DNA ANALYSIS: योग और संगीत आपको बनाएंगे शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत, जानें इसके फायदे
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DNA ANALYSIS: योग और संगीत आपको बनाएंगे शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत, जानें इसके फायदे

आज हम आपको बताएंगे कि अगर योग और संगीत आपके जीवन में प्रवेश कर जाएं तो कैसे आप शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत हो जाएंगे. 

DNA ANALYSIS: योग और संगीत आपको बनाएंगे शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत, जानें इसके फायदे

नई दिल्ली: कल 21 जून को पूरी दुनिया ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और साथ ही विश्व संगीत दिवस मनाया. योग और संगीत दोनों ही आपकी मानसिक थकान, डिप्रेशन और आपके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी हैं. 

आज हम आपको बताएंगे कि अगर योग और संगीत आपके जीवन में प्रवेश कर जाएं तो कैसे आप शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत हो जाएंगे. 

योग हमारी प्रकृति से हमें जोड़ता है

भारत में हजारों वर्षों से योग किया जा रहा है. महर्षि पतंजलि ने जब योग सूत्र में आसनों को पंक्तिबद्ध किया था. उससे भी कई हजार वर्षों से योग हमारे ऋषि मुनियों की दिनचर्या का हिस्सा था और इसी परंपरा ने भारत को विश्व में एक अलग पहचान दी है. ये योग ही जिसने पूरे विश्व को वसुधैव कुटुंबकम के भारतीय सिद्धांत से जोड़ा है. 

भारत ने पूरे विश्व को स्वस्थ रहने का ऐसे सूत्र बताया है, जिसमें आज पूरा विश्व पिरोया हुआ नजर आ रहा है. दुनिया के कई देशों में योग का प्रचार प्रसार हुआ है और लोगों ने इसको सराहा और अपनाया है.

योग न तो धार्मिक विषय है न ही केवल अध्यात्म से जुड़ा हुआ है. ये हमारी प्रकृति से हमें जोड़ता है. ये बताता है कि हम अलग अलग आसनों के जरिए धरती पर मौजूद जीवों से स्वस्थ रहने की कला सीख सकते हैं.

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की अद्भुत तस्वीरें 

कल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर 11 हजार 700 फीट की ऊंचाई से अद्भुत तस्वीर आई. इसमें केदारनाथ तीर्थ के पुरोहित ने मंदिर स्थल की परिक्रमा योग के जरिए पूरी की. ये तस्वीर योग की शक्ति दिखाती है. पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने हाथों के बल केदारनाथ मंदिर की परिक्रमा की.

-वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन कहता है कि वर्ष 2025 तक हमें अपने जीवन से आलस को 10 प्रतिशत कम करना चाहिए.

-इसके अलावा WHO का मानना है कि 5-17 वर्ष के बच्चों को रोज 60 मिनट तक व्यायाम करना चाहिए.

-18-64 वर्ष के लोग हफ्ते में कम से कम 150 - 300 मिनट का व्यायाम करना चाहिए और 65 वर्ष की उम्र से ज्यादा के लोगों 1 हफ्ते में कम से कम 150 मिनट तक कसरत करनी चाहिए.

-यानी बच्चे हों, युवा हों या फिर बुजुर्ग सभी को योग अपनाना चाहिए.

-योग के लिए उम्र मायने नहीं रखती है, बल्कि योग को दिनचर्या का हिस्सा बनाना हमारी आज की जरूरत है.

कल भारतीय नौसेना के जवानों ने समंदर की लहरों पर योग के कई आसन किए. हिंद महासागर में INS शारदा पर जवानों ने योग किया.

दक्षिणी चीन सागर में वियतनाम के पास कैम रान खाड़ी में मौजूद INS ऐरावत पर भी नौसेना के जवानों ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया.

भारतीय सेना के जवान जिस जगह पर ध्यान लगाए बैठे थे. उसी पर चीन नजरें गड़ाए रहता है. जिस जगह पर भारतीय सेना के जवान अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रहे थे. वो वही गलवान है जहां पर पिछले वर्ष चीन को अपनी गलती का भारी खामियाजा भुगतना पड़ा था.

ITBP के जवानों ने जिस जगह पर अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया. वो है, पैंगोंग त्सो. ये वही क्षेत्र है जिस पर चीन की नजर है और यहां पर भारतीय सेना का योग दिवस मनाना, उसकी शक्ति को भी दर्शाता है.

18 हजार 200 फीट की ऊंचाई पर बर्फीली हवाओं और बर्फ में भी सेना के जवानों को योग किया. तेज हवाओं के बावजूद जवानों ने कई आसन किए.

