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नई दिल्ली: इस समय पूरा देश कोरोना वायरस (Coronavirus) के संकट से घिरा हुआ है. कायदे से इस महामारी को हमारे देश के अस्पतालों तक सीमित रहना चाहिए था लेकिन ये मामला अस्पतालों से निकल कर अदालतों में पहुंच गया और अब इस पर सरकारों से ज्यादा देश के जजों के फैसलों की चर्चा हो रही है. आज कल देश में हर रोज किसी ना किसी हाई कोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट में कोरोना वायरस को लेकर सुनवाई चलती रहती है. आज कोरोना की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में थी और दिल्ली हाई कोर्ट में भी. सबसे पहले आपको दिल्ली हाई कोर्ट में हुई सुनवाई के बारे में बताते हैं. आज दिल्ली हाई कोर्ट ने एक नहीं, दो-दो बार दिल्ली सरकार को फटकार लगाई.
पहला मामला दिल्ली के अशोका होटल का है. दिल्ली सरकार ने अपने एक आदेश में कहा था कि इस होटल में हाई कोर्ट के जजों, स्टाफ और उनके परिवार के लिये 100 कमरे कोविड हेल्थ Facility के तहत बुक किये गये हैं. इस पर हाई कोर्ट ने मीडिया Reports के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए दिल्ली सरकार से कहा कि उसने कभी ऐसा नहीं कहा कि ये सुविधाएं किसी Five Star Hotel में मिलनी चाहिए. यानी दिल्ली सरकार ने खुद अपनी तरफ से अशोका होटल को चुना और बयान कुछ इस तरह जारी किया, जिससे ये लगे कि दिल्ली हाई कोर्ट के अनुरोध पर इस होटल में 100 कमरे बुक किए गए हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट ने आज ये भी कहा कि इस कदम से ऐसा संदेश लोगों के बीच जाएगा कि या तो हाई कोर्ट के जज अपने फायदे के लिए कोविड केयर की Five Star सुविधाएं मांग रहे हैं या फिर केजरीवाल सरकार हाई कोर्ट को खुश करने के लिए ये इंतजाम कर रही है. हालांकि हाई कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली सरकार के वकील ने अदालत में कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स में इसे गलत तरीके से दिखाया गया है. हालांकि कोर्ट ने यहां भी केजरीवाल सरकार को फटकार लगाई और कहा कि मीडिया में इस खबर की बिल्कुल सही रिपोर्टिंग हुई है. गलत तो दिल्ली सरकार का आदेश था.
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अदालत की इसी टिप्पणी के बाद ही केजरीवाल सरकार तुरंत इस फैसले को वापस लेने के लिए तैयार हो गई. अदालत ने सुनवाई के दौरान जो बड़ी बात कही वो ये कि जब लोग कोरोना वायरस से मर रहे हैं और अस्पतालों में भीड़ है, तब जजों के लिए Five Star Hotel में 100 कमरे बुक करना, क्या आम लोगों का मजाक उड़ाने जैसा नहीं है?
अब आप सोच रहे होंगे कि दिल्ली सरकार ने अशोका होटल में ही जजों को कोविड केयर की Five Star सुविधाएं देने का फैसला क्यों किया? अब हम आपको इसकी वजह बताते हैं. ये फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि ये एक सरकारी होटल है और हमारे देश में अक्सर सरकारी व्यवस्थाओं का इसी तरह इस्तेमाल होता है. वर्ष 1956 में जब UNESCO की नौवीं कॉन्फ्रेंस दिल्ली में होनी थी तो तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु चाहते थे कि ये कॉन्फ्रेंस किसी एक नए होटल में हो क्योंकि वो UNESCO को खुश करना चाहते थे. इसी कॉन्फ्रेंस के लिए इस होटल को चुना गया, जो वर्ष 1956 में बन कर तैयार हो गया था. तब ये होटल 550 कमरों का था. उस दौर में ये होटल सरकारी कार्यक्रमों और कॉन्फ्रेंस के लिए सबसे मनपसंद जगह थी.
25 फरवरी 1968 को इसी होटल में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी की शादी हुई थी. वर्ष 1980 में आतकंवादी संगठन LTTE के प्रमुख प्रभाकरन को इसी होटल में हाउस अरेस्ट करके रखा गया था और आतंकवादी मसूद अजहर भी गलत पहचान पत्र दिखा कर इस होटल में ठहर चुका है. यानी ये होटल कई अहम-अहम मौकों का गवाह रहा है और ये आजाद भारत का पहला Five Star Hotel है. दिल्ली सरकार ने कोशिश तो अच्छी की, लेकिन हाई कोर्ट ने उसका खेल बिगाड़ दिया. कोर्ट ने कहा कि उसने सिर्फ सरकार से ये पूछा था कि अगर आज कोई जज कोरोना से संक्रमित हो गया तो वो कहां जाएगा? लेकिन दिल्ली सरकार ने इसके आधार पर ही अशोका होटेल में 100 कमरे बुक कर दिए. हालांकि ये होटल दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता. इस होटल का मालिकाना हक भारत सरकार के पास है. आप कह सकते हैं कि अगर इस होटल की मालिक दिल्ली सरकार होती तो आज इसे कोविड केयर सेंटर बना दिया गया होता, जिसमें आम लोगों के लिए कोई जगह नहीं होती.
इस मामले के साथ-साथ ऑक्सीजन की कमी को लेकर भी आज हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई. अदालत ने दो टूक कहा कि अगर दिल्ली सरकार ऑक्सीजन Refilling Units को संभाल नहीं पा रही तो वो कोर्ट को बता दे. अदालत केंद्र सरकार को ये जिम्मेदारी सौंप देगी और ये आज के फैसले की एक बहुत बड़ी बात है. हाई कोर्ट ने ऑक्सीजन की कालाबाजारी को रोकने में भी दिल्ली सरकार को विफल बताया और उसकी आलोचना की. हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को जो बड़ी बात कही वो ये कि ''हमारा विश्वास डगमगा रहा है, आप अपना घर दुरुस्त कीजिए, आप प्रशासक हैं. आपको प्रशासन चलाना आना चाहिए. आपको हमने कभी पावर का इस्तेमाल करने से नहीं रोका''.
आज सुप्रीम कोर्ट में भी कोरोना की सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने इस सुनवाई के दौरान तीन बड़ी बातें कहीं. पहली ये कि हाई कोर्ट्स को अपने अपने राज्यों की स्थितियों पर नजर रखनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस राष्ट्रीय आपदा की घड़ी में मूक दर्शक बने नहीं रह सकते हैं और कोर्ट ने केंद्र सरकार से अलग-अलग राज्यों में वैक्सीन के दामों में अंतर को लेकर भी जवाब मांगा है.
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