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Delhi Crime News: दिल्ली महिला आयोग ने इंद्रप्रस्थ कॉलेज में लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न के मामलों में इंद्रप्रस्थ महिला कॉलेज, दिल्ली पुलिस और दिल्ली विश्वविद्यालय को अंतरिम सिफारिशें भेजी हैं. दिल्ली पुलिस ने घटना वाले दिन ही मामले में एक FIR दर्ज की थी. लड़कियों के साथ बातचीत में आयोग को पता चला कि घटना में चार लोग घायल हुए थे और एक लड़की को भी इस दर्दनाक हादसे में फ्रैक्चर हो गया. पूर्व में मिरांडा हाउस और गार्गी कॉलेज सहित दिल्ली विश्वविद्यालय के अन्य कॉलेजों में भी इसी तरह के अपराध हुए हैं.
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घटना के नहीं लिए CCTV फुटेज
इसलिए आयोग ने इस मुद्दे की जांच शुरू की और दिल्ली पुलिस, आईपी कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया. इस प्रक्रिया में आयोग ने कुछ स्पष्ट मुद्दों की पहचान की है. वहीं आयोग ने पाया है कि दिल्ली पुलिस ने 06 अप्रैल 2023 तक घटना के सीसीटीवी फुटेज एकत्र नहीं किए थे. अंत में आयोग के हस्तक्षेप के बाद, दिल्ली पुलिस ने कॉलेज से सीसीटीवी फुटेज एकत्र किए, लेकिन आयोग को सूचित किया गया कि यह अधूरा है.
पीड़ित लोगों के बयान हों दर्ज
आयोग ने दिल्ली पुलिस को घटना के पूरे सीसीटीवी फुटेज एकत्र करने और सभी अपराधियों की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कहा है. दिल्ली पुलिस द्वारा आयोग को सूचित किया गया है कि घटना के 14 दिन बीत जाने के बावजूद अब तक केवल 2 पीड़ितों के बयान दर्ज किए गए हैं. आयोग ने सिफारिश की है कि सभी पीड़ित लोगों के बयान तुरंत दर्ज किए जाने चाहिए. इसके अलावा पुलिस ने आयोग को सूचित किया कि उन्होंने घटना के दिन इस मामले में 5 लोगों को गिरफ्तार किया था, लेकिन उन्हें उसी तारीख को छोड़ दिया गया था. पुलिस को सभी अपराधियों की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कहा गया है.
नहीं मांगी थी पुलिस की अनुमति
इसके अलावा आयोग ने पाया कि आईपी कॉलेज ने दिल्ली विश्वविद्यालय की दिनांक 27 अक्टूबर 2023 की सलाह के बावजूद कार्यक्रम आयोजित करने से पहले पुलिस की अनुमति नहीं मांगी थी. इसके बजाय उन्होंने दिल्ली पुलिस को एक पत्र लिखकर अपने परिसर में 8000 से अधिक लोगों की भीड़ के लिए सुरक्षा की मांग की. दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली पुलिस ने भी (सुरक्षा अनुरोध प्राप्त होने के बाद) इस मामले को नहीं देखा और केवल कुछ सुरक्षाकर्मी उपलब्ध कराए जो कॉलेज के गेट की रखवाली कर रहे थे. दिल्ली पुलिस ने आयोग को बताया कि आईपी कॉलेज मैदान में 2000 से अधिक व्यक्तियों को समायोजित नहीं किया जा सकता है और कॉलेज द्वारा कार्यक्रम आयोजित करने से पहले इसकी सूचना नहीं दी गई थी, जिसमें उन्होंने हजारों लोगों को आमंत्रित किया था.
इस मामले में दिल्ली पुलिस और कॉलेज के बीच तालमेल का अभाव है. आयोग ने सिफारिश की है कि कॉलेजों में किसी भी फेस्ट के आयोजन से पहले पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय और दिल्ली पुलिस को एक समन्वित रणनीति तैयार करनी चाहिए. इसमें एक उचित फॉर्म शामिल होना चाहिए, जिसके माध्यम से कॉलेज फेस्ट के लिए पुलिस की अनुमति मांगी जाती है. छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा उपायों पर चर्चा करने के लिए कार्यक्रम से एक सप्ताह पहले क्षेत्र के एसएचओ और कॉलेज प्रिंसिपल के बीच एक बैठक आयोजित की जानी चाहिए.
इस मामले में आईपी कॉलेज की प्राचार्य आयोग के सामने पेश हुईं, जिन्होंने बताया कि घटना की जांच के लिए एक 'अनुशासनात्मक समिति' का गठन किया गया है. आयोग ने पाया है कि इस मामले में 'अनुशासन समिति' की कोई भूमिका नहीं है और एक 'जांच समिति' का गठन किया जाना चाहिए था, जिसमें छात्रों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व हो और साथ ही लैंगिक मुद्दों पर काम करने वाले प्रतिष्ठित गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि हों. आयोग ने यह भी देखा कि यौन उत्पीड़न के संबंध में शिकायतों को आईपी कॉलेज के आईसीसी को 6 अप्रैल 2023 (आयोग के समक्ष उपस्थित होने की तिथि) तक नहीं भेजा गया था.
आंतरिक शिकायत समिति को भेजी जाएं शिकायतें
आयोग ने सिफारिश की है कि आईपी कॉलेज में यौन उत्पीड़न की सभी शिकायतों को तुरंत कॉलेज की आंतरिक शिकायत समिति को भेजी जानी चाहिए ताकि कानून के अनुसार कार्रवाई की जा सके. आयोग ने इस समिति में महिलाओं के अधिकारों पर काम करने वाले एक प्रतिष्ठित एनजीओ से आईसीसी में एक बाहरी सदस्य को शामिल करने की भी सिफारिश की है. साथ ही इसमें छात्रों के प्रतिनिधित्व के लिए भी कहा है.
वहीं आयोग ने दिल्ली विश्वविद्यालय के स्तर पर गठित जांच समिति को गैर-समावेशी पाया, क्योंकि इसमें कोई भी छात्र और लैंगिक मुद्दों पर काम करने वाले विशेषज्ञ संगठन नहीं थे. आयोग ने पाया कि दिल्ली विश्वविद्यालय के मौजूदा दिशा-निर्देशों में कई मुद्दों पर गंभीर रूप से कमी है, क्योंकि उनके पास ऐसे कोई एसओपी नहीं हैं, जिनका कॉलेजों को ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन से पहले पालन करना चाहिए. साथ ही कॉलेजों में होने वाली यौन हिंसा के पीड़ित लोगों को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए क्या क्या कदम कदम उठाए जाने चाहिए. आयोग ने अभी अंतरिम सिफारिशें दी हैं और विभागों से 18 अप्रैल 2023 तक विस्तृत बिंदुवार रिपोर्ट मांगी है.
दोषियों को मिले सजा- स्वाति मालीवाल
स्वाति मालीवाल ने कहा है कि यह निराशाजनक है कि तीनों घटनाओं – गार्गी कॉलेज, मिरांडा हाउस और आईपी कॉलेज में सुरक्षा चूक को लेकर दिल्ली पुलिस या आईपी कॉलेज के किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. लड़कियों का उनके ही कॉलेज में यौन उत्पीड़न किया जाता है और अधिकारी इन घटनाओं को रोकने, दोषियों को सजा दिलाने और पीड़ितों का साथ देने के लिए पर्याप्त नहीं कर रहे हैं. हमने मामले में अपनी रिपोर्ट दे दी है और मैं इस मामले में कड़ी कार्रवाई की उम्मीद करती हूं.