योग में सूर्यनमस्कार को शरीर का व्यायाम कहा जाता है, लेकिन अगर वो 18 हजार फीट की ऊंचाई पर किया गया हो तो वो अनोखी बात है. ITBP के एक जवान ने योग दिवस के मौके पर माइनस तापमान होने के बावजूद सूर्यनमस्कार किया.

पहाड़ों और ऊंचाई पर तैनात जवान ही नहीं, गर्म रेत पर भी सेना के जवानों ने योगासन किए.

चलती ट्रेन में योगासन

योग को अपनाने और जीवनशैली का हिस्सा बनाने के लिए जगह कैसी होनी चाहिए. ये जरूरी नहीं है, मन होना चाहिए ये जरूरी है. मुंबई में एक योग ग्रुप ने चलती लोकल ट्रेन के अंदर योगासन किए. बोरिवली से अंधेरी के बीच इस ग्रुप ने लोगों को योग के लिए प्रेरित किया.

योग और संगीत मुफ्त थेरेपी

योग और संगीत, ये दोनों ही थेरेपीज बिल्कुल मुफ्त मिल सकती हैं और इसे आप कुछ बातों से भी समझ सकते हैं. मशहूर Beatles Band के बारे में आपने जरूर सुना होगा. दुनियाभर में उनके संगीत के चाहने वालों की कमी नहीं है.

1950 के दशक में इंग्लैंड के लिवरपुल से शुरू हुआ ये रॉक बैंड 1960 के दशक तक दुनिया भर में मशहूर हो गया था. घर हो या कैफे, रेस्टोरेंट हो या कार, हर जगह ये म्यूजिक बैंड लोगों की पसंद था.

इस बैंड के चार सदस्य थे और चारों काफी मशहूर थे, लेकिन समय के साथ इनकी मुश्किलें बढ़ती गईं और ये सभी सदस्य नशे की लत से संघर्ष करने लगे. उस समय किसी को इस बात की जानकारी नहीं थी कि Beatles Band के ये चारों सदस्य किन परिस्थितियों से गुजर रहे हैं.

हालांकि जब दुनिया से बात से बेखबर थी तब वर्ष 1968 में ये सभी लोग भारत आए और हरिद्वार के ऋषिकेश में रुके, जहां इन लोगों ने खुद को ठीक करने के लिए योग का सहारा लिया.

कई महीनों तक ये चारों ऋषिकेश में ही रहे और संगीत के साथ-साथ योग करते रहे. योग ने Beatles के इन चारों सदस्यों की जिंदगी बदल दी, उनकी नशे की लत छूट गई और इसके बाद भारत में रहकर Beatles के इन चारों सदस्यों ने न सिर्फ 48 गाने लिखे, बल्कि उन्हें कंपोज भी किया. उनका ये भारत दौरा उनके जीवन का सबसे रचनात्मक समय बना और ये सबकुछ संभव हो पाया सिर्फ योग के कारण.

योग सदियों से भारत प्रचलित है, लेकिन आजादी के बाद अंतरराष्ट्रीय तौर पर इसकी पहचान बनाने में दशकों लग गए. 2014 में जब नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने उसके बाद यूनाइटेड नेशंस ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के तौर पर मान्यता दी और आज हमने सातवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया है.

-दुनियाभर में करीब 30 करोड़ लोग योग करते हैं.

-दुनियाभर में योग का व्यवसाय करीब 6 लाख 60 हज़ार करोड़ रुपये का है.

-अनुमान है कि वर्ष 2025 तक ये आंकड़ा 16 लाख 13 हज़ार करोड़ रुपये हो जाएगा क्योंकि हर साल योग के वैश्विक कारोबार में 11.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है.

-योग स्टूडियो के साथ-साथ योग से जुड़ी चीजों जैसे योगा मैट, गीयर्स और अन्य सामानों के कारोबार को भी जोड़ दें तो ये आंकड़ा 6 लाख 60 हज़ार करोड़ रुपये से बढ़ कर लगभग 9 लाख 75 हजार करोड़ हो जाता है.

-सिर्फ अमेरिका में योग का कारोबार 1 लाख 20 हज़ार करोड़ रुपये का है.

-ब्रिटेन में करीब 7 हजार 920 करोड़ रुपये का है.

-और चीन में लगभग 27 हज़ार करोड़ रुपये का कारोबार है.

-और ऑस्ट्रेलिया में योग का कारोबार 4 हज़ार 700 करोड़ रुपये का है.

अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही योग इंडस्ट्री

योग करने से न सिर्फ स्वास्थ्य अच्छा रहता है, बल्कि योग इंडस्ट्री दुनियाभर में नौकरी देने और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का काम भी कर रही है. योग एक ऐसी कला है जिसे भारत ने दुनिया को दिया है. योग को लेकर अब कुछ और चौंकाने वाली बातें आपको बताते हैं-

-अमेरिका के 10 में से 9 व्यक्ति को योग के बारे में पता है.

