1983 के वर्ल्ड कप में जब भारत की टीम का पहला मुकाबला उस समय की सबसे मजबूत टीम वेस्ट इंडीज से हुआ तो किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि भारत की वो टीम वेस्ट इंडीज जैसी शक्तिशाली टीम को हरा देगी. इस जीत में यशपाल शर्मा की बड़ी भूमिका थी.
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नई दिल्ली: कल 13 जुलाई को भारतीय क्रिकेट के एक ऐसे हीरो का 66 वर्ष की उम्र में निधन हो गया, जिन्होंने अपनी कामयाबी पर कभी शोर नहीं मचाया, जबकि उनके खाते में एक नहीं बल्कि क्रिकेट के दो-दो विश्वकप थे.
1983 में भारत के लिए क्रिकेट का पहला वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे क्रिकेटर यशपाल शर्मा का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. यशपाल शर्मा 2011 में दूसरी बार क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम के सेलेक्टर्स में से भी एक थे. इस नजरिए से देखें, तो उन्होंने भारत को एक बार नहीं, बल्कि दो-दो बार वर्ल्ड कप दिलाया.
यशपाल शर्मा भारतीय क्रिकेट के एक ऐसे हीरो रहे, जिन्हें समय के साथ भुला दिया गया. यशपाल शर्मा ने जो भी यश हासिल किया बिना शोर मचाए और बिना मार्केटिंग के किया. उस जमाने में खिलाड़ी आज जितने बड़े स्टार नहीं हुआ करते थे. आज तो खिलाड़ी टीवी पर प्रोडक्ट्स भी बेचते हैं और एक्टिंग भी कर लेते हैं, लेकिन यशपाल शर्मा हमेशा लो प्रोफाइल रहे. उन्होंने मार्केटिंग का सहारा नहीं लिया. फिर भी वो अपने सभी रोल्स में कामयाब रहे और अपने जीवन में शुद्ध ऑर्गेनिक यश हासिल किया.
यशपाल शर्मा भारत की टीम में एक बल्लेबाज की भूमिका निभाते थे, जो टीम इंडिया में अक्सर पांचवें नंबर पर खेलते थे.
1983 के वर्ल्ड कप में जब भारत की टीम का पहला मुकाबला उस समय की सबसे मजबूत टीम वेस्ट इंडीज से हुआ तो किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि भारत की वो टीम वेस्ट इंडीज जैसी शक्तिशाली टीम को हरा देगी. इस जीत में यशपाल शर्मा की बड़ी भूमिका थी.
120 गेंदों पर 89 रन बनाकर वो इस मैच में भारत के लिए सबसे ज्यादा स्कोर करने वाले खिलाड़ी बने. उस समय उन्होंने मैलकम मार्शल और माइकल होल्डिंग जैसे खतरनाक गेंदबाजों का सामना किया था. इसके बाद भारत को वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल मैच जिताने में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई. इस मैच में उन्होंने 61 रन बनाकर अपनी टीम को पहली बार वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचाया. कुछ दिनों पहले उन्होंने खुद अपने ट्विटर अकाउंट से 1983 के वर्ल्ड कप के सेमी फाइनल मैच की एक क्लिप शेयर की थी.
11 अगस्त 1954 को पंजाब के लुधियाना में जन्मे यशपाल शर्मा ने अपने सात साल के करियर में 37 टेस्ट मैच और 42 वन डे इंटरनेशनल मैच खेले और कुल मिलाकर 2489 रन बनाए, इस दौरान उन्होंने 2 शतक और 13 अर्धशतक भी लगाए, लेकिन आज पृथ्वी पर उनके जीवन की एक पारी समाप्त हो गई और अब वो आसमान में कहीं अपनी नई पारी के लिए तैयारी कर रहे होंगे.
वैसे ये भी एक विडंबना है कि आज से 5 दिन पहले यानी 7 तारीख को यशपाल शर्मा ने अभिनेता दिलीप कुमार के निधन पर ट्विटर पर एक तस्वीर शेयर की थी. इस तस्वीर में आप यशपाल शर्मा और दिलीप कुमार को एक साथ देख सकते हैं.
तब उन्होंने शायद ये सोचा भी नहीं होगा 5 दिन बाद वो खुद दिलीप साहब के पास पहुंच जाएंगे. दिलीप साहब और यशपाल शर्मा के जीवन में एक बड़ी समानता ये थी कि दोनों ने कभी खुद की मार्केटिंग नहीं की और अपनी सफलताओं की मार्केटिंग के मार्ग पर नीलामी नहीं की. दोनों बिना शोर मचाए अपने अपने हिस्से का यश अर्जित करते रहे. इसलिए हमें लगता है कि आज शायद दोनों ऊपर से हमें देखकर मुस्कुरा रहे होंगे.
शास्त्रों में लिखा है कि जब आप अच्छे कर्म करते हैं तो उसकी सुगंध को यश कहते हैं और जब आप बुरे कर्म करते हैं तो उसकी दुर्गंध को ही अपयश कहा जाता है. इसलिए भारत को अपने यश से पुरी दुनिया में पहचान दिलाने वाले यशपाल शर्मा को उनकी इस नई पारी के लिए आज हम शुभकामनाएं देना चाहते हैं.
यशपाल शर्मा वर्ष 2003 में ज़ी टीवी के एक मशहूर शो में बतौर मेहमान आए थे. इस शो का नाम था, जीना इसी का नाम है. शो में यशपाल शर्मा ने भारतीय क्रिकेट टीम के एक और मशहूर खिलाड़ी मोहिंदर अमरनाथ के साथ अपनी दोस्ती का जिक्र किया था. ये दोनों खिलाड़ी 1983 में वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम के सदस्य थे.