DNA ANALYSIS: Indonesia में Corona Vaccine के लिए क्यों जरूरी है हलाल सर्टिफिकेट?
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DNA ANALYSIS: Indonesia में Corona Vaccine के लिए क्यों जरूरी है हलाल सर्टिफिकेट?

इंडोनेशिया (Indonesia) दुनिया की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश है. वहां लगभग 22 करोड़ मुसलमान हैं और खाने-पीने के सामान, काॅस्मेटिक्स और यहां तक कि दवाइयों का भी हलाल सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है.

DNA ANALYSIS: Indonesia में Corona Vaccine के लिए क्यों जरूरी है हलाल सर्टिफिकेट?

नई दिल्लीः ब्रिटेन में कोरोना (Coronavirus) की वैक्सीन (Vaccine) देने का अभियान शुरू हो गया है यानी कोरोना के अंत का शुभारंभ हो गया है. 90 वर्ष की मार्गरेट कीनन को दुनिया की पहली फाइजर कोरोना वैक्सीन लगाई गई है. अगले हफ्ते मार्गरेट का जन्मदिन है, तब वो 91 वर्ष की हो जाएंगी. जन्मदिन से पहले ही उन्हें कोरोना वैक्सीन बर्थडे गिफ्ट की तरह मिली है. ब्रिटेन में कोरोना वैक्सीन की ये डोज़ फ्री में दी जा रही है.

अमेरिका की फार्मा कम्पनी फाइजर और बायो एन टेक ने मिलकर ये वैक्सीन तैयार की है. पश्चिमी देशों में ब्रिटेन पहला देश है जिसने अपने नागरिकों के लिए कोरोना वैक्सीन के सीमित इस्तेमाल की मंज़ूरी दी है. इसे विज्ञान की भाषा में इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन कहा जाता है.

भारतीय मूल के हरि शुक्ला भी उन लोगों में शामिल हैं. जिन्हें पहले चरण में कोरोना वैक्सीन लगाई जाएगी. हरि शुक्ला की उम्र 87 वर्ष है. स्वास्थ्य विभाग ने फोन करके इन्हें वैक्सीन लगाने की जानकारी दी. हरि शुक्ला अब राहत महसूस कर रहे हैं.

ब्रिटेन में 80 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों को सबसे पहले वैक्सीन दी जा रही है. ब्रिटेन की आबादी 6 करोड़ से अधिक है और वहां के हर नागरिक को इस वैक्सीन की दो डोज़ दी जाएगी, वो भी बिना पैसा लिए.

वैक्सीन बनाने वाली कंपनी का दावा है कि वैक्सीन हर 100 लोगों में से 95 लोगों को कोरोना संक्रमण से बचा सकती है. हालांकि इस वैक्सीन को स्टोर करके रखना बड़ी चुनौती है क्योंकि, ये वैक्सीन माइनस 70 डिग्री सेल्सियस पर ही स्टोर की जा सकती है. जिसके लिए ख़ास रेफ्रिजरेटर्स की जरूरत होती है. ब्रिटेन में वैक्सीन देने वाली कंपनी ने भारत में भी इमरजेंसी यूज के लिए आवेदन किया है पर यहां इस वैक्सीन को माइनस 70 डिग्री पर स्टोर करना और दूर के इलाकों तक ले जाना एक बड़ी समस्या होगी.

इंडोनेशिया में वैक्सीन के धार्मिक शुद्धिकरण की चर्चा
कोरोना वैक्सीन आने से लोग खुश हैं. पर इंडोनेशिया में इस वैक्सीन के धार्मिक शुद्धिकरण की चर्चा चल रही है.

इंडोनेशिया ने हलाल सर्टिफिकेशन के बाद ही कोरोना वैक्सीन को इस्तेमाल करने की बात कही है. इस्लाम में हलाल और वर्जित श्रेणी की दो कैटेगरी होती है. हलाल का सर्टिफिकेट उन चीजों को मिलता है जिनके इस्तेमाल की इजाज़त इस्लामिक कानून देता है और वर्जित श्रेणी में वो चीजें आती हैं. जिनको इस्तेमाल करने की इजाजत इस्लामिक कानून नहीं देता है.

इंडोनेशिया दुनिया की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश है. वहां लगभग 22 करोड़ मुसलमान हैं और खाने-पीने के सामान, काॅस्मेटिक्स और यहां तक कि दवाइयों का भी हलाल सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है.

इंडोनेशिया में ज्यादातर दवाइयां दूसरे देशों से आयात की जाती हैं. पिछले महीने वहां पर चीन से कोरोना वैक्सीन की 12 लाख डोज आयात की गई है. अब वहां की सरकार को कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) के खिलाफ फ़तवा जारी होने की आशंका है. इससे पहले वर्ष 2018 में एक और वैक्सीन के हलाल सर्टिफाइड नहीं होने पर फ़तवा जारी किया गया था.

हालांकि अभी तक कोरोना वैक्सीन बनाने वाली किसी भी कंपनी ने हलाल सर्टिफाइड वैक्सीन तैयार करने का दावा नहीं किया है.

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