तिहाड़ प्रशासन ने कहा, कैदी ने खुद अपनी पीठ पर गोदवाया था ओम का निशान
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तिहाड़ प्रशासन ने कहा, कैदी ने खुद अपनी पीठ पर गोदवाया था ओम का निशान

दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद शबीर नाम के एक मुस्लिम कैदी ने जेलर पर आरोप लगाया था कि उसकी पीठ पर गर्म धातु से ओम का निशान बना दिया है. दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने इस मामले में जेल प्रशासन से रिपोर्ट भी मांगी थी. 

कैदी ने दावा किया कि 12 अप्रैल को उसके साथ वारदात हुई.

नई दिल्ली: तिहाड़ जेल में बंद मुस्लिम कैदी की पीठ पर ओम गोदने के मामले ने नया मोड़ ले लिया है. तिहाड़ जेल प्रशासन ने कहा है कैदी शबीर ने खुद अपने साथी कैदियों की मदद से ओम गुदवाया, ताकि जेल प्रशासन को बदनाम किया जा सके. इस मामले में तिहाड़ प्रशासन ने दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग को लिखित और मौखिक दोनों तरह से जानकारी दी है. 

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गौरतलब है कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद शबीर नाम के एक मुस्लिम कैदी ने जेलर पर आरोप लगाया था कि उसकी पीठ पर गर्म धातु से ओम का निशान बना दिया है. दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने इस मामले में जेल प्रशासन से रिपोर्ट भी मांगी थी. 

इस मामले में तिहाड़ जेल प्रशासन ने दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग को बताया कि कैदी ने दावा किया कि 12 अप्रैल को उसके साथ वारदात हुई. इस बात को 18 अप्रैल को अदालत में बताया, जेल प्रशासन ने आयोग से कहा है कि उन्होंने तमाम सीसीटीवी की जांच भी की. उन्हें कही भी ऐसा नज़र नहीं आया. तिहाड़ प्रशासन ने इस मामले में तमाम सीसीटीवी फुटेज और जांच के कागज अदालत में जमा करा दिए है. 

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इस मामले में तिहाड़ डीजीपी और तिहाड़ के डीआईजी ने दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के चयरमैन जफरुल इस्लाम से मंगलवार (21 मई) को मुलाकात भी की थी. ज़फरुल इस्लाम का कहना है कि तिहाड़ डीजीपी औऱ तिहाड़ के डीआईजी ने उन्हें जांच के कागज तो नहीं दिए. लेकिन बताया कि कैदी सबीर के साथ आतंकी यासीन भटकल और गैंगस्टर रवि भी एक ही बैरक में थे और इन तीनों ने ही मिलकर इस साजिश को रचा ताकि जेल प्रशासन को बदनाम किया जा सके. 

दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्य्क्ष ने कहा कि उन्हें इस बात में सच्चाई नजर आती है. हालांकि, इस मामले में अब अदालत में केस चल रहा है, और कई परतें खुलना अभी बाकी है.

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