Coronavirus: देश में 10 जनवरी 2021 को 18 हजार से ज्यादा मामले आए थे. फरवरी में कोरोना वायरस का संक्रमण कुछ कम होना शुरू हुआ था, लेकिन मार्च में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े. 10 मार्च को 17 हजार, 20 मार्च को 40 हजार और इसके 11 दिन बाद 1 अप्रैल को ये आंकड़ा 72 हजार को पार कर गया है. भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पिछली बार के मुकाबले थोड़ी अलग है.
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नई दिल्ली: अब हम आपको कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बारे में बताना चाहते हैं, जो पहले वाली लहर से भी ज़्यादा ऊंची उठ रही है, लेकिन इस पर बड़ा अपडेट ये है कि भारत में अब से अप्रैल के महीने में हर रोज वैक्सीन लगाई जाएगी. सभी राज्यों को साप्ताहिक अवकाश और सार्वजनिक अवकाश के दिन भी वैक्सीनेशन जारी रखने के निर्देश दिए गए गए हैं. 1 अप्रैल से भारत में 45 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन लगाए जाने की शुरुआत हो गई है. अगर आपका जन्म 1 जनवरी 1977 से पहले हुआ है तो आप वैक्सीन लगवा सकते हैं.
कल पहले दिन देश के ज्यादातर वैक्सीन सेंटर पर भीड़ रही. पहले दिन का ये उत्साह आगे भी जारी रहना जरूरी है. भारत में अभी वैक्सीनेशन की रफ्तार उतनी तेज नहीं है, जितनी होनी चाहिए. 16 जनवरी को भारत में वैक्सीन लगाए जाने की शुरुआत हुई थी. कुल वैक्सीन डोज के हिसाब से देखें तो हम विश्व में तीसरे नंबर पर हैं.
अमेरिका में 15 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज दी जा चुकी है. दूसरे नंबर पर चीन है. यहां 11 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज लगाई गई है. जबकि भारत में अब तक साढे़ 6 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज लगाई जा चुकी है. हालांकि कुल जनसंख्या के हिसाब से देखा जाए तो इजरायल इस मामले में सबसे आगे है. इजरायल में 60 प्रतिशत जनसंख्या को वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगाई जा चुकी है. दूसरे नंबर पर यूनाइटेड किंगडम है. जहां 45 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन लगाई गई है. तीसरे नंबर पर चिली है, वहां 35 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन लगाई गई है. यानी भारत अभी बहुत पीछे है.
भारत में कुल जनसंख्या की केवल 4 प्रतिशत आबादी को ही वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगाई गई है. भारत में 1 अप्रैल से 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए वैक्सीन लगाए जाने की शुरुआत हुई है. इस हिसाब से भारत में केवल 20 प्रतिशत लोग ही फिलहाल वैक्सीन लगवा सकते हैं. जबकि विश्व के कई देशों ने 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के सभी लोगों के लिए वैक्सीन लगानी शुरू कर दी है. अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त अरब अमीरात, चीन, कनाडा, इजरायल और सऊदी अरब समेत कुल 14 देश, 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन लगा रहे हैं. हमें लगता है कि भारत में अब वैक्सीनेशन का दायरा बढ़ाए जाने की जरूरत है.
हम ऐसा क्यों कह रहे हैं इसे आप दूसरे देशों से भी समझ सकते हैं. फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम के कुछ शहरों में और बेल्जियम में तीसरी बार लॉकडाउन लगाने की जरूरत पड़ गई है. इटली में तीन बार लॉकडाउन लगाया जा चुका है. अभी भी कई शहरों में लॉकडाउन है. चिली में भी लॉकडाउन है और भारत में जिस तरह से कोरोना संक्रमण के मरीज बढ़ रहे हैं. उससे बचने के लिए भारत के पास भी बहुत ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं.
कल 1 अप्रैल को भारत में कोरोना वायरस के 72 हजार से ज्यादा नए मामले दर्ज किए गए हैं. एक दिन में इतने ज्यादा मामले लगभग 4 महीने के बाद आए हैं. 24 घंटे में भारत में 459 लोगों की मौत कोरोना संक्रमण की वजह से हो गई है और पिछले 3 महीने में ही भारत में कोरोना संक्रमण के बढ़ने की दर चार गुना हो गई है.
