Delhi Environment: शिकागो यूनिवर्सिटी की हाल की रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण की वजह से भारतीयों की औसत उम्र 5 साल और दिल्ली में रहने वालों की 12 साल तक कम हो रही है. दिल्ली में दिवाली से पहले ही वायु प्रदूषण की वजह से मरीज खांसी और गले में खराश से लेकर दम घुटने तक की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचने लगे हैं.
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Winter Weather Today: सर्दी आने से ठीक पहले ही दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का असर दिखाई देने लगा है, लेकिन काफी संख्या में लोग अस्पतालों की ओपीडी में डॉक्टरी मदद के लिए पहुंचने लगे हैं. कारण-प्रदूषण. देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स ने हाल ही की गई रिसर्च के बाद चेताया है कि जिन लोगों को पहले से कोई बीमारी है, वे सावधान हो जाएं, क्योंकि वायु प्रदूषण फेफड़ों से जुड़ी बीमारी से ग्रस्त मरीजों को ही नहीं, डायबिटीज से पीड़ित लोगों को भी परेशानी में डाल सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वायु प्रदूषण एक पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी है, क्योंकि दुनिया की 90 प्रतिशत से अधिक आबादी जहरीली हवा में सांस ले रही है. हर साल 88 लाख असमय मौतें खराब हवा में सांस लेने से हो रही हैं, लेकिन भारत में अभी तक प्रदूषण को मौत के कारण के तौर पर दर्ज नहीं किया गया है. शिकागो यूनिवर्सिटी की हाल की रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण की वजह से भारतीयों की औसत उम्र 5 साल और दिल्ली में रहने वालों की 12 साल तक कम हो जाती है.
भारत में हवा की क्वालिटी को AQI यानी Air quality index के आधार पर समझा जाता है. 0 - 50 को अच्छा, 51-100 को संतोषजनक, 101-200 को मध्यम स्तर, 201-300 को खराब, 301 - 400 बेहद खराब और 401 से लेकर 500 AQI वाली हवा को गंभीर स्तर की श्रेणी में रखा गया है. गंगा राम अस्पताल में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ अंशु रोहतगी के मुताबिक लंदन में एयर क्वालिटी 50 से पार जाने पर इमरजेंसी अलर्ट घोषित कर दिया जाता है और लोगों को घर में रहने की सलाह दी जाती है.
अस्पतालों में मरीजों की भीड़ 20 प्रतिशत तक बढ़ी
भारत में फिलहाल हम तक जो एयर क्वालिटी पहुंच रही है वो धूल के 2.5 माइक्रोन प्रति क्यूबिक मीटर वाले कणों को मापने से तय हो रही है, लेकिन हवा में इससे भी बारीक कण मौजूद हैं. ये कण हमारी सांस से दिमाग, फेफड़ों, खून, लिवर यानी लगभग पूरे शरीर में पहुंच जाते हैं और यही एक अच्छे भले इंसान को बीमार कर रहे हैं. इसलिए 200 एयर क्वालिटी पर लोग बीमार हो रहे हैं और अस्पतालों में ऐसे मरीजों की भीड़ लगभग 20 प्रतिशत तक बढ़ गई है, जिन्हें केवल खराब हवा बीमार कर रही है.
दिल्ली के पीएसआरआई अस्पताल के श्वास रोग विभाग के चेयरमैन डॉ जी सी खिलनानी के मुताबिक ओपीडी में अस्थमा के शिकार मरीज अभी से आने लगे हैं. ऐसे लोगों का फीनो (Fraction of Exhaled Nitric Oxide-FENO) टेस्ट करके हम देख पा रहे हैं कि उनकी सांस नली में सूजन आ चुकी है. सांस छोड़ने में जोर लगाने से ये सूजन आ रही है. इस टेस्ट के लेवल दिल्ली वालों में काफी बढ़े हुए आ रहे हैं. मरीज खांसी और गले में खराश से लेकर दम घुटने तक की शिकायत कर रहे हैं.
ऐसे बचें जहरीली हवा से