Tunnel Rescue Operation: उत्तरकाशी में हुए सुरंग दुर्घटना के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन इतना आसान नहीं दिख रहा. रिटायर्ड जनरल सैयद अता हसनैन ने चुनौतियों के बारे में कही बड़ी बात.
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Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: उत्तरकाशी के सिलक्यारा गांव में निर्माणाधीन सुरंग धंस गई, जिसमें 41 मजदूर 12 दिन से फंसे हुए हैं. अभी तक मजदूरों को सुरंग से नहीं निकाला जा सका है. इस कारण मजदूरों के परिजनों का गुस्सा प्रशासन के प्रति बढ़ रहा है. हालांकि अब ऐसा लग रहा है मजदूरों को जल्द ही सुरंग से निकाल लिया जाएगा. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने रेस्क्यू ऑपरेशन के कई चुनौतियों के बारे में बताया. उनका कहना है कि हिमालय क्षेत्र में जियोलॉजिकल प्रिडिक्शन थोड़ा मुश्किल होता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि अब मजदूरों को पाइप के जरिये आसानी से बाहर निकाला जा सकता है.
आखिर पांच दिन की देरी क्यों
इस रेस्क्यू ऑपरेशन में हो रही देरी को लेकर जनरल हसनैन ने बताया कि जो काम अभी चल रहा है वो बहुत ही तकनीकी है. आप हिमालय क्षेत्र के भूविज्ञान को लेकर किसी भी तरह की भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं. 19 और 17 नवंबर को जिस तरह की बाधाएं हमारे सामने आईं, उनकी वजह से बचाव अभियान में कम से कम पांच दिनों की देरी हुई है.
मजदूरों तक पहुंच रहा भोजन
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा कि जीवन रक्षा के लिए राशन, दवा और अन्य आवश्यक चीजें उन्हें कंप्रेसर के मदद से दी जा रही है. मजदूरों को 4 इंच की पाइप की मदद से सूखे मेवे और खाने-पीने का सामान भेजा जा रहा है. उन्होंने ये भी बताया कि सुरंग के अंदर पानी, ऑक्सीजन और रोशनी है.
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सुरंग के अंदर पाइप डालते समय अपनाए गए सुरक्षा उपायों को बारे में पूछे जाने पर लेफ्टिनेंट जनरल हसनैन ने बताया कि पाइप न ढहे इसके लिए निश्चित मात्रा में क्लैडिंग जोड़ी गई है. उन्होंने ये भी कहा कि जो पाइप अंदर डाला गया है वो काफी मजबूत है.
क्लैडिंग क्या है
क्लैडिंग एक तरह की शिल्डिंग होती है जो सुरंग की परत से लगकर सारा बोझ झेलती है और आसानी से उसके बीच से अंदर जा सकती है. इसकी वजह से पाइप पर दबाव बहुत कम होगा और इससे निकलने वाले मजदूर सुरक्षित रहेंगे.