भारत में 10 जनवरी को 18 हजार से ज्यादा मामले आए थे. फरवरी में कोरोना वायरस का संक्रमण कुछ कम होना शुरू हुआ था, लेकिन मार्च में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े. 10 मार्च को 17 हजार, 20 मार्च को 40 हजार और इसके 11 दिन बाद 1 अप्रैल को ये आंकड़ा 72 हजार को पार कर गया है. भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पिछली बार के मुकाबले थोड़ी अलग है.
इस बार संक्रमण की रफ्तार पिछले वर्ष के मुकाबले चार गुना ज्यादा है. हालांकि इस बार का संक्रमण कम खतरनाक है, लेकिन इस बार युवा कोरोना संक्रमण की चपेट में ज्यादा आ रहे हैं. भारत में कोरोना के नए वेरिएंट का मिलना भी एक बड़ी चुनौती बन गया है. भारत में कोरोना वायरस के 3 वेरिएंट पाए गए हैं. 11 हजार से ज्यादा सैंपल की जांच करने पर देश में कुल 855 लोग इन वेरिएंट से संक्रमित पाए गए हैं. वायरस के यूके, साउथ अफ्रीका और ब्राजील वाले इन वेरिएंट से संक्रमित लोग देश के 18 राज्यों में मौजूद हैं.
कोरोना वायरस के नए वेरिएंट्स पर भारतीय वैक्सीन कितनी कारगर होगी ये भी एक बड़ा सवाल है. इसीलिए आपको आज से ही मास्क वाला टास्क अपनाना चाहिए. आप खुद भी मास्क लगाएं और किसी को बिना मास्क लगाए देखें तो उससे भी विनम्र निवेदन करें कि वो मास्क लगा ले. देश और दुनिया को आज ऐसी सामाजिक क्रांति की सबसे ज्यादा जरूरत है.
1 अप्रैल के दिन लोग एक दूसरे को अप्रैल फूल बनाने यानी मूर्ख बनाने के लिए अलग-अलग तरीके आजमाते हैं, लेकिन इस वर्ष अप्रैल फूल की एक और परिभाषा भी है. वो परिभाषा एक तस्वीर में छिपी है. ये तस्वीर हमने सोशल मीडिया से ली है. जिसने मास्क नहीं लगाया है, वो खुद को ही मूर्ख बना रहा है. ये एक ग्राफिक इमेज है, लेकिन इसे देखकर आप समझ सकते हैं कि इनमें से समझदार कौन है.
आप मास्क से अपने मुंह और नाक को सही तरीके से ढकें. मास्क के साथ मजाक बिल्कुल न करें क्योंकि, ऐसा करके आप सरकार के जुर्माने से तो बच जाएंगे लेकिन कोरोना के संक्रमण से नहीं बच पाएंगे.
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च के मुताबिक अगर विश्व में 80 प्रतिशत लोग ठीक तरह से मास्क लगाने लगें तो कोरोना वायरस का संक्रमण पूरी तरह से रोका जा सकता है. इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि मास्क आपको शत प्रतिशत कोरोना से बचा ही लेगा लेकिन अगर सभी लोग अपनी आदतें सुधार लें तो कोरोना के संक्रमण से लड़ाई काफी आसान हो सकती है. कोरोना महामारी को एक वर्ष से ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन अभी भी आपको कई लोग ऐसे मिल जाएंगे जिन्होंने या तो मास्क लगाया ही नहीं है या ऐसे लगाया है जिससे कोई फायदा नहीं होगा.
आज हमने देश के अलग अलग हिस्सों से लोगों की मास्क लगाने की आदतों पर एक ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की है. हमारा उद्देश्य आपको ये याद दिलाना है कि मास्क लगाना भूलिए मत. भारत में कोरोना की वैक्सीन अभी केवल 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को ही लगाई जा रही है, लेकिन मास्क वो वैक्सीन है जिसे लगाने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं है और इसे आपको खुद ही लगाना है.
