आज World Hypertension Day है. आपमें से कई लोगों को पता नहीं होगा कि Hypertension, High Blood Pressure का ही दूसरा नाम है. ये एक ऐसी बीमारी है, जो बिना शोर मचाए हर साल करोड़ों लोगों की जान ले लेती है, फिर भी इस महामारी नहीं माना जाता है.
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नई दिल्ली: आज World Hypertension Day है. आपमें से कई लोगों को पता नहीं होगा कि Hypertension, High Blood Pressure का ही दूसरा नाम है. डॉक्टर इसे Silent Killer भी कहते हैं. यानी ये एक ऐसी बीमारी है, जो बिना शोर मचाए हर साल करोड़ों लोगों की जान ले लेती है, फिर भी इस महामारी नहीं माना जाता है. इसमें मरीज़ों को लगता है कि वो बिल्कुल ठीक है, लेकिन वो ठीक होता नहीं है और कई अध्ययनों में भी ये बात साबित हुई है.
विज्ञान की भाषा में कहें तो ये बीमारी शुरुआती चरणों में कोई लक्षण नहीं देती. लेकिन डॉक्टर मानते हैं कि इस बीमारी की ख़ामोशी में ही सारी बातें छिपी होती हैं. अगर इन बातों को सुना जाए तो हाइपरटेंशन से होने वाली मृत्यु को रोका जा सकता है. अब सवाल है कि क्या लोग ऐसा कर पाते हैं? इसका जवाब है- नहीं. हम इस ख़ामोशी को चिंता के शोर में दबा देते हैं.
हमारे संस्कारों में हमें सिखाया जाता है कि चिंता चिता के समान होती है. कहते हैं कि चिता मृत व्यक्ति के शरीर को जलाती है और चिंता जीवित रहते हुए शरीर और आत्मा दोनों को जलाती है. चिंता की चिता में जलने का ये सिलसिला तब तक चलता है, जब तक सांसें चलती हैं. यानी चिंता जीवन का सत्य है और चिता मृत्यु के बाद का सत्य है. इन दोनों शब्दों में सिर्फ़ एक बिंदी का ही फर्क होता है.
अगर ये बिंदी हट जाए तो चिंता चिता का रूप ले लेती है और हाइपरटेंशन में भी यही होता है. अधिकतर मामलों में तनाव और चिंता से घिरे रहने वाले लोग कभी ये समझ ही नहीं पाते कि उन्हें सिर्फ़ टेंशन नहीं है बल्कि हाइपरटेंशन है.
Hypertension के दौरान ह्रदय की धमनियों में ख़ून का दबाव काफ़ी बढ़ जाता है. इस दबाव के दौरान शरीर में ख़ून के प्रवाह को बनाए रखने के लिए ह्रदय को अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है. इसी स्थिति को Hypertension या High Blood Pressure कहते हैं.
WHO के मुताबिक़ अगर Blood Pressure Readings 140/90 है या इससे ज़्यादा है तो इसे ख़तरनाक माना जाता है. High Blood Pressure के मरीज़ों की Readings इसी के आसपास रहती हैं. अगर Blood Pressure 120/80 है, तो इसे सामान्य माना जाता है. WHO का कहना है कि अगर Readings 130/85 भी रहती है तो भी घबराने वाली बात नहीं है. हालांकि इसके बाद Hypertension की Stage शुरू हो जाती है.
World Health Organization के मुताबिक़ इस समय दुनियाभर में 113 करोड़ लोगों को Hypertension है. यानी हर चार में से एक पुरुष और हर पांच में से एक महिला Hypertension की शिकार है. सरल शब्दों में कहें तो इस बीमारी का साम्राज्य पूरी दुनिया में फैला है और भारत में भी स्थिति अच्छी नहीं है.
भारत में वर्ष 2016 में 16 लाख लोगों की मौत इसी बीमारी से हुई थी. ये आंकड़ा कितना बड़ा है. इसका अन्दाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि भारत में कोरोना वायरस से पिछले डेढ़ साल में लगभग 2 लाख 75 हज़ार लोगों की मौत हुई है. यानी ये बीमारी कोरोना से कहीं ज्यादा ख़तरनाक है. इसे Silent Pandemic भी कहा जाता है यानी एक ऐसी बीमारी जो बिना शोर किए तबाही मचा रही है.
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ये बीमारी सिर्फ़ शहरों तक सीमित है. शहरों में जहां 33 प्रतिशत लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं तो गांवों में ये आंकड़ा 25 प्रतिशत है. बड़ी बात ये है कि गांवों में लोग कभी भी Hypertension को बीमारी नहीं मानते. वहां अक्सर लोग इसे तनाव और चिंता से जोड़ कर देखते हैं और इसी के परिणाम स्वरूप वहां मौतें भी अधिक होती हैं.
आपने देखा होगा कि जब कोई व्यक्ति किसी चिंता में होता है और हर बात पर क्रोध करने लगता है तो उसके आसपास मौजूद लोग यही कहते हैं कि उस व्यक्ति का Mood सही नहीं है. कई बार वे कहते हैं कि अभी Mood ख़राब है, जब सही होगा तो बात करेंगे. लेकिन क्या आपको पता है कि हर छोटी बात पर क्रोध करना, चिंता करना और हर समय नाराज़ रहना, ये सभी Hypertension के लक्षण हो सकते हैं. अधिकतर लोग इन लक्षणों को नज़रअंदाज करते हैं. इसी वजह से ये बीमारी ख़तरनाक रूप ले लेती है.
हम आपको ऐसे 5 बड़े कारण बताते हैं, जिसकी वजह से ये बीमारी होती है. पहला है Family History, अगर परिवार में पहले से किसी को High Blood Pressure की बीमारी है तो संभव है कि दूसरे सदस्यों को भी ये बीमारी हो सकती है. दूसरा कारण है हर समय चिंता और तनाव से घिरे रहना. तीसरा कारण है सिगरेट और शराब पीना. चौथा कारण है खाने में ज़्यादा नमक खाना और पांचवा कारण है मोटापा होना व व्यायाम नहीं करना.
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WHO के मुताबिक़ Hypertension के दौरान Heart Attack, Heart Stroke, Kidney Failure और आंखों की रोशनी खोने का ख़तरा रहता है. इस समय इस बीमारी का सबसे ज़्यादा प्रभाव भारत, अफ्रीका, अमेरिका और यूरोप के देशों में है. हम आपसे यही कहना चाहते हैं कि जिसे अक्सर लोग टेंशन समझने की भूल करते हैं, वो Hypertension की बीमारी भी हो सकती है. ये बीमारी कोरोना वायरस से भी ख़तरनाक है. इसलिए इसे हल्के में लेने की भूल मत कीजिए.
अब हम आपको बताते हैं कि World Hypertension Day की शुरुआत कैसे हुई थी? वर्ष 2005 में अंतरराष्ट्रीय संस्था World Hypertension League ने बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें 85 अलग अलग देशों की संस्थाओं ने हिस्सा लिया था. इसी कार्यक्रम में World Hypertension Day मनाने की घोषणा हुई थी. हर साल 17 मई ये दिन इसलिए मनाया जाता है ताकि लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरुक किया जा सके.
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