Hathini Kund Barrage: हथिनी कुंड बैराज हरियाणा के यमुनानगर जिले में यमुना नदी पर बनाया गया है. इस बैराज में उत्तराखंड और हिमाचल से पानी आता है. हिमाचल में इसकी सहायक नदियां टोंस, पब्बर और गिरि हैं. यमुना नदी हिमाचल में 22 किलोमीटर की यात्रा तय करती है.
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Delhi Badh: हरियाणा के यमुनानगर जिले में बना हथिनी कुंड बैराज दिल्ली के खतरा बना हुआ है. इस बैराज के कथित पानी छोड़ने के बाद से दिल्ली में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. इसके साथ ही हरियाणा के भी कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. जब से दिल्ली में बाढ़ आई है, तब से यमुना के साथ-साथ हथिनी कुंड बैराज का चर्चा भी तेज हो गया है.
हरियाणा और उत्तरप्रदेश तक जाता है पानी
हथिनी कुंड बैराज हरियाणा के यमुनानगर जिले में यमुना नदी पर बनाया गया है. इस बैराज में उत्तराखंड और हिमाचल से पानी आता है. जब इस बैराज में पानी का स्तर निर्धारित क्षमता से ज्यादा हो जाने के बाद बैराज के पानी को बैराज से निकलने वाली पश्चिमी और पूर्वी यमुना नहर में छोड़ दिया जाता है. पश्चिमी यमुना नहर हरियाणा के सात जिलों की सिंचाई करती है, जिनमें भिवानी, हिसार, जींद, रोहतक, सोनीपत, करनाल और अंबाला जिले शामिल हैं. वहीं पूर्वी यमुना नहर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, शामली, मेरठ, मुजफ्फरनगर और बागपत में सिंचाई करते हुए दिल्ली पहुंचती है. पश्चिमी यमुना नहर के रास्ते बैराज का यह पानी करीब 200 किलोमीटर की दूरी तय कर 72 घंटे में दिल्ली पहुंचता है. बैराज से दिल्ली के बीच मुख्य रूप से यमुनानगर, करनाल, पानीपत व सोनीपत एक तरफ और दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, शामली, बागपत और मेरठ का कुछ हिस्सा पड़ता है. तब जाकर यमुना दिल्ली में प्रवेश करती है.
कहां से आता है पानी
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में जब अधिक बारिश होती है, तो बैराज का जलस्तर तेजी से बढ़ता है. जलस्तर को नियंत्रित करने के लिए अधिक पानी छोड़ा जाता है, जिससे यमुना के तट पर बसे दिल्ली समेत कई शहरों में बाढ़ आ जाती है. हिमाचल में इसकी सहायक नदियां टोंस, पब्बर और गिरि हैं. यमुना नदी हिमाचल में 22 किलोमीटर की यात्रा करने के पश्चात उत्तर प्रदेश के इसपुर टीला पहुंचती है, जहां से उसका जल सूर्यकुंड मंदिर जो यमुनानगर में स्थित है, वहां पहुंचता है.
सिंचाई के के लिए हुआ था बैराज का निर्माण
हथनीकुंड बैराज का निर्माण 1996 से 1999 के बीच सिंचाई के उद्देश्य से किया गया था. साथ ही बैराज में एक छोटा जलाशय भी है. 360 मीटर लंबे बैराज में दस फ्लड गेट हैं. हथनीकुंड बैराज से पहले यमुना पर ताजेवाला हेड था, जिसका निर्माण अंग्रेजों ने 1873 में कराया था. यह अब सेवा में नहीं है. ताजेवाला बराज से ही यमुना के पानी का बंटवारा होता था. अब यमुना के पानी का बंटवारा हथनीकुंड बैराज से होता है. दिल्ली के लगभग 60 प्रतिशत पानी की आपूर्ति हरियाणा ही करता है.
Input- Vijay Rana