रामानुजन ने वर्ष 1913 में मशहूर ब्रिटिश गणितज्ञ प्रोफेसर G. H. Hardy को एक चिट्ठी लिखी थी. इसके बाद रामानुजन को Cambridge University जाने का मौका मिला. प्रोफेसर Hardy के मुताबिक, गणित के जिन सूत्रों को सुलझाने में बड़े गणितज्ञों को भी 5 से 6 घंटे का समय लगता था. उसे सिद्ध करने के लिए रामानुजन सोचने का वक्त भी नहीं लेते थे.
Trending Photos
नई दिल्ली: भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन ने गणित में कई ऐसे फॉर्मूले दिये जिनकी वजह से उन्हें 'संख्या का जादूगर' भी कहा जाता है और अपनी प्रतिभा और मौलिक तर्क-शक्ति से उन्होंने गणित में कई महान खोजें की. सिर्फ 12 वर्ष की उम्र से उन्होंने बिना किसी औपचारिक शिक्षा के Mathematical Theorems यानी गणित के सूत्रों की खोज शुरू कर दी थी. उन्होंने 32 वर्ष के अपने छोटे से जीवन में, गणित के करीब 3 हज़ार 900 सिद्धांत बनाए जिससे गणित के सवाल हल किए जाते हैं इन्हें शुद्ध गणित की भाषा में Identities और Equations कहा जाता है. इनमें से कई सिद्धांत रिजल्ट तो सही देते हैं पर उनके प्रोसेस पर अभी भी रिसर्च जारी है. रामानुजन के विचारों की श्रेष्ठता यही है कि वो अपने वक्त से बहुत आगे की सोचते थे. रामानुजन के रिसर्च पेपर कई बार पत्र पत्रिकाओं और Journals में नहीं छपते थे क्योंकि संपादक उनकी Theory को समझ ही नहीं पाते थे. पर बाद में उन्हीं सिद्धांतों से Maths, Physics और Astronomy की बड़ी-बड़ी समस्याएं सुलझायी गयीं.
वर्ष 1919 में उन्होंने एक सिद्धांत की खोज की. जिसे Mock Theta Function कहा जाता है. ये असंख्य यानी Infinite हो जाने वाली गणना यानी Calculation की समस्या को सुलझाने में काम आता है. लंबे समय तक इसे समझने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक मेहनत करते रहे और वर्ष 2002 में पता चला कि ब्रह्मांड की सबसे बड़ी पहेली कहे जाने वाले Black Hole को समझने के लिए, Mock Theta Function का प्रयोग जरूरी है. यानी रामानुजन अपने समय से 83 वर्ष आगे चल रहे थे. अब इस फंक्शन का इस्तेमाल ऐसी चीज की गणना के लिए भी किया जा रहा है जिसका Growth Pattern समझ में न आ रहा हो. जैसे कैंसर हो जाने पर शरीर में कोशिकाओं की वृद्धि रैंडम होती है. यानी पता नहीं चलता कि कैंसर किस तरह से फैल रहा है. ऐसे में इसका इलाज बहुत कठिन होता है. अब रामानुजन के फॉर्मूले की मदद से तय किया जाता है कि कैंसर के मरीजों को कब और कितनी दवाई दी जाए.
अब आपको रामानुजन की महानता साबित करने वाली एक घटना बताते हैं. रामानुजन ने वर्ष 1913 में मशहूर ब्रिटिश गणितज्ञ प्रोफेसर G. H. Hardy को एक चिट्ठी लिखी थी. इसके बाद रामानुजन को Cambridge University जाने का मौका मिला.
प्रोफेसर हार्डी के मुताबिक, गणित के जिन सूत्रों को सुलझाने में बड़े गणितज्ञों को भी 5 से 6 घंटे का समय लगता था. उसे सिद्ध करने के लिए रामानुजन सोचने का वक्त भी नहीं लेते थे. यानी जब तक उनके सामने सवाल लिखा जाता. तब तक वो उसका जवाब देना शुरू कर देते थे.
