DNA ANALYSIS: केरल में 27% प्रतिशत वोटों के लिए 40% कोरोना? नियमों की 'कुर्बानी' पड़ेगी भारी
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DNA ANALYSIS: केरल में 27% प्रतिशत वोटों के लिए 40% कोरोना? नियमों की 'कुर्बानी' पड़ेगी भारी

Coronavirus: केरल में कोरोना का ये विस्फोट तब हुआ है, जब ईद पर लॉकडाउन में दी गई रियायत का ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस पर कांवड़ यात्रा की तरह रोक नहीं लगवा पाया.

DNA ANALYSIS: केरल में 27% प्रतिशत वोटों के लिए 40% कोरोना? नियमों की 'कुर्बानी' पड़ेगी भारी

नई दिल्ली: केरल में ईद के मौके पर सरकार द्वारा दी गई छूट जानलेवा साबित हुई है. तुष्टीकरण की वजह से लॉकडाउन में दी गई इस छूट के कारण केरल में कोरोना के मामलों में जबरदस्त तेजी आई है.

  1. भारत में कोरोना का पॉजिटिविटी रेट गिरने के बजाय स्थिर हो गया है.
  2. 1 जुलाई को जहां देश में पॉजिटिविटी रेट 2.48 प्रतिशत था.
  3. 21 दिनों के बाद भी ये 2 प्रतिशत से नीचे नहीं गया.

सांप्रदायिकता वाली राजनीति 

21 जुलाई को देशभर में कोरोना के कुल 41 हजार 383 नए मामले दर्ज हुए. इनमें अकेले केरल में 17 हजार 481 नए मरीज मिले. सोचिए, देशभर के कुल मामलों में अकेले केरल की हिस्सेदारी लगभग 42 प्रतिशत थी.

हमने लगातार इस मुद्दे पर आप सबका ध्यान खींचा, लेकिन सांप्रदायिकता वाली राजनीति एक बार फिर जीत गई और सही मायनों में धर्मनिरपेक्षता एक बार फिर हार गई. कोरोना वायरस ने बता दिया कि असल में ये वायरस ही धर्मनिरपेक्ष है, न इसे हिंदू दिखता है और न इसे मुस्लिम दिखता है और सबके बीच ये बराबरी से मौत बांट रहा है.

कांवड़ यात्रा की तरह रोक नहीं लगवा पाया सुप्रीम कोर्ट

केरल में कोरोना का ये विस्फोट तब हुआ है, जब ईद पर लॉकडाउन में दी गई रियायत का ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट इस पर कांवड़ यात्रा की तरह रोक नहीं लगवा पाया और इसलिए हमें लगता है कि केरल में कोरोना के केस बढ़ने के पीछे अदालत की भी नाकामी है.

20 जुलाई को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा था कि अगर इस रियायत की वजह से कोरोना के केस बढ़ते हैं, तो कोर्ट इस पर उचित कार्रवाई जरूर करेगा.

इसलिए आज हम केरल की ये स्थिति सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में भी लाना चाहते हैं और बताना चाहते हैं कि राज्य में कोरोना की वजह से हालात अच्छे नहीं हैं, लेकिन एक अपडेट जरूर है कि केरल की सरकार ने अब वहां 24 और 25 जुलाई को सम्पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया है.

कोरोना की दूसरी लहर अब भी कहीं नहीं गई है

आज जब कोरोना वायरस की बात हो रही है, तो आपको हमारे देश के लोगों का इस पर मूड भी समझना चाहिए. हमारे देश के बहुत से लोगों ने मान लिया है कि कोरोना की दूसरी लहर जा चुकी है और तीसरी लहर जब आएगी, तब की तब देखी जाएगी.

ये मूड इस समय कोरोना को लेकर हमारे देश के लोगों का है, लेकिन वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि कोरोना के प्रतिदिन मामलों का मौजूदा ट्रेंड इस बात का संकेत देता है कि कोरोना की दूसरी लहर अब भी कहीं नहीं गई है.

वैज्ञानिकों ने इस बात को लेकर चिंता जताई है कि भारत में कोरोना का पॉजिटिविटी रेट गिरने के बजाय स्थिर हो गया है. 1 जुलाई को जहां देश में पॉजिटिविटी रेट 2.48 प्रतिशत था, तो 21 दिनों के बाद भी ये 2 प्रतिशत से नीचे नहीं गया.

सरल शब्दों में कहें तो पिछले लगभग एक महीने से देश में कोरोना के 30 से 40 हजार मामले हर रोज आ रहे हैं और ये ट्रेंड बताता है कि दूसरी लहर अभी कहीं नहीं गई है.

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