-अमेरिका की कुल 33 करोड़ की आबादी में से करीब 3 करोड़ 60 लाख लोग योग करते हैं.

-उनमें से 40 प्रतिशत लोग योग के कारण सेहतमंद खाना खाते हैं.

-50 प्रतिशत लोग दूसरों को योग सिखाते हैं.

-59 प्रतिशत अमेरिकी लोगों को योग के कारण अच्छी नींद आती है.

-54 प्रतिशत Americans के मुताबिक योग से उनका तनाव दूर होता है.

योग और संगीत का कॉम्बिनेशन

योग और संगीत का डेडली कॉम्बिनेशन ऐसा है, जो जीवन में बड़े बदलाव को दिशा दे सकता है. 19वीं सदी के डेनमार्क के मशहूर लेखक हैंस क्रिश्चियन एंडरसन ने एक बार कहा था कि Where Words Fail, Music Speaks. यानी जहां शब्द चुप हो जाते हैं, वहां संगीत बोलना शुरू करता है.

संगीत को कई भाषाओं और अनेकों रूप में परिभाषित किया गया है, लेकिन मौटे तौर पर ऐसी ध्वनि, जो रस की सृष्टि करे, वो संगीत कहलाती है और इतिहासकार मानते हैं कि पृथ्वी पर संगीत तब से है, जब से इंसानों का वजूद है. संगीत ने कई युग जिए हैं और हर युग में इसने इंसानों को जीवन की लय के बारे में बताया है, लेकिन आज 21वीं सदी में संगीत को मात्र मनोरंजन का साधन माना जाता है. म्यूजिक गेट टूगेदर, पार्टीज और दूसरे कार्यक्रमों में ही सुना जाता है.

लेकिन क्या संगीत का सार सिर्फ इतना ही है? और क्या ये मनोरंजन तक ही सीमित है? ये समझना आज बेहद जरूरी है और हम इसमें आपकी पूरी मदद करेंगे.

सबसे पहले आपको ये बताते हैं कि संगीत जीवन के सुरों को सजाने में हमारी कैसे मदद करता है?

- संगीत हमें तनाव से दूर रखता है.

- एक अध्ययन के मुताबिक, शास्त्रीय संगीत सुनने से ह्रदय गति सामान्य रहती है.

- और डॉक्टर मानते हैं जिन लोगों का ब्लड प्रेशर हाई रहता है, उनके लिए संगीत एक दवाई की तरह है.

- अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने अपनी एक स्टडी में बताया था कि जैसे कोई दवाई हमारे मस्तिष्क में बदलाव लाती है, ठीक उसी तरह संगीत भी वही काम करता है और इसलिए कई वैज्ञानिक संगीत को कुछ मामलों में दवाइयों का विकल्प कहते हैं.

- संगीत और हमारे मूड के बीच भी एक अद्भुत संबंध है. असल में जब हम तनाव में होते हैं तो हमारा मस्तिष्क कुछ खास तरह के स्ट्रेस हार्मोन्स बनाने लगता है, जो शरीर में खून के प्रवाह पर अपना असर डालते हैं और इससे डिप्रेशन और एंजाइटी होने लगती है.

- लेकिन ऐसी स्थिति में कोई संगीत सुन ले तो यही संगीत उस व्यक्ति के लिए एक थेरेपी का काम करता है क्योंकि, संगीत हमारे मस्तिष्क का ध्यान उन बातों से भटका देता है, जो हमें तनाव देती हैं.

- एक रिसर्च कहती है कि संगीत सुनने से आप आशावादी रहते हैं और ये नकारात्मक विचारों को भी खत्म कर देता है.

- संगीत किसी व्यक्ति की क्षमताओं का भी विस्तार करता है और आप इसे एक उदाहरण से भी समझ सकते हैं. बहुत कम लोग जानते हैं कि दुनिया के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन बहुत अच्छा वायलिन बजाते थे. उन्होंने कहा था कि वो अगर वैज्ञानिक न बने होते तो दुनिया उन्हें एक संगीतकार के रूप में जानती.

आज अल्बर्ट आइंस्टीन अपनी Theory Of General Relativity के लिए विज्ञान की किताबों में अमर हैं, लेकिन ये बात बहुत कम लोगों को पता है कि इस थ्योरी से पहले उन्होंने कई हफ्तों तक खुद को एक कमरे में बंद रखा था और वो इस कमरे से सिर्फ पियानो बजाने के लिए बाहर आते थे यानी इस खोज में भी संगीत उनके साथ था.

