DNA Analysis: जब हिंदू शोभायात्रा के गुजरने भर से धार्मिक भावनाएं आहत हो जाती हैं, तो फिर हिंदू त्योहारों के गरबा और डांडिया कार्यक्रमों में मुस्लिम समाज के युवक क्यों जाते हैं? देखा जाए तो उन्हें इससे दूर रहना चाहिए, क्योंकि इससे उनकी ही धार्मिक भावनाएं आहत होती होंगी.
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DNA Analysis: अहमदाबाद में गरबा कार्यकम में 2 मुस्लिम युवक अपनी पहचान बदलकर पहुंच गए थे. नवरात्रि में आयोजित गरबा कार्यक्रम में मुस्लिम युवकों के आने पर मनाही थी. बावजूद इसके ये युवक चोरी छिपे, इसमें शामिल हो गए. आरोप है कि इन्होंने वहां चोरी करने की कोशिश की. इन युवकों को हिंदूवादी संगठन बजरंग दल के लोगों ने पकड़ लिया. इसके बाद इन मुस्लिम युवकों की लोगों ने पिटाई कर दी.
पहला पक्ष ये कह रहा है कि, हिंदू धर्म के कार्यक्रम में मुस्लिम युवक किस मकसद से आए थे, और क्यों आए थे? दूसरा पक्ष ये कह रहा है कि मुस्लिम युवक अगर चोरी छिपे आ भी गए थे, तो उनको पीटा क्यों गया.
शोभायात्रा में हुआ था हंगामा
हनुमान जयंती हो, या फिर रामनवमी की शोभायात्रा, कुछ खास इलाकों से ये गुजरीं तो इनपर पथराव किए गए थे. ये घटनाएं केवल किसी एक शहर या राज्य में नहीं हुईं. देश के अलग-अलग राज्यों में इसी तरह की घटनाएं हुई थीं. इन घटनाओं को लेकर सेकुलरिज्म में ब्लू टिक सर्टिफाइड लोगों ने खूब हंगामा किया. सभी का तर्क यही था कि उनकी सेकुलरिज्म की परिभाषा कहती है कि हिंदू धर्म से जुड़ी शोभायात्राओं को मुस्लिम इलाकों से होकर नहीं गुजरना चाहिए. ऐसा इसलिए है,क्योंकि इससे मुस्लिम धर्म के कुछ कट्टरपंथियों की धार्मिक भावनाएं आहत हो जाती हैं.
सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए इन ब्लूटिक सर्टिफाइड सेकुलरों का ये आइडिया वाकई कारगर हो सकता है. लेकिन सवाल ये है कि जब हिंदू शोभायात्रा के गुजरने भर से धार्मिक भावनाएं आहत हो जाती हैं, तो फिर हिंदू त्योहारों के गरबा और डांडिया कार्यक्रमों में मुस्लिम समाज के युवक क्यों जाते हैं? देखा जाए तो उन्हें इससे दूर रहना चाहिए, क्योंकि इससे उनकी ही धार्मिक भावनाएं आहत होती होंगी.
ब्लूटिक सर्टिफाइड सेकुलर की सेकुलरिज्म की परिभाषा अनोखी है. उनका मानना है कि गैर मुस्लिमों की शोभायात्रा मुस्लिम इलाकों से नहीं गुजरनी चाहिए. धार्मिक भावनाएं भड़क सकती हैं. लेकिन हिंदू धर्म के कार्यक्रमों में गैर हिंदूओं को प्रवेश मिलना चाहिए क्योंकि ये सर्व धर्म सद्भाव परिचायक है.
सर्वधर्म समभाव पर ऐसी हिप्पोक्रेसी आपको भारत के अलावा कहीं नहीं दिखेगी. दरअसल पिछले कई वर्षों से ये देखा जा रहा है कि गरबा और डांडिया जैसे कार्यक्रमों में जाने के लिए, मुस्लिम युवक सर्व धर्म समभाव का चोंगा ओढ़ लेते हैं.
गरबा में पहुंचे मुस्लिम युवक के माथे पर टीका था. इससे एक बात साफ है कि ये मुस्लिम युवक, खुद को हिंदू दिखाते हुए, गरबा कार्यक्रम में शामिल हुए थे. अब आप सोचिए, हिंदू धर्म के किसी कार्यक्रम में पहचान बदलकर जाना मंजूर है, लेकिन मुस्लिम इलाकों से शोभायात्राएं गुजरने देना मंजूर नहीं है, और अगर ऐसा होता है तो धार्मिक कट्टरपंथ का संचार हो जाता है.
