पूर्वी दिल्ली से बांग्लादेश मूल के 27 वर्षीय एक संदिग्ध अलकायदा आतंकवादी को गिरफ्तार किया गया है. वह रोहिंग्याओं को म्यांमार की सेना से लड़ने का प्रशिक्षण देने और उन्हें कट्टरपंथ का घूंट पिलाने के लिए भारत आया था.
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नई दिल्ली : पूर्वी दिल्ली से बांग्लादेश मूल के 27 वर्षीय एक संदिग्ध अलकायदा आतंकवादी को गिरफ्तार किया गया है. वह रोहिंग्याओं को म्यांमार की सेना से लड़ने का प्रशिक्षण देने और उन्हें कट्टरपंथ का घूंट पिलाने के लिए भारत आया था. पुलिस ने बताया कि इस ब्रिटिश नागरिक ने यह दावा कर पुलिस को गुमराह करने का प्रयास किया कि उसका असली नाम शुमोन हक है. उसने बिहार के किशनगंज से जारी फर्जी मतदाता पहचान पत्र भी दिखाया लेकिन बाद में उसकी पहचान समीउन रहमान उर्फ राजू भाई के रुप में स्थापित हुई.
जुलाई से रहमान के बारे सुचना जुटा रही थी पुलिस
दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा जुलाई से रहमान के बारे में सूचनाएं जुटाने में जुटी थी. विशेष शाखा के अन्वेषी दल को पता चला था कि अलकायदा का राजू भाई नामक एक व्यक्ति यहां आतंकवादी गतिविधियां चलाने के लिए दिल्ली में अपना अड्डा बनाने की कोशिश में लगा है. दल ने उसके बारे में जानकारियां हासिल करने के लिए एनसीआर और अन्य राज्यों में स्रोत फिट किए थे.
पुलिस उपायुक्त (विशेष शाखा) प्रमोद सिंह कुशवाह ने बताया कि बाद में यह पता चला कि राजू भाई दिल्ली में है और वह जिहाद के लिए लोगों की भर्ती करने की कोशिश कर रहा है. कल पुलिस को पता चला कि राजू भाई संभावित जिहादी रंगरुटों में से एक से मिलने के लिए आईटीओ के समीप विकासमार्ग पर शकरपुर आएगा. कुशवाह ने बताया कि उसे पकड़ा गया और बाद में पुलिस को उसका असली नाम पता चला. उसके पास से 9 एम एम की एक पिस्तौल , लैपटॉप, मोबाइल फोन, 2000 डालर, 13000 रुपये मूल्य का बांग्लादेशी और भारतीय रुपये बरामद किये गये.
कई देशों का चक्कर लगा चुका है रहमान
जांच में यह भी पता चला कि रहमान प्रशिक्षित आतंकवादी है और वह आतंकवादी गतिविधियों के लिए भारत के अलावा मोरोक्को, इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ मॉरिटानिया, तुर्की, सीरिया, बांग्लादेश का चक्कर लगा चुका है. वह सीरिया में सरकारी सैन्य बलों के विरुद्ध अलकायदा से जुड़े संगठन जभात अल नूसरा के सदस्य के तौर पर लड़ा था. वह 2013 में अलकायदा की विचारधारा के गिरफ्त में आया था और उससे जुड़ गया. उसने सीरिया में उसके कैंप में तीन हफ्ते की ट्रेनिंग ली और वहां 2014 तक लड़ा.
जब रहमान सीरिया में था तब उसके ग्रुप को म्यामां में रोहिंग्या मुसलमानों पर अत्याचार के बारे में पता चला. चूंकि उसकी पृष्ठभूमि बांग्लादेश की थी, अतएव उसे वहां एक लड़ाकू ग्रुप खड़ा करने के लिए चुना गया. वह युवाओं को अलकायदा से जुड़ने के वास्ते कट्टरपंथी बनाने के लिए 2014 में बांग्लादेश आया. उसे बांगलदेश के नागरिक यासीना ने मदद पहुंचायी. रहमान ढाका आया और उसने चट्टगांव से म्यामां भेजने के लिए युवकों को कट्टरता सिखायी. उसे बांग्लादेश में आतंकवादी गतिविधियों को लेकर गिरफ्तार किया गया और वह तीन साल तक जेल में रहा. वह इसी साल अप्रैल में रिहा हुआ.
बाद में वह अल नुसरत फ्रंट के प्रमुख मुहम्मद अल जावलानी के निर्देशपर अप्रैल में भारत आया. उसका लक्ष्य रोहिंग्या मुसलमानों के खातिर लड़ाई करने, धन जुटाने और युवकों को भड़काने के लिए मिजोरम और मणिपुर में अपना अड्डा बना था.