पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना : दिल्ली में 2 मीटर तक बढ़ा भूजल स्तर, केजरीवाल सरकार ने किया यह बड़ा फैसला
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पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना : दिल्ली में 2 मीटर तक बढ़ा भूजल स्तर, केजरीवाल सरकार ने किया यह बड़ा फैसला

दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार साल 2020 और 2021 में प्री-मानसून और पोस्ट-मानसून सीजन के दौरान की गई स्टडी में यह पाया गया कि इस परियोजना के चलते ग्राउंड वाटर रिचार्ज होकर यमुना नदी से शहर की तरफ बढ़ रहा है, जिससे पूरे दिल्ली का भूजल स्तर बेहतर हो रहा है.

पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना : दिल्ली में 2 मीटर तक बढ़ा भूजल स्तर, केजरीवाल सरकार ने किया यह बड़ा फैसला

तरुण कुमार/ नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी द‍िल्‍ली में पानी की क‍िल्‍लत दूर करने और 24 घंटे जलापूर्त‍ि सुन‍िश्‍च‍ित करने की योजना पर केजरीवाल सरकार जोर-शोर से काम कर रही है. मानसून के दौरान यमुना नदी में बाढ़ के जरिये आने वाले पानी को संचय कर ग्राउंड वाटर रिचार्ज करने की दिल्ली सरकार की ''पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना'' एक मील का पत्थर साबित हुई है. इस परियोजना से दिल्ली में भूजल स्तर में लगातार सुधार देखने को मिल रहा है. साल 2019 से लेकर 2021 तक औसतन करीब 812 मिलियन गैलन ग्राउंड वाटर रिचार्ज हुआ है. ऐसे में परियोजना के सफल नतीजों को देखते हुए केजरीवाल सरकार ने इस प्रोजेक्ट को इस साल भी जारी रखने का फैसला किया है.

इसी सिलसिले में गुरुवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक की. उन्होंने बताया कि वर्तमान में यह परियोजना 40 एकड़ में फैली है, जिसमें से 26 एकड़ में एक तालाब बनाया गया है. यहां बाढ़ का पानी संचय किया जाता है, जिसका उपयोग दिल्ली में भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है.

दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार साल 2020 और 2021 में प्री-मानसून और पोस्ट-मानसून सीजन के दौरान की गई स्टडी में यह पाया गया कि इस परियोजना के चलते ग्राउंड वाटर रिचार्ज होकर यमुना नदी से शहर की तरफ बढ़ रहा है, जिससे पूरे दिल्ली का भूजल स्तर बेहतर हो रहा है.

बाढ़ के पानी को सहेजा जा रहा 

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि राजधानी से गुजरने वाली यमुना नदी में मानसून के दौरान लगभग हर साल बाढ़ आती है, जिसमें करोड़ों लीटर पानी यमुना से होते हुए बह जाता था. ऐसे में केजरीवाल सरकार ने तीन साल पहले मानसून के मौसम में नदी से गुजरने वाले इस अतिरिक्त बाढ़ के पानी को इकट्ठा करने के लिए यमुना के पास पल्ला प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. भूजल स्तर में बढ़ोतरी का पता लगाने के लिए 33 पीजोमीटर भी लगाए गए हैं. पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना का मुख्य उद्देश्य बाढ़ के पानी का संचय करना है, ताकि सालभर इस संचित किए गए पानी का इस्तेमाल भूजल स्तर को बेहतर बनाने के लिए किया जा सके. 

यमुना में व्यर्थ नहीं बहेगा लाखों गैलन पानी

 सिसोदिया ने बताया कि पिछले 10 साल में भूजल स्तर 2 मीटर तक नीचे चला गया था, लेकिन पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना के शुरू होने के बाद भूजल स्तर आधे से 2 मीटर तक बढ़ा है. ये नतीजे काफी उत्साहित करने वाले हैं. जहां वर्तमान में करीब 812 मिलियन गैलन ग्राउंड वाटर रिचार्ज हुआ है, वहीं प्रोजेक्ट का क्षेत्रफल 1000 एकड़ तक बढ़ने से करीब 20,300 एमजी ग्राउंड वाटर रिचार्ज हो सकेगा. उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश के सूखाग्रस्त और पानी की किल्लत झेल रहे राज्यों के लिए एक बेहतरीन उदाहरण साबित होगा. 

पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना के तहत पल्ला से वजीराबाद के बीच करीब 20-25 किमी लंबे इस स्ट्रेच पर प्राकृतिक तौर पर गड्ढ़े (जलभृत) बनाए गए हैं. मानसून या बाढ़ आने पर इसमें  पानी भर जाता है. नदी का पानी जब उतरता है तो गड्ढ़ों में पानी बचा रहता है, जहां पहले लाखों गैलन पानी नदी में बह जाता था, अब वो व्यर्थ नहीं बहेगा. 

तीन वर्षों में भूजल रिचार्ज के आंकड़े

साल 2019- 854 मिलियन लीटर
साल 2020- 2888 मिलियन लीटर
साल 2021- 4560 मिलियन लीटर

बनाए जा रहे 1500 से अधिक पिट्स

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि इस साल की बारिश में पूरी दिल्ली में बारिश के पानी को इकठ्ठा करने के लिए 1500 से अधिक नए अधिक रेन वाटर हार्वेस्टिंग पिट्स बनाए जा रहे हैं, जो 15 जुलाई से पहले बनकर तैयार हो जाएंगे. बरसात के पानी को व्यर्थ बहने देने से रोककर इन पिट्स को भरने का काम किया जाए.

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डेनमार्क के मॉडल को अपनाने पर विचार 

केजरीवाल सरकार दिल्ली को पानी के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए तेजी से काम कर रही है. इस बाबत पिछले दिनों मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वैन से मुलाकात की थी. साथ ही डेनमार्क के वर्षा जल संरक्षण मॉडल को समझा था. इस दौरान फ्रेडी स्वैन ने बताया था कि कैसे वर्षा जल को संरक्षित कर डेनमार्क ने स्वयं को पानी के लिए आत्मनिर्भर बनाया है. सरकार डेनमार्क के मॉडल को दिल्ली में भी अपनाने का विचार कर रही है. केजरीवाल सरकार ऐसे समाधान को लागू करने के इच्छुक हैं, जिससे कि हम इस मानसून से ही ग्राउंड वाटर रिचार्ज कर सके और उसके संरक्षण के दायरे का विस्तार कर सकें.

केजरीवाल ने सिंगापुर के उच्चायुक्त साइमन वोंग से भी मुलाकात की थी. साइमन वोंग ने कहा था कि दिल्ली और सिंगापुर की समस्याएं एक जैसी हैं, ऐसे में दोनों के बीच विशेष रूप से पानी, पर्यावरण, सार्वजनिक आवास और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्रों में सहयोग की बहुत बड़ी गुंजाइश है.

 

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