शोभायात्राओं पर होने वाली पत्थरबाजी धार्मिक असुरक्षा की प्रतिक्रिया कही जाती है, और हिंदुओं के धार्मिक कार्यक्रमों में जबरन घुसना, धार्मिक सुरक्षा का अहसास बन जाता है. गरबा या डांडिया कार्यक्रम में मुस्लिम युवकों का आना और हिंदू लड़कियों से पहचान बदलकर नजदीकियां बढ़ाने की घटनाएं होती रही हैं. खासतौर से नवरात्रि में होने वाले गरबा कार्यक्रमों में ऐसा अक्सर देखा गया है. केवल गुजरात ही नहीं, कई राज्यों में ऐसा होता है.
महाराष्ट्र के अकोला में भी एक गरबा प्रोग्राम में 4 मुस्लिम युवक पहचान बदलकर पहुंचे थे. ये लोग गरबा में मौजूद लड़कियों की तस्वीरें खींच रहे थे. ये चारों मुस्लिम युवक यूपी के रहने वाले थे. आयोजकों को जब इन पर संदेह हुआ तो उन्होंने, चारों मुस्लिम युवकों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया. इन चारों मुस्लिम युवकों के पास से महिलाओं की 250 से ज्यादा तस्वीरें मिली हैं.
महाराष्ट्र ही नहीं, मध्यप्रदेश के इंदौर में भी हिंदू पहचान बताकर, गरबा पंडाल में गए मुस्लिम युवकों की लोगों ने पिटाई कर दी. यहां पर 7 मुस्लिम युवक, गरबा कार्यक्रम में चोरी छिपे पहुंचे था. ये लोग लड़कियों और महिलाओं की डांस करती तस्वीरें, और वीडियो ले रहे थे. आयोजकों को शक हुआ तो उन्होंने पूछताछ कि, जिसके बाद ये पकड़े गए. पूछताछ में इन युवकों ने अपना नाम कभी बबलू तो कभी संदीप बताया. पुलिस के आने के बाद सच्चाई पता चली, और सभी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.
हो सकता है कि कुछ लोग ये सोचें, कि इसमें गलत क्या है. मुस्लिम युवकों ने गरबा कार्यक्रम में पहुंचकर, फोटो या वीडियो ही तो बनाए थे. तो इन लोगों को कुछ खास बातें हम बताना चाहते हैं. इनकी पहली गलती तो यही है कि ये झूठी पहचान बताकर, हिंदू धर्म के कार्यक्रम में एक अवांछित व्यक्ति बनकर पहुंचे. दूसरी गलती ये है, कि गरबा डांस कर रहीं लड़कियों और महिलाओं की अनुमति के बगैर, उनकी फोटो या वीडियो बना रहे थे जो कानूनन गलत है.
भारतीय दंड संहिता के मुताबिक किसी की अनुमति के बगैर उसकी फोटो लेने पर धारा-66E के तहत प्राइवेसी का उल्लंघन माना जाता है, और धारा 509 के तहत महिलाओं के सम्मान से खिलवाड़ भी माना जा सकता है. इसमें 1 से 3 साल तक की सज़ा का प्रावधान है.
गरबा कार्यक्रम में मुस्लिम युवकों की पिटाई के बाद सोशल मीडिया पर काफी बवाल मचा हुआ है. हम भी कानून को अपने हाथ में लेने वालों के खिलाफ हैं. ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, जो हिंसा को बढ़ावा देते हैं लेकिन इस कार्यक्रमों में बिना बुलाए पहुंचे मुस्लिम युवकों की पिटाई के बाद गरबा कार्यक्रमों का विरोध एक अलग अंदाज में हो रहा है.
मुंबई के मरीन ड्राइव का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस वीडियो में सड़क पर बड़ी संख्या में लड़के लड़कियां नजर आ रहे हैं. ये सारे गरबा डांस कर रहे हैं. इस वीडियो को ट्रोल किया जा रहा है. सोशल मीडिया पर कुछ ट्वविटर हैंडल में कहा गया है ,कि अगर इसी तरह से सड़क या मॉल पर नमाज पढ़ी जाती ,तो कानूनी कार्रवाई हो जाती. वो ये भी कह रहे हैं कि सड़क पर हो रहे गरबा कार्यक्रम को कोई नहीं रोक रहा है.
सड़क पर नमाज को, गरबा डांस से जोड़कर ये बताने की कोशिश की जा रही है कि, देश में कितनी अ-सहिष्णुता है. विरोध का ये नया तरीका,ऐसे वक्त में अपनाया गया, जब गरबा कार्यक्रमों में पहुंचे मुस्लिम युवकों की पिटाई की खबरें सामने आ रही हैं.
बहुत से लोग गरबा को लेकर यही समझते हैं कि वो एक डांस फॉर्म है और देखा जाए तो किसी डांस कार्यक्रम में हर धर्म के लोग जा सकते हैं. डांस कार्यक्रम में किसी भी धर्म के लोग शामिल हो सकते हैं लेकिन ये निमंत्रण पर तय होता है कि कौन, शामिल होगा और कौन नहीं. नवरात्रि पर होने वाले गरबा कार्यक्रमों में ऐसा किया जाता है.
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