कोरोना संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र है, लेकिन मुंबई में बिना मास्क घूम रहे लोगों ने प्रशासन के खजाने में काफी योगदान दिया है. मुंबई में बिना मास्क के चालान से 4 करोड़ रुपए जुर्माना वसूला जा चुका है, लेकिन लगता है कि देश की आर्थिक राजधानी करोड़ों रुपए गंवाने और हजारों लोगों को कोरोना हो जाने के बाद भी सुधरने के मूड में नहीं है. मास्क न लगाने के मामले में देश की राजधानी में भी प्रतियोगिता चल पड़ी है. लोग फिट रहने के लिए मॉर्निंग वॉक करने निकले हैं लेकिन हवा में घूम रहे कोरोना वायरस को भूल चुके हैं. कुछ लोगों को पक्का यकीन है कि कोरोना वायरस दिल्ली छोड़कर जा चुका है. लेकिन आपने सुना है ना, कौन जाए ज़ौक दिल्ली की गलियां छोड़कर... और कोरोनावायरस ने तो भारत की एक भी गली नहीं छोड़ी है. लोगों को मनाने, समझाने की कोशिशें जारी हैं.
जब हमने लोगों से पूछा कि वो मास्क क्यों नहीं लगा रहे हैं, तो ज़ी मीडिया के कैमरे को देखकर कोई भागने लगा, तो कोई मास्क ठीक करने की जुगत में लग गया. वहीं कुछ लोगों ने तो हमारे कैमरे को ही कोरोना वायरस समझकर सारा गुस्सा उसी पर निकाल दिया. लेकिन ऐसा करने से अगर कोरोना वायरस भाग जाता तो भारतीय अब तक कोरोना को देश छोड़ने को मजबूर कर चुके होते. भारत में वैक्सीन लगने की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन वैक्सीन कोरोना से कितनी सुरक्षा देगी ये तो एक वर्ष बीतते बीतते ही समझ में आएगा. पर वक्त रहते ये जरूर समझ लें कि तब तक आपका भरोसेमंद साथी यही मास्क है.
लोग ये समझ रहे हैं कि अब सैर-सपाटे और सेल्फी के बीच मास्क का क्या काम? दिल्ली से लेकर हिमाचल प्रदेश के मनाली तक इस मामले में पूरे भारत का एक ही नियम है कि फोटो तो बिना मास्क के ही बनती है.
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच चिड़ियाघर क्यों खोला गया, ये सवाल अपनी जगह है, लेकिन दिल्ली वालों ने अच्छे पर्यटक का फर्ज निभाया और भीड़ लगा दी. लेकिन ये वक्त अच्छे नागरिक बनने का है और सबसे पहले अपनी सेहत की फिक्र करने का है.
लोगों को समझाने के लिए अब कई तरीके आजमाए जा रहे हैं. मध्य प्रदेश के भोपाल में मास्क न पहनने पर पकड़े जाने पर निबंध लिखवाया जा रहा है. निबंध में लोगों को मास्क नहीं पहनने का कारण बताना होगा. पहली बार में पुलिस उन्हें निबंध लिखवा कर छोड़ दे रही है, लेकिन दूसरी बार यदि वह पकड़े जाते हैं उनका चालान कट सकता है. इसी तरह महाराष्ट्र के नासिक में बाजार में एक घंटे ही ठहरने की इजाजत है. इसके लिए भी 5 रुपए की पर्ची कटवानी होगी. एक घंटे से ज्यादा रुके तो 500 रुपए का चालान भी कट सकता है.
देश में कल 1 अप्रैल को कोरोना वायरस के 72 हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं. देश के कई शहरों में लॉकडाउन, नाइट कर्फ्यू और धारा 144 लगाकर भीड़ जमा होने से रोकी जा रही है, लेकिन रिसर्च की मानें तो कोरोना के खिलाफ मास्क सबसे मजबूत और भरोसेमंद हथियार है. आज से ही मास्क वाला टास्क शुरू कर दें, खुद भी मास्क लगाएं और किसी ने मास्क ना लगाया हो तो उसे भी विनम्र निवेदन करें. देश और दुनिया को आपकी इस सामाजिक क्रांति की सबसे ज्यादा जरूरत है.