विद्वानों के मुताबिक, सिर्फ मानसिक शक्तियों की मदद से ही ऐसा करना संभव नहीं था. कहा जाता है, जब भी रामानुजन किसी गणितीय समस्या को हल करते थे, तब वो अपनी दोनों आंखों के बीच के हिस्से में ध्यान केंद्रित करते थे. योग के मुताबिक, ये वही जगह है जहां पर शरीर की आध्यात्मिक शक्तियों का चरम बिंदु होता है. रामानुजन खुद कहते थे कि उनके लिए गणित के उस सूत्र का कोई मतलब नहीं है, जिससे उन्हें आध्यात्मिक विचार न मिलते हों.
ब्रिटेन के प्रोफेसर हार्डी, रामानुजन को दुनिया का सबसे महान गणितज्ञ मानते थे. कहा जाता है कि उन्होंने दुनिया के प्रतिभावान व्यक्तियों को 100 नंबर के पैमाने पर आंका था. इस लिस्ट में उन्होंने खुद को सिर्फ 30 नंबर दिये, लेकिन रामानुजन को 100 में से 100 अंक दिए. आप इसे भारत की प्रतिभा को दिया गया महत्वपूर्ण सम्मान भी कह सकते हैं.
कई विद्वान मानते हैं कि ब्रिटिश भारत का नागरिक होने की वजह से रामानुजन को वो सम्मान नहीं मिला, जिसके वो हकदार थे. अगर रामानुजन का जन्म भारत के बदले यूरोप के किसी देश या अमेरिका में होता, तो शायद बहुत पहले ही उन्हें नोबेल पुरस्कार मिल गया होता और उन्हें आधुनिक दौर का सबसे महान गणितज्ञ भी माना जाता. हालांकि ये रामानुजन की असाधारण प्रतिभा ही थी, जिसने ब्रिटिश शासन के बावजूद उन्हें कामयाब बनाया था.
आज भी हमारे देश के कई बच्चों को गणित से डर लगता है, शायद आपके घर में भी ऐसा बच्चा हो.
- गणित के डर की वजह से कई बच्चे इससे दूरी बना लेते हैं और इससे बच्चों के ज्ञान में कमी आती है. ये एक प्रकार की चिंता है जो उनके मन में बैठ जाती है. इसे Math Anxiety भी कहते हैं.
- एक स्टडी के मुताबिक, अमेरिका के 93 प्रतिशत लोग गणित को लेकर थोड़ी या ज्यादा चिंता करते हैं और भारत में भी लगभग 10 लाख छात्र इससे पीड़ित हैं.
- भारत में 14 वर्ष से लेकर 18 वर्ष तक के कई युवा दूसरी कक्षा के स्तर का गुणा-भाग भी नहीं कर पाते हैं.
हालांकि गणित के डर का इलाज संभव है. शिक्षक चाहें तो क्रिएटिव तरीके से इसे पढ़ाकर बच्चों का डर दूर कर सकते हैं और उन्हें प्रेरणा दे सकते हैं. छात्रों के लिए भी जरूरी है कि मैथ्स को समझने के लिए वो हमेशा सवाल पूछते रहें. मैथ्स के सिद्धांतों को रटने के बजाय उसे समझने की कोशिश करें. सबसे आखिर में माता-पिता भी इस बात का ध्यान रखें कि हर बच्चा अपनी रफ्तार से सीखता है, दूसरों से अपने बच्चों की तुलना न करें और अपनी उम्मीदों का बोझ बच्चों पर न डालें.
हालांकि आज बच्चों के लिए कैलकुलेटर से लेकर कम्प्यूटर तक सभी सुविधाएं हैं. कोचिंग हैं, Online Classes, Apps है और मां-बाप भी पहले की अपेक्षा ज्यादा पढ़े लिखे हैं. फिर भी इन्हें गणित से डर लगता है, जबकि रामानुजन ने इन सुविधाओं के बिना ही सटीक गणना करना सीखा था. उन्हें कोई ट्रेनिंग भी नहीं मिली थी. इस तरह से रामानुजन के जीवन का संदेश हमारे और आपके लिए बहुत बड़ा है. वो ये कि समस्याओं से डरना नहीं, उन्हें हल करने का तरीका खोजना पड़ता है.