये बड़ा आदेश
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हरियाणा: वन क्षेत्रों को बचाने के लिए हाईकोर्ट सख्त, दिया ये बड़ा आदेश

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा के वन क्षेत्रों में किसी भी तरह की नॉन फारेस्ट एक्टिविटी न करने आदेश देते हुए हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. 

हरियाणा: वन क्षेत्रों को बचाने के लिए हाईकोर्ट सख्त, दिया ये बड़ा आदेश

चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा के वन क्षेत्रों में किसी भी तरह की नॉन फारेस्ट एक्टिविटी न करने आदेश देते हुए हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. इस मामले में शिवालिक विकास मंच के अध्यक्ष विजय बंसल द्वारा दायर याचिका में पीएलपीए (पंजाब भूमि परिसंरक्षण अधिनियम 1900 (पीएलपीए) में संशोधन को चुनौती दी गई है. याचिका में बताया गया कि इस बिल को हरियाणा सरकार ने पास कर दिया है व राज्यपाल भी इस पर अपनी मुहर लगा चुके है.

हाई कोर्ट को बताया कि इस बिल के पास होने से वन क्षेत्र का दायरा घट जाएगा. हाईकोर्ट ने हरियाणा के मुख्य सचिव, वन विभाग के अत्तिरिक्त मुख्य सचिव और स्पीकर को 30 जनवरी के लिए नोटिस जारी किया है.याचिकाकर्ता विजय बंसल ने हाई कोर्ट को बताया कि हरियाणा सरकार ने 2006 में वन नीति बनाई थी.

जिसमे कहा गया था कि हरियाणा में वन क्षेत्र करीब 6 प्रतिशत है, 2010 में 10 प्रतिशत किया जाएगा तथा 2020 में 20 प्रतिशत किया जाएगा परन्तु अब मात्र 3.5 प्रतिशत ही वन क्षेत्र हरियाणा में है. याची ने हाई कोर्ट को बताया कि पीएलपीए हरियाणा के शिवालिक क्षेत्र व अरावली पहाडिय़ों के 10 जिलों में लागू है यानि कि यहां नान फारेस्ट एक्टिविटीस पर प्रतिबंध है.

बिल पास होने से वन क्षेत्र में अवैध माइनिंग,पेड़ो का कटाव,भूमिगत जल स्तर गिरना, इमारतों का निर्माण होने से पर्यावरण प्रभावित हो जाएगा. सरकार द्वारा इस बिल से भू माफिया,बिल्डर्स को फायदा पहुंचाया जाना है.

याची का पक्ष सुनने के बाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पर आधारित डिविजन बेंच ने  हरियाणा के सभी वन क्षेत्रों में किसी भी तरह की नॉन फारेस्ट एक्टिविटी न होने के भी आदेश देते हुए हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

याची ने हाई कोर्ट को बताया कि पीएलपीए में संशोधन वन व वन्य प्राणियों की सुरक्षा तथा जनहित के विरुद्ध है क्योंकि हरियाणा सरकार सदन की पटल पर बिल पेश करने का अधिकार नही रखती. इंदिरा सरकार के समय 1976 मे सविंधान में 26 वा संशोधन किया गया था जिसमे अनुच्छेद 48ए के अनुसार पर्यावरण की रक्षा व सुधार - वन तथा वन्य जीवन की सुरक्षा के लिए केंद्र व राज्य सरकार का संयुक्त दायित्व है क्योंकि वन समवर्ती लिस्ट में है.

इस लिए राज्य सरकार इस पर किसी भी तरह का निर्णय लेने में सक्षम नही है.याची ने सुचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी का हवाला देते हुए कहा कि अतिरिक्त मुख्य सचिव,वन विभाग व तत्कालिक स्पीकर विधानसभा ने 20 अगस्त 2019 को कहा कि इस संशोधन बिल पर राज्यपाल की सहमति आना विचाराधीन है.

परन्तु माननीय राज्यपाल ने रिकार्ड नुसार 11 जून 2019 को ही इस बिल पर अपनी सहमति दे दी है. उन्होने कहा स्पष्टता न होने के कारण उन्होनें संशोधन को हाई कोर्ट में चुनौती दी है. हाई कोर्ट ने याची का पक्ष सुनने के बाद हरियाणा सरकार को 30 जनवरी के लिए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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