Health Tips: उकड़ू बैठने से शरीर को कमाल के स्वास्थ्य लाभ मिलते है. तो चलिए जानते हैं उकड़ू बैठने से क्या-क्या लाभ होते है. क्या आप लोग जानते हैं कि एक सिंपल सी पोजीशन में बैठने से शरीर को कई सारे फायदे मिलते हैं.
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Health Tips: उकड़ू बैठने से शरीर को कमाल के स्वास्थ्य लाभ मिलते है. तो चलिए जानते हैं उकड़ू बैठने से क्या-क्या लाभ होते है. क्या आप लोग जानते हैं कि एक सिंपल सी पोजीशन में बैठने से शरीर को कई सारे फायदे मिलते हैं. आपने अक्सर गांव के लोगों को उखड़ू बैठे देखा होगा. मगर उकड़ू बैठने की वजह से कई बार साथ के लोग खुद की बेज्जती महसूस करते हैं. लेकिन, आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उकड़ू अवस्था में बैठने से कई हैरान कर देने वाले फायदे मिलते हैं. तो चलिए जानते हैं उकड़ू बैठने के लाभ और नुकसान के बारे में...
सुबह के वक्त-
सुबह बिना कुल्ला करे उकड़ू बैठकर घूंट-घूंट कर धीरे-धीरे पानी पीने से कब्ज, गैस, एसिडिटी, अपच, किसी भी प्रकार के दर्द की समस्या से राहत मिलती है. इसी के साथ इससे पाचन तंत्र और आंतें काफी मजबूत हो जाती हैं.
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शौच के वक्त-
उकड़ू अवस्था में बैठ कर शौच करने से हमारा पाचन तंत्र मजबूत बनता हैं और पेट जल्दी साफ होता हैं.
उकड़ू में बैठ कर पंजे के बल आगे आकर अपने दांत पीसे. ऐसा करने से बड़ी से बड़ी कब्ज भी ठीक हो जाएगी और पेट जल्दी साफ होगा.
दातुन/ ब्रश करते समय-
उकड़ू बैठकर उंगलियों से दांतों की मालिश करने से बालों का झड़ना कम होता है और नेत्रों की ज्योति भी बढ़ती है क्योंकि यह हमारे तंत्रिका तंत्र से जुड़ा हुआ है.
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खाना खाते वक्त-
उकड़ू बैठकर खाना खाने से खाना जल्दी पचता है. इसी के साथ एसिडिटी नहीं होती, पेट बाहर नहीं निकलेगा और गैस बाहर आ जाएगी.
मूत्र त्याग करते वक्त-
उकड़ू बैठकर मूत्र करने से मूत्राशय पूरी तरह खाली हो जाता है. बार-बार मूत्र आने की समस्या खत्म हो जाती है. प्रोस्ट्रेट नहीं होता है.
शौच या पेशाब के समय दांतों के जबड़ों को आपस में दबाकर रखने से दांत मजबूत रहते हैं.
पंच प्राण
इस प्रकार बैठने से पंच प्राणों (प्राण, अपान, व्यान, उदान और समान) का संतुलन होता है.
इस अवस्था में बैठने से गुरुत्व नाभि में जाता हैं, जिससे पाचन तंत्र और आतें काफी मजबूत होती है.
उकड़ू बैठने से जांघों पर दबाव पड़ने से पेट की गैस निकालने में आसानी होती है, नसों की ब्लॉकेज/ रुकावट दूर होती है.
इससे एड़ी, कमर, जोड़ो, रीड का दर्द इत्यादि की समस्यां नहीं आती हैं.
मन मस्तिष्क शांत, हल्का एवं तनाव मुक्त रहता है. क्रोध एवं अन्य विकार कम होते हैं.
शरीर लचीला एवं ऊर्जावान रहता है.
इस आसन में बैठने से एकाग्रता बढ़ती है. स्कूल में मुर्गा बनाने का ट्रेंड भी शायद इसी कारण चालू किया गया.
इस आसन को गो-दुग्ध आसन भी कहां जाता है.
इसी आसन से भगवान महावीर को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई थी.