विकास दुबे कैसे गांव के लोगों को मारता-पीटता था. कैसे अपनी अदालत लगाकर निर्दोष गांववालों को सजा सुनाता था. इसकी गवाही देते हुए गांव के लोग आज भी सिहर उठते हैं.
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नई दिल्ली: कानपुर में आठ पुलिसवालों के हत्यारे, गैंगस्टर विकास दुबे का एनकाउंटर हुए एक सप्ताह बीत चुका है. अब न्यूज़ चैनल्स के लिए इस ख़बर में कोई मसाला नहीं बचा है इसलिए आप अब किसी न्यूज़ चैनल पर विकास दुबे से जुड़ी कोई खबर नहीं देखेंगे. लेकिन ज़ी न्यूज ने तय किया है कि हम ऐसी खबरों को दबने नहीं देगे इसलिए विकास दुबे के गांव जाकर हमने फॉलॉअप स्टोरी की है.
ज़ी न्यूज़ के कैमरे पर गांव के लोगों ने विकास दुबे के अत्याचार की जो चश्मदीद गवाहियां दी हैं, वो आपको कहीं और सुनने या पढ़ने को नहीं मिलेंगी. विकास दुबे का अंत, इस गांव के लिए एक नई सुबह की शुरुआत है. क्योंकि लगभग ढ़ाई हजार की आबादी वाले इस गांव के हर शख्स के पास विकास दुबे के अत्याचारों की आपबीती है.
विकास दुबे कैसे गांव के लोगों को मारता-पीटता था. कैसे अपनी अदालत लगाकर निर्दोष गांववालों को सजा सुनाता था. गांववालों को झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल भिजवा देता था. कैसे गरीबों के हक के पैसे से अपने साम्राज्य का विस्तार करता था और कैसे उसने तीस वर्षों तक बिकरू गांव को अपना बंधक बनाकर रखा. इसकी गवाही देते हुए गांव के लोग आज भी सिहर उठते हैं. क्योंकि उन्हें डर है कि एक विकास दुबे मारा गया है, कहीं कोई दूसरा विकास दुबे पैदा न हो जाए.
जो लोग विकास दुबे के एनकाउंटर से आहत हैं और उसकी मौत का दुख भुला नहीं पा रहे हैं, उन्हें विकास दुबे के गुनाहों की चश्मदीद गवाहियां पर आधारित, ये ग्राउंड रिपोर्ट जरूर देखनी चाहिए.