हरियाणा में पिछले कुछ दिनों से छात्र सरकार की बॉन्ड पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं. छात्रों का कहना है कि इस पॉलिसी से कोई भी गरीब छात्र डॉक्टर नहीं बन पाएगा. वहीं छात्रों ने सरकार पर दबाव बनाने का आरोप लगाया.
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कमरजीत सिंह/करनाल: हरियाणा में एमबीबीएस (MBBS) डॉक्टर 1 नवंबर से लगातार अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. अब उन्होंने जो उनके एग्जाम यूनिवर्सिटी के होने हैं उसका भी बॉयकॉट कर दिया है. इसको लेकर छात्रों ने कहा कि जब हमारे भविष्य पर ही तलवार लटकी हो तो एग्जाम देकर हम क्या करेंगे. मुख्यमंत्री से बातचीत के बाद भी कोई हल नहीं निकला और तभी से हमारा प्रदर्शन जारी है. अब हमें लोगों का भी समर्थन मिल रहा है. रोहतक में भी आज बार एसोसिएशन ने भी हमारा समर्थन करते हुए 1 दिन का वर्क सस्पेंड किया है.
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स्टूडेंट का कहना है कि हम अलग-अलग ग्रुप में लोगों के बीच में जा रहे हैं और उनको इस पॉलिसी और अपने प्रदर्शन के बारे में बता रहे हैं. वहीं लोगों का हमें समर्थन भी मिल रहा है. उनका कहना है कि जब तक पॉलिसी वापस नहीं होगी तो हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा. हम ग्रामीण क्षेत्र में नौकरी करना चाहते हैं. ग्रामीण क्षेत्र में अपनी सेवाएं देना चाहते हैं, लेकिन सरकार हमें बंद करना चाहती है. डॉक्टर के बिना और कौन गांव में जाकर काम करता है. सिर्फ और सिर्फ डॉक्टर ही गांव में जाकर लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं देते हैं.
छात्रों ने कहा कि पिछले 39 दिन से कोई भी छात्र पढ़ने के लिए कक्षाओं में नहीं गए हैं, जिससे उनकी पढ़ाई भी काफी प्रभावित हो रही है. पढ़ाई न होने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. छात्रों ने कहा कि यह सरकार उनको दबाने का कोशिश कर रही है, लेकिन वह दबने वाले नहीं है. जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती तब वह पीछे हटने वाले नहीं है.
प्रदर्शन में शामिल छात्रों ने कहा कि 4 साल के कोर्स में MBBS के छात्रों को 40 लाख रुपये की फीस जमा करानी होगी, जो छात्र आर्थिक रूप से कमजोर हैं, वह MBBS का कोर्स नहीं कर पाएंगे. इसलिए बॉन्ड नीति के खिलाफ MBBS के छात्रों में रोष है. छात्रों ने सरकार से मांग की है कि बॉन्ड नीति को वापस लिया जाए ताकि छात्र MBBS का कोर्स आसानी से कर सकें. छात्रों का कहना है कि शासन और प्रशासन उनकी आवाज को दबाने की कोशिश कर रहा है.