इस दौरे में (परिसीमन) आयोग राजनीतिक दलों, जन प्रतिनिधियों और 20 जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारियों/उपायुक्तों समेत केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों से वार्ता करेगा,
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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में निर्वाचन क्षेत्रों की नयी सीमा तय करने के लिए जानकारी एकत्र करने के उद्देश्य से परिसीमन आयोग छह जुलाई से नौ जुलाई तक केंद्रशासित प्रदेश का चार दिवसीय दौरा करेगा और वहां राजनीतिक दलों, जन प्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के साथ वार्ता करेगा. निर्वाचन आयोग ने बुधवार को यह जानकारी दी.
चुनावी पैनल के मुख्यालय में यहां बुधवार को हुई बैठक के बाद यह फैसला किया गया. इस बैठक की अध्यक्षता परिसीमन आयोग की अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई ने की और इसमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) सुशील चंद्र ने भी हिस्सा लिया. जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी इस तीन सदस्यीय समिति के सदस्य हैं लेकिन वह बैठक में शामिल नहीं हुए.
निर्वाचन आयोग के प्रवक्ता ने यहां जारी एक बयान में कहा, 'इस दौरे में (परिसीमन) आयोग राजनीतिक दलों, जन प्रतिनिधियों और 20 जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारियों/उपायुक्तों समेत केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों से वार्ता करेगा, ताकि वह जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून, 2019 के तहत अनिवार्य परिसीमन की जारी प्रक्रिया संबंधी प्रत्यक्ष जानकारी एकत्र कर सके.' प्रवक्ता ने कहा कि परिसीमन आयोग को उम्मीद है कि सभी पक्ष इस कार्य में ‘सहयोग' करेंगे और उपयोगी सुझाव देंगे, ताकि परिसीमन का काम समय पर पूरा हो सके.
माना जा रहा है कि आयोग आठ जुलाई को जम्मू जाने से पहले बैठकों का पहला दौर श्रीनगर में शुरू करेगा. बयान में बताया गया कि परिसीमन आयोग 2011 की जनगणना संबंधी जिलों/निर्वाचन क्षेत्रों के आंकड़ों/मानचित्र को लेकर बैठकें पहले हो चुकी है. उन्होंने कहा, ‘इससे पहले, उसने सभी सहयोगी सदस्यों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया, जिसमें दो सहयोगी सदस्यों ने भाग लिया. केंद्रशासित प्रदेश के नागरिक समाज और आमजन से परिसीमन से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर कई अभ्यावेदन भी प्राप्त हुए हैं.'
प्रवक्ता ने कहा कि परिसीमन आयोग ने इस प्रकार के सभी सुझावों का संज्ञान पहले ही ले लिया है और निर्देश दिया है कि परिसीमन संबंधी जमीनी वास्तविकताओं के संदर्भ में इन पर आगे विचार-विमर्श हो सकता है. जम्मू-कश्मीर के संसदीय एवं विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण की जिम्मेदारी परिसीमन आयोग को सौंपी गई है. आयोग का गठन पिछले साल मार्च में किया गया था और उसे अपना काम पूरा करने के लिए एक साल का समय दिया गया था, लेकिन कोविड-19 के कारण इस साल मार्च में केंद्र सरकार ने इसे एक और साल का समय दिया.
परिसीमन आयोग ऐसे समय में यह दौरा करेगा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह जम्मू-कश्मीर के मुख्य धारा के राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक में जोर दिया था कि परिसीमन की प्रक्रिया को जल्द पूरा किया जाएगा, ताकि केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव हो सकें. इस यात्रा के दौरान परिसीमन आयोग के सदस्य विभिन्न राजनीतिक दलों, उनके प्रतिनिधियों और उन पांच सहायक सदस्यों के साथ वार्ता करेंगे, जो केंद्रशासित प्रदेश से लोकसभा सदस्य हैं. मुख्यधारा के राजनीतिक दल नेशनल कांफ्रेंस ने कश्मीर घाटी से लोकसभा की सभी तीन सीट जीती थीं. नेशनल कांफ्रेंस ने पूर्व में आयोग की बैठकों से दूर रहने का फैसला किया था और दलील दी थी कि इस चरण में निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्गठन की कोई जरूरत नहीं है. हालांकि ऐसे संकेत हैं कि पार्टी इस पर पुनर्विचार कर रही है और उसने यह तय करने के लिए पार्टी अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला को हाल में अधिकृत किया है कि आयोग की चर्चाओं में हिस्सा लिया जाए या नहीं. प्रधानमंत्री ने 24 जून को जम्मू-कश्मीर के 14 नेताओं के साथ करीब साढ़े तीन घंटे तक चली बैठक के बाद किए गए सिलसिलेवार ट्वीट में कहा था, 'हमारी प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है. परिसीमन की प्रक्रिया तेजी से की जाएगी, ताकि चुनाव हो सकें और जम्मू-कश्मीर को निर्वाचित सरकार मिल सके जिससे वहां विकास को मजबूती मिले.'
ऐसे संकेत हैं कि केंद्र जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव जल्द कराने का इच्छुक है. ऐसी उम्मीद है कि चुनाव अगले छह से नौ महीने में हो सकते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि बुधवार को बैठक में जम्मू-कश्मीर के सभी उपायुक्तों के साथ पिछले सप्ताह हुई वार्ता समेत अब तक की गई प्रगति की समीक्षा की गई है. जम्मू-कश्मीर के सभी उपायुक्तों के साथ मौजूदा विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्गठन और सात नयी सीटें बनाने पर विचार-विमर्श किया गया था. उपायुक्तों के साथ हुई बैठक में विधानसभा सीटों को भौगोलिक रूप से अधिक सुगठित बनाने के तरीके के बारे में जानकारी एकत्र की गई थी. परिसीमन की कवायद के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी. विधानसभा की 24 सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में पड़ने के कारण खाली रहती हैं.