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नई दिल्ली: एक जमाना था जब हमारे देश में लोग एक गाड़ी खरीदने के बाद ये सोचते थे कि अब पूरे जीवन इसी गाड़ी को चलाएंगे. एक गाड़ी पूरी परिवार की शान हुआ करती थी और लोग गाड़ियों को भी परिवार का एक सदस्य मानते थे, इन्हें बहुत संभालकर रखते थे. गाड़ी में हल्की सी खरोंच भी आ जाती थी तो लोगों को रात भर नींद नहीं आती थी. लोग सुबह-सुबह उठकर अपनी गाड़ी के शीशे चमकाते हुए दिख जाते थे.
लेकिन शुक्रवार को भारत सरकार ने नई व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी (New Vehicle Scrappage Policy) लॉन्च कर दी है. अब आप एक ही गाड़ी को 15 या 20 वर्षों तक नहीं चला पाएंगे और अगर आपकी गाड़ी 15 वर्ष पूरे होने से पहले अनफिट पाई जाती है तो उसे स्कैप कर दिया जाएगा. यानी कबाड़ में बदल दिया जाएगा. इस पॉलिसी के तहत, 15 साल से अधिक की सरकारी और कमर्शियल गाड़ियों को स्क्रैप करने की योजना है. 20 साल से अधिक पुरानी प्राइवेट गाड़ियां भी स्क्रैप की जाएंगी.
पुरानी गाड़ियों को री-रजिस्ट्रेशन (Re-Registration) से पहले फिटनेस टेस्ट पास करना होगा. यानी अगर आपकी गाड़ी 15 या 20 साल पुरानी हो गई, लेकिन वो पूरी तरह फिट है तो आप इसे आगे भी चला पाएंगे. इसके लिए ओटोमेटेड फिटनेस सेंटर पर पुरानी गाड़ियों की जांच होगी. अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार गाड़ियों की फिटनेस जांच की जाएगी. एमिशन टेस्ट, ब्रेकिंग सिस्टम, सेफ्टी कंपोनेंट की जांच की जाएगी और फिटनेस टेस्ट में फेल होने वाली गाड़ियों को स्क्रैप कर दिया जाएगा.
पुरानी गाड़ी को स्क्रैप करवाने पर उसकी कुल कीमत का 4 से 6 प्रतिशत स्क्रैप डीलर आपको देगा. इसके अलावा नए प्राइवेट वाहन की खरीद पर रोड टैक्स में 25% तक और नए कमर्शियल वाहन की खरीद पर 15% तक छूट मिलेगी. स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट देने पर वाहन निर्माता भी 5% की छूट देंगे और नए वाहन की खरीद पर रजिस्ट्रेशन फीस भी नहीं देनी होगी. इस योजना के लागू होने से भारत में तेल का आयात भी कम हो जाएगा और इलेक्ट्रोनिक गाड़ियों की मांग बढ़ेगी और पर्यावरण को भी फायदा होगा.
भारत में 51 लाख हल्के मोटर वाहन हैं जो 20 वर्ष से अधिक पुराने हैं और 34 लाख ऐसे हैं जो 15 वर्ष से ज्यादा पुराने हैं. लगभग 17 लाख मीडियम और हेवी कमर्शियल व्हीकल हैं, जो 15 वर्ष से अधिक पुराने हैं और जरूरी फिटनेस सर्टिफिकेट के बिना चल रहे हैं. स्क्रैप पॉलिसी इसलिए भी जरूरी है क्योंकि पुराने वाहन फिट वाहनों की तुलना में 10 से 12 गुना अधिक प्रदूषण फैलाते हैं और सड़क सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं. स्क्रैप पॉलिसी का एक फायदा ये भी है कि स्क्रैप मैटेरियल से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को सस्ता कच्चा माल मिलेगा, और सस्ते कच्चे माल की मदद से वाहन निर्माताओं की उत्पादन लागत कम होगी. स्क्रैप पॉलिसी से ऑटोमोबाइल सेक्टर में लगभग 3 करोड़ 70 लाख लोगो को रोजगार मिलेगा. नए फिटनेस सेंटर्स में 35 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा और 10 हजार करोड़ रुपये का निवेश बढ़ेगा. स्क्रैप पॉलिसी से सरकारी खजाने को GST के जरिए करीब 30 से 40 हजार करोड़ रुपये की धनराशि मिलने का अनुमान है.
फिटनेस टेस्ट और स्क्रैपिंग सेंटर्स बनाने के लिए नियम 1 अक्टूबर, 2021 से लागू हो जाएंगे. 1 अप्रैल, 2022 से 15 वर्ष से अधिक पुराने सरकारी और सार्वजनिक उपक्रमों के वाहनों की स्क्रैपिंग शुरू की जाएगी. 1 अप्रैल, 2023 से भारी कमर्शियल वाहनों के लिए फिटनेस टेस्ट को जरूरी कर दिया जाएगा और 1 जून, 2024 से अन्य सभी श्रेणियों के वाहनों के लिए चरणबद्ध तरीके से फिटनेस टेस्ट को अनिवार्य कर दिया जाएगा. बताते चलें कि जर्मनी, कनाडा और अमेरिका समेत यूरोप के ज्यादातर बढ़े देशों ने इस तरह की स्क्रैपिंग पॉलिसी आज से 11 से 15 वर्ष पहले ही लागू कर दी थी. लेकिन भारत ने इसमें थोड़ी देर कर दी और अब जाकर इसे लॉन्च किया जा सका है.
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