Delhi excise policy scam case: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली चुकी है, लेकिन जमानत के बाद भी दिल्ली के सीएम को जेल में ही रहना पड़ेगा. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से जुड़े मामले में केजरीवाल को जमानत दी है. वहीं सीबीआई से जुड़े मामले में केजरीवाल को कोई राहत नहीं मिली.
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Arvind Kejriwal: शराब नीति घोटाले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है. जस्टिस संजीव खन्ना ने केजरीवाल को जमानत देते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल ने 90 दिनों की कैद झेली है और हम ये निर्देश देते हैं कि उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए. हम जानते हैं कि वह एक निर्वाचित नेता है. केजरीवाल को यह जमानत मनी लॉन्ड्रिंग केस में मिली है जिसे ED देख रही थी. वहीं केजरीवाल को CBI वाले मामले में जमानत नहीं मिली है. इसलिए वह अभी जेल में ही रहेंगे.
जानें क्या था पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर अपना फैसला सुनाएगा, जिसमें कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी गिरफ्तारी और उसके बाद रिमांड को चुनौती दी गई है. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ 12 जुलाई को फैसला सुनाएगी. शीर्ष अदालत ने 17 मई को केजरीवाल की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
चैनलों के जरिए पैसे भेजे जाने के सबूत
सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने शीर्ष अदालत को बताया था कि हवाला चैनलों के जरिए आम आदमी पार्टी (आप) को पैसे भेजे जाने के सबूत हैं. राजू ने कहा था कि ईडी को मामले में अपराध की कथित आय के बारे में केजरीवाल और हवाला ऑपरेटरों के बीच चैट का भी पता चला है. केजरीवाल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया था कि मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी का बचाव करने के लिए ईडी द्वारा उधृत सामग्री उनकी गिरफ्तारी के दौरान मौजूद नहीं थी.
1 जून को केजरीवाल को दी थी अंतरिम जमानच
10 मई को, शीर्ष अदालत ने उन्हें दिल्ली आबकारी नीति के संबंध में ईडी द्वारा दर्ज धन शोधन मामले में 1 जून तक अंतरिम जमानत दी, हालांकि, आदेश दिया कि वह मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय नहीं जाएंगे. उन्होंने 2 जून को आत्मसमर्पण कर दिया. सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय केजरीवाल की उस अपील पर आएगा, जो उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस निर्णय के विरुद्ध दायर की थी, जिसमें आबकारी नीति मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तारी और उसके बाद उनकी रिमांड के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था.
केजरीवाल ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर करते हुए तर्क दिया था कि आम चुनावों की घोषणा के बाद उनकी गिरफ्तारी बाहरी विचारों से प्रेरित थी. 9 अप्रैल को, उच्च न्यायालय ने जेल से रिहाई के लिए उनकी याचिका खारिज कर दी और आसन्न लोकसभा चुनावों के बीच राजनीतिक प्रतिशोध के उनके तर्क को खारिज कर दिया. उच्च न्यायालय ने कहा था कि छह महीने में नौ ईडी समन पर केजरीवाल की अनुपस्थिति ने मुख्यमंत्री के रूप में विशेषाधिकार के किसी भी दावे को कमजोर कर दिया, यह सुझाव देते हुए कि उनकी गिरफ्तारी उनके असहयोग का एक अपरिहार्य परिणाम थी. केजरीवाल को अब रद्द कर दी गई दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था.