- संगीत सुनने से अच्छी नींद आती है.

- और डॉक्टर कहते हैं कि संगीत हमारे मस्तिष्क को एक्सरसाइज कराता है.

- कुछ समय पहले ब्रिटेन की Oxford Brookes University, इटली की University of Parma और ब्राजील की Sao Paulo State University ने भी इस पर संयुक्त रूप से एक अध्ययन किया था, जिसमें ये पता चला था कि अगर लोग ड्राइविंग करते समय और ट्रैफिक जाम के दौरान शांत संगीत सुनते हैं, तो इससे वो कम तनाव महसूस करते हैं.

- संगीत की धुन हमारी हिम्मत को बढ़ाने का भी काम करती है.

- और कई मामलों में संगीत आपसी मनमुटाव, झगड़े और पारिवारिक लड़ाईयों को भी कम करने में मदद करता है.

- और सबसे अहम पूरी दुनिया में संगीत को सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय भाषा माना जाता है.

संगीत और धर्म के बीच भी गहरा संबंध 

संगीत कई रूप में हमारे आसपास मौजूद रहता है, लेकिन आज हम इसे सिर्फ मनोरंजन के रूप में देखते हैं, जबकि पहले ऐसा नहीं होता था. भारत में संगीत की शुरुआत सामवेद से मानी जाती है और ऐसा कहा जाता है कि सामवेद संगीत का उल्लेख करने वाला दुनिया का पहला ग्रंथ है. भारतीय संगीत में जिन सात सुरों का वर्णन है, उनका आधार भी सामवेद ही है.

भारत में संगीत और धर्म के बीच भी गहरा संबंध रहा है. प्राचीन युग में 'ॐ' शब्द का उच्चारण, संस्कृत के कई मंत्र और वेदों में बताए गए श्लोक हमारा संगीत भी थे, हमारी आस्था का भी केंद्र थे और आज भी हैं. हिंदू धर्म में माना गया है कि संगीत की उत्पत्ति ब्रह्मा द्वारा हुई.

ब्रह्मा ने आध्यात्मिक शक्ति द्वारा ये कला, देवी सरस्वती को दी और सरस्वती को 'वीणा पुस्तक धारणी' कहकर साहित्य की शक्ति माना गया है. इसी आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा सरस्वती ने नारद को संगीत की शिक्षा प्रदान की और नारद ने स्वर्ग के गंधर्व किन्नर और अप्सराओं को संगीत शिक्षा दी.

इसके अलावा भगवान कृष्ण बांसुरी बजाते थे और भगवान शिव भी डमरू के साथ पूजे जाते हैं.

आस्था के अलावा राजपाट में भी संगीत का प्रभुत्व दिखता है. राजाओं महाराजाओं के युग में भी संगीत को विरासत और सम्पत्ति के रूप में जाना गया. आपने संगीत सम्राट तानसेन के बारे में जरूर सुना होगा. तानसेन या रामतनु हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के एक महान ज्ञाता थे और उन्हें मुगल शासक अकबर के नवरत्नों में भी गिना जाता है.

संगीत युद्ध भूमि पर भी अपना रस बिखेरता है. प्राचीन युग में युद्ध की घोषणा के लिए बड़े बड़े ड्रम्स का इस्तेमाल होता था.

मध्य युग में उस्मानिया सल्तनत की फौज के साथ अलग अलग मिलिट्री बैंड्स भी होते थे, जो युद्ध से पहले और रणभूमि में जाने के लिए सैनिकों का जोश बढ़ाते थे.

स्कॉटलैंड में तो युद्ध और म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट Bagpipes का लंबा इतिहास है.

माना जाता है कि सेना में मिलिट्री बैंड रखने की ये परंपरा उस्मानिया सल्तनत से यूरोप में प्रचलित हुई और फिर ब्रिटेन से होते हुए भारत पहुंची. आज भारत में भी सेना में मिलिट्री बैंड्स होते हैं, जिनकी अपनी अलग अलग मौकों के लिए अलग अलग धुनें होती हैं. जैसे युद्ध के लिए अलग, परेड के लिए अलग और श्रद्धांजलि के लिए अलग.

हिन्दुस्तान के प्रख्यात शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने एक बार कहा था कि अगर ये दुनिया खत्म हो भी जाती है, तब भी संगीत बचा रहेगा और उनकी ये बात आज भी प्रासंगिक लगती है और हम आपसे आज यही कहना चाहते हैं कि संगीत सिर्फ मनोरंजन नहीं है. संगीत जीवन है और आज आपको खुद से ये पूछना चाहिए कि क्या आप खुद में संगीत को महसूस कर पाते हैं.

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