किसानों ने देशी खाद से खेती कर बागवानी को अपनाकर किन्नू लगाकर मोटा मुनाफा कमा रहा है. वहीं भिवानी निवासी रामकिशन ने इस बार परम्परागत खेती ना करके सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के मार्फत किन्नू की खेती की है. साथ ही सब्जी की खेती भी कर दी है और सब्जी में घीया की बेल लगा दी है.
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भिवानी के किसान इन दिनों मालामाल हो रहे है. वे परंपरागत खेती को छोड़ अब बागवानी की तरफ आ रहे हैं. उनको ना केवल अच्छी फसल मिलने के साथ-साथ सरकार से अनुदान भी मिल रहा है. किसानों ने देशी खाद से खेती कर बागवानी को अपनाकर किन्नू लगाकर मोटा मुनाफा कमा रहा है. वहीं भिवानी निवासी रामकिशन ने इस बार परम्परागत खेती ना करके सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के मार्फत किन्नू की खेती की है. साथ ही सब्जी की खेती भी कर दी है और सब्जी में घीया की बेल लगा दी है. किसान का दावा है कि उनके द्वारा किन्नू सौं प्रतिशत देशी खाद से तैयार किए गए है. इसमें किसी प्रकार की कोई भी यूरिया आदि का छिडकाव नही है. अब तो किसान भी प्रतिदिन उनके खेत में उनकी फसल व उनके नुकसे को जानने के लिए आने लगे है.
यूं तो हरियाणा का नाम ही देशी दूध दही के खाने से है. अब यहां के प्रगतिशील किसान देशी खाद से खेती भी करने लगे है, जिसका उदाहरण भिवानी के गांव जमालपुर में देखने को मिल सकता है. किसान रामकिशन का कहना है कि उनके पास 25 एकड़ जमीन है. अब तीन एकड़ में किन्नू की खेती की है. उसका कहना है कि ओर किसानों को भी अब बागवानी की तरफ आना चाहिए ताकि अच्छा मार्जन मिल सके. वहीं रामकिशन का कहना है कि आने वाले समय में बाग ओर अधिक लगाकर किन्नू पैदा करूँगा. अब तीन एकड़ में दो लाख का मुनाफा कमा रहा हूँ.
वही बागवानी अधिकारी देवी लाल की माने तो किसान अब बागवानी की तरफ बढ़ रहे है. उनका कहना है कि भिवानी जिले के किसान बागवानी की खेती कर रहे थे. अब 800 एकड़ तक बागवानी की खेती की है. किसानों को काफी लाभ भी मिल रहा है. उनका कहना है कि किसान को प्रेरित करने के लिए ज्यादा से ज्यादा कैम्प भी बागवानी विभाग द्वारा लगाए जाते है.
किसान अगर यू ही आगे बढ़ते रहे तो वो दिन दूर नही जो किसान खेती को घाटे का सौदा मानते है. वे ही अच्छी आमदनी कमा कर मालामाल होंगे. किसान रामकिशन ने तो पूरे क्षेत्र में ओग्रेनिक खेती करके दिखा दिया है कि किसान आसानी से ही देशी खाद जो कि गोबर इत्यादि से तैयार की जाती है. उनके द्वारा की गई खेती दूसरे किसानो के लिए भी वरदान साबित हो सकती है. अगर सभी किसान ओग्रेनिक खेती करे तो देश से आधी बीमारी वैसे ही गायब हो जाए, जो कि यूरिया व अन्य कीट नाशको के प्रयोग द्वारा तैयार की गई फसल को खाने से होती है. अब देखना यह होगा कि ओर कितने किसान अब इन किसानो को रोल मॉडल मानकर देशी खाद से अपनी फसल को तैयार करेंगे.